आपने फेक कॉल सेंटर के बारे सुना होगा, जिसके जरिए लोगों से ठगी का वारदातों को अंजाम दिया जाता है। अब इंटरनेशनल टेलीफोन एक्सचेंज के बारे में जान लीजिए। इस टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ मेरठ पुलिस ने किया है, जो कि वीओआईपी कॉल्स को लोकल काल्स में बदलकर सरकार के राजस्व को नुकसान कर रहे थे। मामले में पुलिस ने जुनैद, शकीब, आरिस और आसिफ नाम के मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया गया है।
कैसे शुरू हुआ ठगी का ये खेल
ठगी के इस खेल की शुरुआत होती है उत्तराखंड के देहरादून से। जुनैद और जीशान के मन में टेलीफोन एक्सचेंज का ख्याल सबसे पहले आया। इन दोनों ने ही इसकी प्लानिंग की। इसके बाद इन सभी ने फंडिंग की तलाश शुरू की। इसके लिए हाजी इरफान ने इसमें 4 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया। हाजी इरफान को कमाई का 60 फीसदी मुनाफा देने का वादा किया गया था।
पैसे आने के बाद बारी थी टेक्निकल सपोर्ट की। इसके लिए इन ठगों ने आसिफ नाम के व्यक्ति से संपर्क किया। आसिफ की मदद से 3.45 लाख रुपए खर्च अवैध टेलीफोन एक्सचेंज तैयार किया गया। अब शाहरुख का नंबर आता है, उसने इस एक्सचेंज के लिए सिम कार्ड, सिम बॉक्स और बाकी जो भी तकनीकी मदद चाहिए थी, वो उपलब्ध कराई।
देहरादून में की टेस्टिंग
सारा कुछ सेट होने के बाद बारी आई टेस्टिंग की। इसके लिए इन सभी ने देहरादून को चुना। रिजवान नाम के एक अन्य आरोपी का देहरादून में घर है। वहीं पर ये फेक टेलीफोन एक्सचेंज सेट किया गया और टेस्टिंग शुरू हो गई। जब उन्हें वहां लगा कि अब तो ये मामला सेट हो गया है तो सभी ने एक साथ मिलकर अपने उस सेटअप को नवंबर 2024 में मेरठ के लखीसराय में शिफ्ट कर दिया। यहां इस एक्सचेंज को जुनैद के घर के ऊपरी मंजिल पर सेट किया गया।
कैसे होता था काम
इस अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का काम वीओआईपी कॉल्स को वॉयस कॉल्स में बदलना था। ये क्या करते थे कि ये इंटरनेशनल कॉल्स को लोकल कॉल्स में मर्ज कर देते थे। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पढ़ रहा था। खास बात ये है कि इस अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से ये हर दिन 20-25,000 कमाते थे। बहरहाल, इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि, शाहरुख, जीशान और हाजी इरफान फरार चल रहे हैं।
इन सभी के खिलाफ आईटी एक्ट, इंडियन टेलीफोन अधिनियम और बीएनएस की धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। पुलिस, अधिकारियों ने बताया है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बने हुए थे।
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