देहरादून: भारत सरकार अपने पड़ोसी देशों की तरह नेपाल सीमा पर भी तारबाड़ सड़क सुरक्षा योजना पर काम शुरू कर चुकी है। तो क्या इस योजना पर निश्चित मार्गों को खुली सीमा की तरह आवागमन के लिए खुला रखा जाएगा, बाकी क्षेत्रों को तारबाड़ से सील किया जाएगा?
जानकारी के अनुसार भारत का गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा से अब कोई समझौता नहीं करना चाहता। भारत ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के बाद बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान सीमाओं को तारबाड़ की दोहरी लाइन से सील करने का काम तेज किया है।
इन पड़ोसी देशों की तरह अब उत्तराखंड से बंगाल तक नेपाल की 1751 किमी सीमा को भी सुरक्षित करने की योजना पर काम तेज किया जा रहा है। यूपी, बिहार उत्तराखंड में अवांछित लोगों की घुसपैठ रोकने के लिए संवेदनशील स्थानों पर सड़क बनाने और उसके साथ-साथ तारबाड़ लगाने की योजना है। सड़क तारबाड़ योजना पर काम नो मेंस लैंड के बराबर में भारतीय सीमा पर किया जा रहा है। दो लेयर में लगाई जाने वाली इस तारबाड़ के बीच वाहनों, नागरिकों के गुजरने के लिए 7 मीटर चौड़ी सड़क बनाई जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, भारत नेपाल सीमा पर 635 किमी सड़क यूपी में, 564 किमी सड़क बिहार में और 173 किमी सड़क उत्तराखंड में बनाई जानी है। इस सड़क योजना की समीक्षा, पिछले दिनों लखनऊ में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने की थी। इसमें यूपी, बिहार और उत्तराखंड के उच्च अधिकारी मौजूद रहे थे।
सीमा रहेगी खुली, रास्ते करने होंगे तय
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा है, इसी तरह नेपाल और चीन के बीच भी खुली सीमा है। नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा का ब्रिटिशकाल से समझौता चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और रोटी-बेटी का रिश्ता है। भारत सरकार ने नेपाल सीमा को आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ी चुनौती माना है। चीन ने भारत नेपाल बॉर्डर पर अपनी गतिविधियों को तेज किया हुआ है। नेपाल ने अपनी सीमा से भारत पर निगरानी रखने के लिए थर्मल दूरबीन कैमरे लगा दिए हैं, जानकारी के मुताबिक, इन कैमरों का भारत ने विरोध किया था बावजूद इसके नेपाल की औली सरकार ने ये कैमरे लगाए हैं जो कि भारतीय क्षेत्र में बहुत अंदर तक नजर रख रहे है। जिसका डेटा संभवतः चीन तक पहुंच रहा है।
इसलिए भारत सरकार ने अब नेपाल सीमा पर अपने क्षेत्र में सड़क बनाने और साथ-साथ तारबाड़ लगाने का काम शुरू किया है। नेपाल के खुले बॉर्डर के स्वरूप को कुछ बदलाव के साथ कायम रखा जाएगा। भारत ने नेपाल जाने वाली सड़क गेट को खुला रखने के स्थान निर्धारित किए हैं, जो कि पहले भी तय है, शेष स्थानों को सील कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए उत्तराखंड में बनबसा बॉर्डर पर केवल शारदा पुल से होकर जाने वाली सड़क को ही खुला रखा जाएगा।
यहां नेपाल से आने जाने दोनों देशों के वाहनों और नागरिकों को एक सुरक्षा जांच के लिए बने कॉरिडोर से गुजरना होगा। यानि अब दोनों देशों का कोई भी नागरिक स्वयं नदी पार करके अथवा खेत खलियानों से होता हुआ भारत में प्रवेश नहीं ले सकेगा।
भारत इस सड़क का उपयोग नेपाल के साथ व्यापार के लिए करेगा और इस सड़क के जरिए सुरक्षा गश्त भी आसान होगी।जिससे राष्ट्र विरोधी, आतंकवादी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकेगी।
उत्तराखंड में मैदानी क्षेत्र में लगेगी तारबाड़
सूत्रों के मुताबिक, नेपाल सीमा पर सड़क तारबाड़ योजना के पहले चरण में उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र को भी शामिल किया गया है, यहां से कुल 173 किमी की सड़क पहाड़ी क्षेत्रों तक जाएगी। इसमें मैदानी क्षेत्र का तकरीबन 50 किमी का क्षेत्र आता है। उत्तराखंड और नेपाल को काली शारदा नदी विभाजित करती है, उत्तराखंड और नेपाल के बीच करीब 275 किमी लंबी सीमा है। मैदानी क्षेत्र में बहुत से स्थान ऐसे है जहां से राष्ट्र विरोधी तत्व घुसपैठ करते रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, सड़क मार्ग के अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में वन विभाग को तारबाड़ लगाकर पेड़ लगाने के लिए कहा जा रहा है।
नेपाल में राजनीतिक विरोध
नेपाल भारत सीमा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में भारत द्वारा लगाई जा रही सड़क तारबाड़ योजना का नेपाली कांग्रेस पार्टी (ए माले) नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देवपा ने विरोध किया है। अपनी जनसभाओं में वे इस मुद्दे पर मुखर होते दिखाई दे रहे है।
जबकि भारत का कहना है वो अपनी सीमा पर सड़क और तारबाड़ अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए लगा रहा है। सड़क बन जाने से दोनों देशों के बीच व्यापार भी बढ़ेगा, इससे खुली सीमा के समझौते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
भारत विरोधी तत्वों की सक्रियता
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नेपाल सीमा पर दिलशाद मिर्जा, यासीन भटकल,अब्दुल करीम दूंडा, जब्बार, जावेद कमाल, वसीम, टाइगर मेमन, बब्बर खालसा के सुखविंदर सिंह, भाग सिंह,अजमेर सिंह जैसे अपराधियों की हरकतों को यहां दर्ज किया है। गृह मंत्रालय ने इसके अलावा ड्रग्स, वन्यजीव अंगों की तस्करी, जाली करेंसी, बेशकीमती धातुओं और हथियारों की तस्करी के लिए भी नेपाल सीमा के दुरुपयोग को नोटिस किया है।
सीमा सशस्त्र बल, आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद ही भारत सरकार ने भविष्य की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में नेपाल सीमा को भी संवेदनशील मानते हुए यहां सड़क तारबाड़ से योजना पर काम शुरू किया है। शायद इसीलिए कहा भी जा रहा है कि नया भारत है।
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