शरणार्थियों को लेकर यूरोप में आए दिन असंतोष के मामले सामने आ रहे हैं। अब एक और मामला सामने आया है और यह मामला स्पेन से आया है। स्पेन से नौकरी के संबंध में आँकड़े आए हैं। इन आंकड़ों में एक बहुत ही चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है और इसे लेकर अब स्पेन के स्थानीय नागरिकों में असंतोष पसरा हुआ है।
मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार फाउंडेशन फॉर अप्लाइड इकनॉमिक्स स्टडीज द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2019 से 2024 के बीच जितनी भी नौकरियां पैदा हुईं उनमें से 71.4% नौकरियां बाहरी लोगों के हाथों में गई हैं।
ईआई डिबेट के साथ एक साक्षात्कार में इंडिटेक्स और बैंको सेंटेंडर में मानव संसाधन के पूर्व निदेशक जेसुएस वेगा ने कहा कि वे लोग वेटरों और राजमिस्त्रियों का आयात कर रहे हैं, जबकि डॉक्टरों और इंजीनियरों का निर्यात कर रहे हैं, जो एक बहुत दुखद घटना है क्योंकि वे लोग डॉक्टर्स और इंजीनियर्स पर बहुत पैसा खर्च करते हैं और वे लोग ऐसी प्रतिभाएं हैं, जिन पर देश का विकास निर्भर करता है!
infowars के अनुसार उन्होनें यह तर्क दिया कि स्पेन की जो श्रम नीतियाँ हैं, वे उन वेतनों को दूर कर रही हैं, जो वास्तव में देश के विकास में योगदान करते हैं।
"We're importing the skill-less third world and exporting the highly skilled 1st world".
71.4% of all new jobs in 5 years went to foreigners in Spain. 7 out of 10 openings snatched from the hands of actual Spaniards. pic.twitter.com/9CLCStWWok
— Dane (@UltraDane) March 22, 2025
यह भी पता चला है कि युवा कामकाजी लोगों की संख्या में कमी आ रही है और लगभग 50 वर्ष की उम्र वाले लोगों के लिए नौकरियां बढ़ रही हैं। युवा लोगों के हाथों से नौकरियां जा रही हैं, उनकी नौकरियों में कमी हो रही है। इसके साथ ही जो लोग बाहर से आ रहे हैं, वे छोटे-मोटे काम करते हैं, जिनके लिए ज्यादा पढ़ाई की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि जो अधिकांश लोग बाहर से शरणार्थी आदि के रूप में आए हैं, उनकी शैक्षणिक योग्यताऐं स्पेन के नागरिकों की तुलना में कम होती है।
विशेषज्ञों का यह कहना है कि स्थानीय नागरिकों की तुलना में बाहरी लोगों को जो ज्यादा काम मिल रहा है तो युवा और अधिक उम्र के श्रमिक उस कार्य क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं। और इनमें से कुछ युवा तो स्पेन से पूरी ही तरह से बाहर चले गए हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी एवं जनगणना संस्थान (आईएनई) के प्रवासन बहिर्वाह डेटा से पता चलता है कि 2022 की पहली छमाही में 220,443 लोगों ने देश छोड़ दिया, जो 2013 के बाद से सबसे अधिक आंकड़ा है।
यह ट्रेंड लगभग हर यूरोपीय देश में है, जहां पर शरणार्थियों ने शरण ली हुई है। ऐसा माना जाता है कि ये लोग बहुत कम पैसों में काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं और विदेशियों के आने से घर की कीमतों में बहुत वृद्धि होती है और स्थानीय युवाओं के लिए घर खरीदना कठिन होता जाता है।
इस रिपोर्ट को लेकर सोशल मीडिया पर एक बार फिर से बाहरी और स्थानीय जैसे मामलों पर बहस शुरू हो गई है।
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