भारत के महान योद्धा राणा सांगा को लेकर सपा नेता रामजी लाल सुमन के विवादित बयान देने के मामले में कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम भड़क गए हैं। उन्होंने देश भक्त राणा सांगा को गद्दार कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि राणा सांगा और वीर सावरकर को गद्दार बताना बाबर की नाजायज औलादों की राष्ट्र विरोधी सोच को दिखाता है।
उन्होंने एक्स पोस्ट के जरिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से कहा कि वे माफी मांगे। प्रमोद कृष्णम ने कहा कि सपा सांसद रामजी लाल सुमन केवल एक दिन के लिए काल कोठरी में बिताकर देखें, समझ आ जाएगा कि वीर सावरकर ने क्या सहा था।
क्या है मामला
इस मामले की शुरुआत औरंगजेब और उसकी सोच का समर्थन कर रही समाजवादी पार्टी के एक नेता की बयानबाजी से होती है। ये नेता हैं पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन। रामजी लाल सुमन ने ही संसद में भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए कहा था, “ये राणा सांगा ही थे, जो कि इब्राहिम लोदी से लड़ने के लिए बाबर को भारत लाए थे। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं तो तुम लोग भी उस गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।”
राणा सांगा के बलिदान और शौर्य की अमर गाथा
राणा सांगा, जिनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, मेवाड़ के सिसोदिया वंश के एक महान शासक थे, जिन्होंने 1508 से 1528 तक शासन किया। वे न केवल राजपूतों के एकीकरण के प्रतीक थे, बल्कि विदेशी आक्रांताओं और सुल्तानों के खिलाफ उनके संघर्ष ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया।
राणा सांगा ने अपने जीवन में 18 बड़े युद्ध लड़े और अपने शरीर पर 80 से अधिक घाव खाए, फिर भी कभी हार नहीं मानी। उनकी वीरता का सबसे बड़ा प्रमाण बाबर के साथ 1527 में हुआ खानवा का युद्ध है।
राणा सांगा का संघर्ष सिर्फ बाबर तक सीमित नहीं था। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के सिकंदर खान लोदी, गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा और मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी जैसे शक्तिशाली आक्रान्ताओं को भी हराया था। एक आंख, एक हाथ और एक पैर खोने के बावजूद वे युद्धभूमि में डटे रहे, जो उनके अदम्य साहस को दर्शाता है।
जानिये बाबर को भारत में किसने बुलाया था
बाबर को भारत में दौलत खान लोदी ने बुलाया था। दौलत खान लोदी उस समय पंजाब का सूबेदार था और उसने इब्राहिम लोदी, जो दिल्ली सल्तनत का सुल्तान था,के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इब्राहिम लोदी की बढ़ती ताकत और अपने प्रभाव को कम होते देख दौलत खान ने बाबर से मदद मांगी। बाबर उस समय काबुल का शासक था और उसने इस अवसर का फायदा उठाया। बाबर ने 1526 में भारत पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप पानीपत की पहली लड़ाई हुई। इस लड़ाई में उसने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव रखी।
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