कनाडा के प्रधानमंत्री जरूर बदल गए हैं। लेकिन, उसकी भारत विरोधी सोच अभी भी जस की तस है। उसमें कहीं कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। इसको इस तरह समझा जा सकता है कि कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने देश में सात माह पहले ही चुनाव कराने का ऐलान किया और इधर कनाडा ने नए तरीके से भारत विरोधी स्वर को छोड़ दिया है। कथित खुफिया रिपोर्ट के आधार पर कनाडा ने भारत पर आरोप मढ़ने हैं कि वह उसके चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकता है।
क्या है आरोप
कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया है कि भारत देश में अप्रैल में होने वाले इलेक्शन में हस्तक्षेप कर सकता है। भारत सरकार कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का इरादा और क्षमता रखती है। हालांकि, अभी तक भारत सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कनाडा की इस हरकत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन, भारत के साथ ही कनाडा ने चीन, रूस और पाकिस्तान पर भी इसी तरह के आरोप लगाए। उसने आरोप लगाया कि चीन ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए कनाडा के चुनाव को प्रभावित कर सकता है।
खालिस्तान पर चुप्पी
कनाडा में अगले महीने 28 अप्रैल, 2025 को वोटिंग होनी है। 17 मार्च को मार्क कार्नी ने जस्टिन ट्रूडो के बाद देश के नए पीएम के तौर पर अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। लेकिन, उसके बाद उन्होंने देश में फैल रहे खालिस्तानी चरमपंथ को लेकर एक शब्द नहीं कहे। हां, भारत पर इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाकर दोनों देशों के बीच पनपे तनाव को बढ़ाने की तरफ इशारा अवश्य कर दिया है। कनाडा, पाकिस्तान की ही तरह भारत में अपराध कर भागे अपराधियों को पनाह देने के लिए कुख्यात है।
गौरतलब है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या हो गई थी। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसका आरोप भारत की रॉ पर लगाय़ा। उसने दावा किया कि उसके पास इसके पुख्ता सबूत हैं, लेकिन जब भारत सरकार ने सबूत मांगे तो दिखाने से इंकार कर दिया। अपनी सरकार के जाने से पहले ट्रूडो ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि भारत के खिलाफ उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।
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