त्बिलिसी, (हि.स.)। दक्षिण काकेशस क्षेत्र के दो पड़ोसी देशों, आर्मेनिया और अजरबैजान ने लगभग चार दशक लंबे संघर्ष को समाप्त करने के लिए शांति समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है। यह समझौता वर्षों से चल रही तनावपूर्ण वार्ताओं में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में पुष्टि की कि शांति समझौता हस्ताक्षर के लिए तैयार है। मंत्रालय ने कहा, “गणराज्य आर्मेनिया समझौते पर हस्ताक्षर की तिथि और स्थान को लेकर गणराज्य अजरबैजान के साथ विचार-विमर्श शुरू करने के लिए तैयार है।”
इसी तरह, अजरबैजान के विदेश मंत्रालय ने भी वार्ता के सफल समापन की पुष्टि की और कहा, “हम इस बात से संतुष्ट हैं कि शांति और अंतरराज्यीय संबंधों की स्थापना पर मसौदा समझौते पर वार्ता पूरी हो गई है।”
उल्लेखनीय है कि 1980 के दशक के अंत में नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। यह क्षेत्र, जो अजरबैजान का हिस्सा था, लेकिन जिसमें बहुसंख्यक जातीय अर्मेनियाई रहते थे, आर्मेनिया के समर्थन से अजरबैजान से अलग हो गया था। इस विवाद ने हजारों लोगों की जान ली और लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
सितंबर 2023 में अजरबैजान ने सैन्य कार्रवाई के माध्यम से नागोर्नो-कराबाख पर फिर से कब्जा कर लिया, जिसके बाद लगभग 1,00,000 अर्मेनियाई लोग शरण लेने के लिए आर्मेनिया चले गए। इसके बाद से दोनों देशों के बीच शांति वार्ता जारी थी, लेकिन यह प्रक्रिया अक्सर रुकावटों और तनाव से भरी रही।
हालांकि दोनों देशों ने शांति समझौते की इच्छा जताई है, लेकिन उनके बीच 1000 किलोमीटर लंबी सीमा अब भी बंद और सैन्यीकृत बनी हुई है। जनवरी में, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आर्मेनिया पर “फासीवादी खतरा” होने का आरोप लगाया था, जिसे आर्मेनिया ने संभावित युद्ध को सही ठहराने की कोशिश बताया था।
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