कार्यक्रम के मंच पर (बाएं से) प्रो. केवी राजू , अवनीश कुमार अवस्थी एवं अमृत अभिजात
अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि कुंभ से प्रत्येक भारतीय के मन में एक अनोखी जागृति आई है। यह जागृति सबसे उत्कृष्ट और आध्यात्मिक शक्ति से परे है। बहुत से लोगों ने कहा कि वे 2001 से कुंभ में जा रहे हैं, लेकिन महाकुंभ 2025 का जो स्वरूप और भव्यता है, वह दुनिया में कहीं नहीं देखी गई। मेले में अलग—अलग विचारधाराओं के लोगों ने भाग लिया और इससे लाभान्वित हुए हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2047 तक विकसित भारत का जो लक्ष्य दिया है, महाकुंभ का आयोजन उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
अमृत अभिजात ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने जब महाकुंभ मेले की पहली बैठक की थी, उस समय ही यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि पुलिस और प्रशासन के लोगों के व्यवहार में परिवर्तन आना चाहिए। श्रद्धालु जब मेले में आएं तो पुलिस और प्रशासन के लोग स्वागत भाव से व्यवहार करें। मैं बताना चाहूंगा कि देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए लोगों ने पुलिस और प्रशासन ही नहीं, प्रयागराज के लोगों के व्यवहार की अत्यंत प्रशंसा की।
हम लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि 42 से 45 करोड़ लोग मेले में आएंगे। वर्ष 2019 के कुंभ मेले में 25 करोड़ लोग आए थे, लेकिन 2025 का महाकुंभ संपन्न होते-होते यह संख्या 66 करोड़ के पार चली गई। इस मेले का आयोजन कराने के लिए कुल 15 हजार करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई थी। इसमें करीब साढ़े 7 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने और 7 हजार करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की तरफ से आवंटित किए गए। 566 प्रोजेक्ट पर काम किया गया। 21 विभागों ने पूरी लगन और तन्मयता के साथ मेला संपन्न कराने में अपना योगदान दिया। 183 देशों से लोग प्रयागराज में डुबकी लगाने के लिए आए।
जिस तरीके से हमारी टेंट सिटी लोकप्रिय हुई है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि अलग माहौल बन सकता है क्योंकि अयोध्या में विकास अब हो चुका है। अब प्रयागराज को वह स्थान मिले जिसका कि वह हकदार है। प्रयागराज, चित्रकूट, काशी और अयोध्या एक नए सर्किट के तौर पर उभर कर हमारे सामने आए हैं। महाकुंभ की वजह से हम लोगों ने देखा कि प्रयागराज में जो श्रद्धालु स्नान करने आए थे— वे काशी और अयोध्या और चित्रकूट भी दर्शनों को गए। मैंने मेला क्षेत्र में किसी भी भाषा, प्रांत या अन्य प्रकार का भेदभाव नहीं देखा। ऐसी आस्था का कोई सानी नहीं है ।
इस सत्र में प्रो. केवी राजू ने कहा कि अभी तक के जो महाकुंभ और कुंभ आयोजित हुए हैं उनकी अपेक्षा इस बार के महाकुंभ में तकनीक की बहुत बड़ी भूमिका रही है। तकनीक के माध्यम से ही इस बार के महाकुंभ को दिव्य, भव्य और डिजिटल महाकुंभ बनाया जा सका। सभी विभागों ने बहुत ही कुशलता के साथ इस मेले को संपन्न कराया। प्रयागराज जनपद के आसपास के सभी गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ा गया है। ये सभी सड़कें बहुत अच्छे ढंग से बनी हुई हैं। यही कारण है कि महाकुंभ में आए हुए लाखों लोगों ने गांवों में ‘होम स्टे’ किया। गांवों से मेला क्षेत्र और शहर तक आवागमन की सुविधा बहुत अच्छी थी।
यह अनौपचारिक अर्थव्यवस्था है। लोग तो इससे समृद्ध हुए ही हैं। उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी। सुख संपन्नता आई। ऐसा अध्ययन है कि जब कहीं किसी तरह का बड़ा आयोजन होता है तो उस क्षेत्र के 100 से 150 किलोमीटर के दायरे में लोग लाभ कमाते हैं। इस बार प्रयागराज जनपद के आसपास के जनपदों में लोगों को महाकुंभ आयोजन के चलते आय प्राप्त हुई। महाकुंभ मेला, दुनिया का सबसे बड़ा मेला है। महाकुंभ के अवसर पर बहुत से लोग मिलते हैं। बहुत से परिवार आपस में बहुत वर्षों बाद मिलते हैं। यह मानवता का बहुत बड़ा मेला है। हालांकि मेला अब खत्म चुका है, लेकिन मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अच्छे प्रयासों और सुव्यवस्था के कारण लोग इतनी भारी संख्या में प्रयागराज पहुंचकर कुंभ स्नान कर सके।
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