‘जैसी करनी, वैसी भरनी’, मतलब ये कि जो जैसा करता है अंत में उसके साथ भी वैसा ही होता है। पाकिस्तान ने पीओके पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए वहां के आम लोगों पर जमकर अत्याचार किए। लेकिन अब जब वहां के लोगों ने उसकी इन हरकतों के खिलाफ एक्शन लिया तो वो भारत को इसके लिए दोषी कहने लगा। पाकिस्तान ने ट्रेन हाईजैक के लिए भारत को दोष देने की कोशिश की, लेकिन भारत ने करारी बेइज्जती कर दी। भारत सरकार ने दो टूक कहा कि पूरी दुनिया को इस बात का पता है कि आतंकवाद का केंद्र कहां है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए कहा कि उसे अपनी असफलता का दोष दूसरों पर नहीं मढ़ना चाहिए। ऐसा करने की जगह उसे खुद की स्थिति का आकलन करना चाहिए।
कश्मीर के मुद्दे पर भी लगाई लताड़
पाकिस्तान की सबसे बड़ी आदत ये है कि वो अपने देश के असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बार-बार कश्मीर के मुद्दे को उठाता है। इस बार भी उसने संयुक्त राष्ट्र कश्मीर के मुद्दे को उठाया। लेकिन, वहां भी भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा के लिए भारत का अभिन्न अंग था है और रहेगा।
क्या है पूरा मामला
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ट्रेन का अपहरण करने वाले बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने सभी 214 बंधकों को मारने का दावा किया है। शुक्रवार को जारी एक बयान में बीएलए ने कहा कि मारे गए सभी बंधक पाकिस्तानी सेना के सैनिक थे। मंगलवार को बलूच विद्रोहियों ने बलूचिस्तान के बोलन दर्रे के पास क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का अपहरण किया। ट्रेन में 450 से अधिक लोग थे, लेकिन बीएलए ने बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को जाने दिया।
बीएलए का कहना था कि उनके कब्जे में 214 पाकिस्तानी सैनिक थे। पाकिस्तानी सेना ने बुधवार रात बंधकों की रिहाई का दावा किया और कहा कि इस ऑपरेशन में 33 बीएलए लड़ाके मारे गए। सेना ने यह भी कहा कि सभी बंधकों को सुरक्षित बचा लिया गया। हालांकि, सेना ने बंधकों की रिहाई या बीएलए को हुए नुकसान का कोई वीडियो या फोटो नहीं जारी किया।
अगले दिन, बीएलए ने पाकिस्तानी सेना के दावों को झूठा बताते हुए कहा कि बंधक अब भी उनके कब्जे में हैं। अब अपनी इस नाकामी का ठीकरा भारत के सिर पर फोड़ने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा है।
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