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औरंगजेब से अबु तक…

औरंगजेब ने 1658 से 1707 तक हिन्दुस्थान पर राज करते हुए यहां के आम नागरिकों के साथ इस्लामी क्रूरता में सना बेलगाम अत्याचार किया था।

by WEB DESK
Mar 24, 2025, 10:28 am IST
in भारत, विश्लेषण

मुगल शासक अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद या आलमगीर या औरंगजेब ने 1658 से 1707 तक हिन्दुस्थान पर राज करते हुए यहां के आम नागरिकों के साथ इस्लामी क्रूरता में सना बेलगाम अत्याचार किया था। सनातन को जड़ मिटाने की जैसे वह कसम खाए बैठा था, इसलिए एक के बाद एक, उसने हजार से ज्यादा भव्य मंदिरों को तोड़ा या उन्हें ‘मस्जिद’ की शक्ल दी। वही था जिसने काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, मथुरा और अयोध्या जैसे दिव्य स्थलों को दूषित किया, खंडित किया।

मुगल वंश का यह छठा राजा शाहजहां और मुमताज की चार औलादों में सबसे बड़ा था, जिस पर गद्दी पाने का ऐसा जुनून था कि उसके लिए उसने पिता को बंदी बनाने और भाई दारा शिकोह, फिर मुराद बख्श और शुजा को हलाक करने से भी गुरेज नहीं किया। इतिहास बताता है कि शायद ही किसी और मुगल ने उससे ज्यादा क्रूरता दिखाई थी।

इसी आतताई ने 1679 में हिंदुओं पर जजिया लगाया था, उनके अपने धर्मस्थलों पर जाने के लिए भी। लाखों हिंदुओं और सिखों को तलवार के बल पर इस्लाम अपनाने को मजबूर किया था। उसके काल में हिंदू त्योहार मनाने पर पाबंदी थी। इसी शैतान मुगल शासक ने सिख पंथ के 9वें गुरु श्री तेग बहादुर जी पर जबरन इस्लाम अपनाने का दबाव बनाया, लेकिन गुरु महाराज धर्म के पक्के रहे। हताश औरंगजेब ने 1675 में दिल्ली में चांदनी चौक में बीच चौराहे पर उनका सिर कलम करवा दिया।

इसी अत्याचारी जिहादी सोच के औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज पर भी जबरदस्त अत्याचार किए, जिसकी कुछ झलक हाल ही में प्रदर्शित छावा फिल्म में दिखाई गई है। संभाजी सनातन के सच्चे योद्धा थे, वे डिग सकते भी नहीं थे। इस्लाम और इस्लामी अत्याचारियों को उन्होंने दृढ़ता से नकारते हुए 40 दिन तक घोर प्रताड़ना सही। अंतत: हत्यारे मुगलों से लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए।

आश्चर्य की बात है कि हिन्दू बहुल भारत में ऐसे क्रूर मुगल के पैरोकार मुखर होकर उसकी पैरवी करते हैं। दरअसल ये वही लोग हैं जो भारत को अभारत बनाने पर तुले हैं, सनातन के विरोधी हैं और ‘संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का’ बताने वालों से नफरत का ईंधन पाते हैं। यही जमात है, जो आस्था और विकास पर चोट करने पर भी अपना ‘पहला हक’ मानती है। लेकिन आज वे चिह्नित होकर अधिकांश स्थानों पर कड़ा प्रतिकार झेल रहे हैं। फिर भी विदेशी हस्तकों अथवा देश में बैठे विध्वंसक दिमागों की शह पर हर भारत विरोधी गतिविधि में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। लेकिन अब जगह-जगह से दुत्कार खा रही यह जमात सिमटती जा रही है। इसका राष्ट्र विरोधी एजेंडा उजागर हो गया है।

Topics: मुगलमथुरा और अयोध्यासोमनाथपाञ्चजन्य विशेषmughal emperorकाशी विश्वनाथऔरंगजेब विवादऔरंगजेबमुहीउद्दीन मुहम्मदKashi Vishwanathआलमगीर या औरंगजेबअबू आजमीMuhiuddin MuhammadSomnathMathura and Ayodhyaमुगल शासकAlamgir or Aurangzeb
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