मोहम्मद यूनुस के राज में बांग्लादेश में मजहबी कट्टरपंथियों के हाथों में खेल रही अंतरिम सरकार एक प्रकार से चीन के सामने घुटने टेक चुकी है। मुख्य सलाहकार की चार दिन की चीन यात्रा में वही सब हुआ है जिसकी संभावना जताई जा रही थी। बांग्लादेश की बहुचर्चित और भारत के नजरिए से महत्वपूर्ण तीस्ता नदी परियोजना अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गई है। इस परियोजना को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन का समर्थन किया है। यहां ध्यान रहे कि अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस परियोजना का काम भारत को सौंपने की इच्छुक थीं। लेकिन अब यूनुस के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की धमक में आकर फैसला पलटने के बाद न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति प्रभावित हुई है, बल्कि भारत और चीन के साथ उसके संबंधों को लेकर एक नई बहस छिड़ने की ओर है।
तीस्ता नदी बांग्लादेश और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। यह नदी दोनों देशों के कृषि और जल प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तीस्ता परियोजना का उद्देश्य नदी के जल संसाधनों का प्रबंधन और उपयोग करना है, जिससे बांग्लादेश में बाढ़ और सूखे की समस्या को हल किया जा सके। इसीलिए शेख हसीना की इस संबंध में होने वाले काम की प्राथमिकता में भारत था। हसीना की सरकार ने इस परियोजना को भारत के साथ मिलकर लागू करने की योजना बनाई थी। उनका मानना था कि भारत के पास तीस्ता नदी का जल प्रबंधन करने की तकनीकी और भौगोलिक क्षमता है। यह परियोजना शेख हसीना के काल में भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग की एक प्रतीक मानी जा रही थी।
लेकिन मोहम्मद यूनुस का उलट रुख विशेषज्ञों के लिए हैरान करने वाला है। यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस परियोजना में अब चीन को आगे रखने का निर्णय लिया है। 26 से 29 मार्च तक की अपनी चीन यात्रा में यूनुस ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और तीस्ता परियोजना में चीन की भागीदारी का स्वागत किया। यूनुस ने चीन की जल प्रबंधन प्रणाली की प्रशंसा की और इसे बांग्लादेश के लिए ‘उपयोगी’ बताया।
चीन ने इस परियोजना में रुचि दिखाते हुए बांग्लादेश को तकनीकी और वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, चीन ने बांग्लादेश के साथ कई अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें मुक्त व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला सहयोग शामिल हैं। यह कदम चीन की “बेल्ट एंड रोड” पहल का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन चीन का यह कदम भारत के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर सकता है।
भारत ने सदा पड़ोसी के नाते बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है, और तीस्ता परियोजना को लेकर शेख हसीना की प्राथमिकता भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत थी। लेकिन अब चीन की भागीदारी से बांग्लादेश में भारत की स्थिति प्रभावित हो सकती है। तीस्ता परियोजना पर मोहम्मद यूनुस का शेख हसीना की नीतियों से उलट जाकर चीन का समर्थन करना बांग्लादेश की बदलती कूटनीतिक दिशा को भी दर्शातता है। यह घटनाक्रम जहां बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करेगा, वहीं दूसरी तरफ दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर भी असर डालेगा।
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