गाजियाबाद के वसुंधरा में एक दिल दहला देने वाली घटना में, दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने वाली 29 वर्षीय शिक्षिका अन्विता शर्मा रविवार को अपने घर में मृत पाई गईं। उनके परिवार का आरोप है कि यह दहेज उत्पीड़न और ससुराल वालों की क्रूरता का परिणाम है। अन्विता ने अपने माता-पिता और भाई को व्हाट्सएप पर भेजे गए अंतिम संदेश में अपनी पीड़ा को साझा किया था, जिसमें उन्होंने अपने पति गौरव कौशिक और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए थे।
अन्विता की पीड़ा : “मैं और ताने सहन नहीं कर सकती”
अन्विता ने अपने संदेश में लिखा, “मैं अपने पति के तानों को और अधिक सहन नहीं कर सकती, जो मेरी हर बात में गलती निकालता था।” उन्होंने अपने ससुराल को “ऐसा परिवार जो सिर्फ लेना जानता है” करार देते हुए कहा, “उसने मुझसे नहीं, मेरी नौकरी से शादी की थी। मेरे पति को एक सुंदर, मेहनती और नौकरी करने वाली पत्नी चाहिए थी। मैंने अपनी तरफ से सब कुछ किया, लेकिन यह कभी पर्याप्त नहीं था।” उन्होंने आगे लिखा, “पिछले पांच वर्षों में मेरे पति ने जितना ताना दिया, उतना कोई सास भी नहीं दे सकती थी। वे सिर्फ एक काम करने वाली नौकरानी चाहते थे। मैं अब और झूठी खुशियों का नाटक नहीं कर सकती।” अपने पति के लिए अंतिम पंक्ति में उन्होंने लिखा, “मैंने खाना बना दिया है, गौरव कौशिक, कृपया इसे खा लेना।”
परिवार की गुहार : “हमारी बेटी को प्रताड़ित किया गया”
अन्विता के पिता अनिल शर्मा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न और अपनी बेटी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया, “हमने शादी में 26 लाख रुपये खर्च किए थे और ससुराल वालों को सोने-चांदी के आभूषणों सहित कई घरेलू सामान दिए थे। शादी के दौरान गौरव और उनके परिवार ने चार पहिया वाहन की मांग की थी, जिसे पूरा करने के लिए हमने एक नीली डिजायर कार खरीदी थी। लेकिन शादी के तुरंत बाद, उनके पति, ससुर और सास ने मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और अधिक दहेज की मांग करने लगे।”
अनिल शर्मा ने आगे कहा, “मेरी बेटी केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका थी, लेकिन उसकी पूरी सैलरी, चेकबुक और एटीएम कार्ड ससुराल वालों के कब्जे में थे। जब उसने इन्हें वापस मांगा, तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। 16 मार्च को उन्होंने मेरी बेटी को इतनी बुरी तरह से प्रताड़ित किया कि वह अपनी जान लेने को मजबूर हो गई।”
माँ की चिंता : “मेरे बच्चे का ध्यान रखना”
अन्विता, जो अपने चार वर्षीय बेटे की माँ थीं, ने अपने संदेश में अपने माता-पिता से गुहार लगाई, “कृपया मेरे बच्चे का ध्यान रखना। मैं इस दुनिया में सबसे ज्यादा अपने बेटे से प्यार करती हूँ, और मैं चाहती हूँ कि वह आपके पास ही रहे। मैं नहीं चाहती कि वह अपने पिता जैसा बने।” यह शब्द उनकी ममता और अपने बच्चे के भविष्य के प्रति गहरी चिंता को दर्शाते हैं।
घटना का विवरण
इंदिरापुरम एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि यह घटना रविवार दोपहर करीब 1:30 बजे हुई, जब गौरव और उनका बेटा घर से बाहर गए थे। अन्विता के परिवार ने संदेश मिलने के बाद उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन जवाब न मिलने पर उन्होंने गौरव को सूचित किया। गौरव घर लौटे, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजा न खुलने पर खिड़की की ग्रिल काटकर अंदर प्रवेश किया गया, जहाँ अन्विता मृत पाई गईं।
पुलिस कार्रवाई
पुलिस ने अन्विता के पति गौरव कौशिक, जो दिल्ली में डॉक्टर हैं, और उनके पिता सुरेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उनकी सास मंजू फरार हैं। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता), 80 (2) (दहेज मृत्यु के लिए सजा), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 352 (जानबूझकर अपमान करके शांति भंग करने की मंशा) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एक शिक्षिका का सपना टूटा
अन्विता अक्टूबर 2019 से केंद्रीय विद्यालय डल्लूपुरा में पीजीटी फाइन आर्ट्स शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं। उनकी शादी 12 दिसंबर 2019 को गौरव से हुई थी। एक मेहनती और शिक्षित महिला होने के बावजूद, उन्हें अपने ससुराल में सम्मान और प्यार के बजाय ताने और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। उनके परिवार का कहना है कि यह दुखद घटना दहेज प्रथा की क्रूरता का जीता-जागता सबूत है।
समाज के लिए सबक
अन्विता शर्मा की मौत ने एक परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया है और दहेज जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूकता की सख्त जरूरत को उजागर किया है। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि ऐसी प्रथाओं के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई और सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है। अन्विता की आवाज उनके अंतिम संदेश में गूंजती है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक ऐसी बेटियाँ अपनी जान गंवाती रहेंगी।
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