‘आध्यात्मिक और बौद्धिक पुनर्जागरण जरूरी’
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

‘आध्यात्मिक और बौद्धिक पुनर्जागरण जरूरी’

‘वैचारिक कुंभ’ सत्र में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव रिनपोछे जंगचुप चोएदेन ने सनातन धर्म और भारत की समावेशिता पर प्रकाश डाला। महाकुंभ सिर्फ धार्मिक समागम नहीं था, बल्कि भारत् की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक भव्य और विराट प्रदर्शन था। इसने भ्रम और नकारात्मकता के बीच भारत की गहन आध्यात्मिक विरासत की पुष्टि करते हुए जागृति की नई चेतना फैलाई है

by WEB DESK
Mar 18, 2025, 01:15 pm IST
in विश्लेषण, उत्तर प्रदेश
वैचारिक कुंभ सत्र में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव रिनपोछे जंगचुप चोएदेन के साथ बात करते वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा

वैचारिक कुंभ सत्र में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव रिनपोछे जंगचुप चोएदेन के साथ बात करते वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जे. नंदकुमार ने कुंभ मेले की ऐतिहासिक निरंतरता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक अविच्छिन्न आध्यात्मिक घटना है, जिसे अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता। हम एक भव्य घटना का विश्लेषण नहीं कर सकते, जो सदियों से अलग-थलग होकर चलती आ रही है। यह एक शाश्वत प्रवाह (अखंड प्रवाह) है, जो समय के साथ विकसित होता रहता है। कोई नहीं जानता कि इसकी शुरुआत कब हुई, लेकिन हम यह जानते हैं कि कुंभ मेला हिंदू और सनातन संस्कृति की अंतर्निहित एकता का प्रतिनिधित्व करता है, जो दुनिया को दृष्टि प्रदान करता है।

उन्होंने विस्तार से बताया कि कुंभ मेले ने किस तरह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हरिद्वार कुंभ में राष्ट्रवादियों और नानाजी देशमुख जैसी हस्तियों का जमावड़ा हुआ था, जहां कई लोगों को इसकी भावना से प्रेरणा मिली। स्वामी विवेकानन्द ने 1916 में कुंभ मेले को अपना पहला सामाजिक आउटरीच कार्यक्रम बनाया, जहां उनकी मुलाकात पूज्य श्रद्धानंद जी से हुई। यहां तक कि कुंभ मेले के दौरान हिंदू महासभा की पहली योजना बैठक में महात्मा गांधी ने भी भाग लिया था। कुंभ भारत की एकता और अखंडता से गहराई से जुड़ा है। इस भावना को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए पाञ्चजन्य और आर्गनाइजर की पहल बेहद सराहनीय है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय समाज प्रचार से नहीं, बल्कि विचार से प्रभावित होता है। हिंदू धर्म से जुड़ी सभी परंपराएं और प्रथाएं हमारे लिए निरंतर सीखने की प्रक्रिया का काम करती हैं। ‘हम सब एक हैं’ का विचार लोगों की चेतना में गहराई से समाया हुआ है और इस एकता को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रमों में भाग लेना एक स्वाभाविक झुकाव है। उन्होंने महाकुंभ में प्रज्ञा प्रवाह द्वारा जूना अखाड़े के साथ आयोजित बौद्धिक सभाओं जैसे युवा कुंभ, विद्युत कुंभ और ज्ञान कुंभ का उदाहरण दिया, जो हिंदू दार्शनिक प्रवचन को बढ़ावा देने में सहायक थे। महाकुंभ पिछले 2,000 वर्ष में पहला ऐसा आयोजन था, जिसमें सभी पारंपरिक अखाड़ों के बीच एक समर्पित बौद्ध अखाड़ा भी शामिल था।

आज आध्यात्मिक और बौद्धिक पुनर्जागरण की तत्काल आवश्यकता है। विचारशील प्रवचन और वैचारिक संवाद की परंपरा को निरंतर विकसित किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सनातन धर्म का सार जीवंत बना रहे और भविष्य को आकार देने में प्रभावशाली हो।

नंदकुमार को सम्मानित करतीं पार्श्व गायिका मालिनी अवस्थी एवं रिनपोछे जंगचुप चोएदेन को सम्मानित करते भारत प्रकाशन के प्रबंधक निदेशक अरुण गोयल

