भारत में मुगल आतताई औरंगजेब की बर्बरता के विरुद्ध हर जगह आक्रोश की लहर उठ रही है। दुर्भाग्य से हिन्दुओं, हिन्दू धर्म और संस्कृति के साथ ही हजार से ज्यादा मंदिरों को ध्वस्त करने वाले उस जिहादी मुगल के भी अनेक मुस्लिम ही नहीं, सेकुलर हिन्दू पैरोकार भी शर्म—लिहाज परे रखकर औरंगजेब के पाले में जा खड़े हुए हैं। इस बीच मलेशिया से आई एक खबर ने भारत में उपजे आक्रोश को और हवा दी है। पता चला है कि मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 130 साल पुराने देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने की तैयारी है। दो दिन बाद यानी गुरुवार को वहां के प्रधानमंत्री खुद इस मस्जिद का शिलान्यास करने वाले हैं। लेकिन मलेशिया के हिन्दू इस कदम का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं।
देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर शहर के एक प्रमुख स्थान पर बना हुआ है जहां रिहायशी कॉलोनी के साथ ही एक बाजार भी है। ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से मंदिर का महत्व है क्योंकि यह बहुत प्राचीन है और हिन्दुओं का प्रमुख श्रद्धास्थल है। हैरानी की बात है कि मंदिर की जमीन को सरकार ने 2014 में मलेशिया के मुस्लिम व्यवसायी मोहम्मद जैकेल अहमद के स्वामित्व वाली कपड़े बनाने की एक बड़ी कंपनी ‘जैकेल’ को बेच दिया था। मोहम्मद जैकेल तो अब रहे नहीं, उनके उत्तराधिकारी ने यहां मस्जिद बनाने की योजना बनाई है।

यह सही है कि मंदिर और स्थानीय मस्जिद दोनों ही शुरू से सरकारी जमीन पर बने हुए हैं। इस मंदिर का निर्माण 140 साल पुरानी तमिल मुस्लिम मस्जिद के बनने के दस साल बाद किया गया था। जैकेल कंपनी ने इस जमीन को खरीदने के बाद, मस्जिद बनाने की योजना बनाई। बनने जा रही इस मस्जिद का नाम भी रख दिया गया है—”मस्जिद मदनी”। आगामी गुरुवार को खुद प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम मस्जिद का शिलान्यास करने वाले हैं।
सरकार के इस निर्णय ने मलेशिया में पांथिक असमानता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। हिंदू समाज के प्रतिनिधियों और राजनीतिक नेताओं ने सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताई है। जातीय भारतीय पार्टी उरीमाई के पी. रामासामी ने देवी मंदिर को ‘मलेशिया की स्वतंत्रता से पहले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल’ बताया और इसे हटाने की योजना अस्वीकार्य करार दिया है। दूसरी तरफ, कुछ मलय मुसलमानों का तर्क है कि जमीन के नए मालिक इस जगह का अपने हिसाब से इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं और अगर वे यहां मस्जिद बनाकर मजहबी काम करना चाहते हैं तो इसकी अनुमति दी जानी चाहिए।
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा है कि मंदिर का निर्माण कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि ‘जैकेल’ कंपनी मंदिर को हटाने के लिए मदद करने को तैयार है। सिटी हॉल यानी वहां का स्थानीय प्रशासन मंदिर के लिए किसी और जमीन की तलाश कर रहा है। हैरानी की बात है कि मस्जिद का शिलान्यास करने को तैयार अनवर कहते हैं कि वह ‘अपनी आंखों से किसी मंदिर को ध्वस्त होते नहीं देख सकते’।

इस विषय पर सोशल मीडिया में अलग जंग छिड़ी है। कुछ लोगों का कहना है यह पांथिक भेदभाव का जीता—जागता उदाहरण है। अनेक ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि जिसकी जमीन है उसे हक है अपने मन से उसका उपयोग करने का। इस विवाद ने मलेशिया में पांथिक समानता बनाए रखते हुए शहरी पुनर्विकास करने के सरकार के दावे की पोल खोलकर रख दी है।
मुद्दा इतना बड़ा बन गया है कि चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने भी इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में लिखा है, ‘देवी श्री पथराकालीअम्मन मंदिर की जगह मलेशिया की कपड़ा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जैकेल को बेच दिया गया है, जो इस जगह पर मस्जिद बनाने की योजना बना रही है। यह मंदिर ‘मस्जिद इंडिया’ के पड़ोस में स्थित है, जिसका नाम 140 साल पुरानी तमिल मुस्लिम मस्जिद के नाम पर रखा गया है। हिंदू मंदिर का दावा है कि इसकी नींव मुस्लिम मस्जिद के निर्माण के सिर्फ 10 साल बाद रखी गई थी।’
मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाए जाने का यह विवाद मलेशिया में पांथिक और सांस्कृतिक विविधता के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत पर ध्यान खींचता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और संबंधित पक्ष इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं क्योंकि मलेशिया के विकास में वहां पीढ़ियों से बसे हिन्दू समुदाय का विशेष योगदान माना जाता है। हिन्दू समुदाय भी उस देश को अपना ‘घर’ ही मानता है और चाहता है कि सरकार को ध्यान देना चाहिए कि इस समुदाय की आस्था को ठेस पहुंचाने वाले काम न किए जाएं।
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