नई दिल्ली (हि.स.) । दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के आवास से कथित रूप से नकदी बरामद होने का मुद्दा आज राज्यसभा में गूंजा। सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को आश्वस्त किया कि इस मामले को सुलझाने के लिए एक संरचित चर्चा तंत्र की तलाश की जाएगी।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने आज सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि आज सुबह ही मैंने दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश के आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के बारे में समाचार पत्र में पढ़ा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले 50 सांसदों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के सम्बन्ध में एक नोटिस भी सौंपा था। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि सभापति खुद कई बार न्यायिक जवाबदेही की आवश्यकता की बातें कह चुके हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर नेता सदन को निर्देश भी दिया था। जयराम रमेश ने सभापति से अनुरोध किया कि वो न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने के लिए सरकार को प्रस्ताव लाने का निर्देश दें।
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह थोड़ी हैरानी वाली बात है कि नकदी मिलने वाली घटना हुई लेकिन यह तुरंत प्रकाश में नहीं आई। अगर इसी तरह की घटना किसी नौकरशाह, उद्योगपति या राजनेता के साथ हुई होती तो वह तुरंत लक्षित हो जाता। उन्होंने कहा कि इस समय नेता सदन यहां मौजूद नहीं हैं। हम नेता सदन और नेता विपक्ष तथा लब्ध प्रतिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा कर संरचनात्मक नतीजे की ओर बढ़ेंगे। मुझे यकीन है कि पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी प्रणालीगत प्रतिक्रिया जल्द ही सामने आएगी।
महाभियोग वाले मामले पर सभापति ने कहा कि उन्हें राज्यसभा के 55 सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त एक ज्ञापन प्राप्त हुआ है। उस पर हस्ताक्षर करने वालों से सत्यापन करवाने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं। कई सदस्यों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, लेकिन कइयों ने उनके हस्ताक्षर होने से इनकार किया है। सदस्यों को दूसरी बार ईमेल भेजे गए हैं, इसलिए वो जल्द अपने जवाब भेज दें। उन्होंने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों की संख्या 50 से अधिक होगी तो तो मेरे स्तर पर इस प्रक्रिया में एक क्षण का विलंब नहीं होगा।
उधर, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट के जिस न्यायाधीश के आवास पर कथित तौर पर यह नकदी मिली है, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें उनके पैतृक इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
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