महाकुंभ जैसा आयोजन किसी देश ने नहीं किया

रिनपोछे जंगचुप चोएदेन ने सनातन धर्म के भीतर व्याप्त विविधता पर कहा कि शैव और वैष्णव जैसे संप्रदायों में धार्मिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की परंपराओं का सम्मान करते हैं, यही बात भारत को अद्वितीय बनाती है।

बौद्ध मत और सनातन धर्म को लेकर जारी भ्रांतियों पर उन्होंने कहा, भारत किसी भी अन्य देश से भिन्न है। इसके विचार, परंपराएं और दर्शन दुनिया भर में आस्था को प्रेरित करते हैं। भारत ने दुनिया को शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का जो विचार दिया है, वह इस भूमि को वास्तव में अद्वितीय बनाता है। भारत में वैचारिक मतभेद मौजूद हैं, लेकिन वे ‘व्यावहारिक समानता’ की अवधारणा के तहत सह-अस्तित्व में हैं।

उन्होंने भारत की समावेशिता की तुलना उन देशों से की, जहां केवल एक विचारधारा हावी है। उन्होंने कहा, अगर हम इस देश के नागरिकों के बीच एकता को बढ़ावा नहीं दे सकते, तो हम दूसरों से भी उम्मीद नहीं कर सकते कि वे ऐसा करें। इसे हासिल करने के लिए हमें अपने इतिहास और विरासत पर गर्व करना होगा।

भारत को ‘बौद्ध मत की मातृभूमि’ बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य राष्ट्र की तुलना में इसकी सांस्कृतिक विरासत बेजोड़ है। सनातन धर्म के भीतर विविधता है। शैव और वैष्णव जैसे संप्रदायों में धार्मिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की परंपराओं का सम्मान करते हैं, यही बात भारत को अद्वितीय बनाती है। कुछ संस्कृतियों के विपरीत, जहां मतभेद संघर्ष का कारण बनते हैं, भारतीय परंपराएं आपसी सम्मान और समझ पर पनपती हैं। हम वैचारिक मतभेदों के लिए हथियार लेकर एक-दूसरे के पीछे नहीं भागते, हम विविधता का सम्मान करते हैं और सह-अस्तित्व में विश्वास करते हैं।

उन्होंने ऐतिहासिक पुनर्जागरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हम अपने अतीत को भूलने का जोखिम नहीं उठा सकते। हमारी ताकत का राज मतभेदों के बावजूद एकता बनाने की क्षमता में निहित है। यह हमारी सच्चाई है और इसे बनाए रखने के अलावा हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। हम अक्सर पश्चिम की ओर देखते हैं और खुद को पिछड़ा हुआ मानते हैं। लेकिन अगर हम किसी चीज में अपना मन लगा लें, तो हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं। जिस विशाल पैमाने पर भारत ने महाकुंभ आयोजन किया, वह अभूतपूर्व है। किसी अन्य देश ने ऐसा कुछ नहीं किया है। अगर भारत यह हासिल कर सकता है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है। मानवता में नेतृत्व आत्मविश्वास पैदा करने की क्षमता से शुरू होता है। मानवता का नेतृत्व करने के लिए हमें उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि हम यह कर सकते हैं। यही एकता का सार है।

कुंभ मेले की मेरी यात्रा अविस्मरणीय थी। यह मेरी दूसरी यात्रा थी। पहली बार दलाई लामा के साथ त्र्यंबकेश्वर गया था। इस भव्य समागम में लोगों का सागर, जो पूरी तरह अनुशासन और बिना किसी अव्यवस्था के एक साथ आगे बढ़ रहा था, मंत्रमुग्ध कर देने वाला था।
उन्होंने कुंभ में मंडला प्रदर्शन और भिक्षुओं द्वारा संचालित अनुष्ठानों की तुलना दलाई लामा द्वारा आयोजित कालचक्र दीक्षाओं से करते हुए कहा कि कुंभ के बारे में अनोखी बात यह है कि यह किसी भी बौद्ध आध्यात्मिक समागम से एक लाख गुना बड़ा है। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, कुंभ की विरासत एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करेगी। यह दुनिया को देश के सांस्कृतिक लचीलेपन, आध्यात्मिक गहराई और एकता की स्थायी भावना की याद दिलाती है।

Topics: ‘आध्यात्मिक और बौद्धिक पुनर्जागरण जरूरी’ कुंभ मेला हिंदूभारतीय स्वतंत्रता आंदोलनभारत की समावेशिता की तुलनाऐतिहासिक पुनर्जागरणजे. नंदकुमारसनातन संस्कृतिपाञ्चजन्य विशेष
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies