उत्तर प्रदेश के लखनऊ में महाकुंभ पर आयोजित पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर के ‘मंथन’ कार्यक्रम में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर और ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल केतकर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की। सीएम योगी ने कई सवालों के बेबाकी से जवाब दिए। ‘कुछ लोगों की श्रद्धा औरंगजेब पर अटकी हुई है, नाम तैमूर रखेंगे, इसी पर अड़े हुए हैं। उस श्रद्धा का क्या करेंगे, जो व्यवस्था में आने को तैयार नहीं है ?’ सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जब हम भारत की आस्था की बात करते हैं तो हमें याद रखना चाहिए कि भारत की आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले को अंतत: डूबना ही पड़ा है। उसके लिए इस धरती पर कोई जगह नहीं बचेगी। ऐसे लोगों की बड़ी दुर्गति हुई है, क्योंकि सनातन धर्म की परंपरा तो साक्षात जगतनियंता की सृष्टि है।
सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ के इस आयोजन की बात करें तो संस्कृति भी सभ्यता की माध्यम बन सकती है, ये हमने सिद्ध किया। बिना भेदभाव के आस्था आजीविका का आधार बन सकती है। हजारों की संख्या में टैक्सी और बस चालक हैं या फिर हवाई जहाज का पायलट, व्यापारी, कर्मचारी हैं, कोई किसी की जाति नहीं देख रहा है।
जहां तक भारत की सनातन परंपरा पर सवाल उठाने वालों के नजरिए की बात करें तो ऐसे लोगों को उसकी दुर्गति भी देखनी चाहिए। मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति ही औरंगजेब को अपना आदर्श बनाएगा। मुझे नहीं लगता है कि दिमागी तौर पर परिपक्व, बुद्धिमान व्यक्ति औरंगजेब जैसे क्रूर व्यक्ति को अपना आदर्श मानता हो। अगर यह सच है कोई व्यक्ति अपने पूरे विवेक के साथ ऐसा करता है तो उसे सबसे पहले अपने बेटे का नाम औरंगजेब ही रखना चाहिए। साथ ही औरंगजेब ने जो शाहजहां के साथ किया, उसके लिए भी तैयार होना चाहिए।
इस जैसा कम्बख्त पुत्र किसी को पैदा न हो
सीएम योगी ने कहा कि औरंगजेब के बारे में स्वयं शाहजहां लिखता है कि इस जैसा कम्बख्त पुत्र किसी को पैदा न हो। शाहजहां औरंगजेब को कोसते हुए कहता है कि तुझसे अच्छा तो वो हिन्दू है, जो जीते जी तो अपने बुजुर्ग मां बाप की सेवा करता है और मरने के बाद वर्ष में एक बार श्राद्ध और तर्पण के जरिए अपने पितरों को जल देता है। तुझ जैसे कम्बख्त ने तो मुझे एक-एक बूंद जल के लिए तरसाया। कहते हैं कि आगरा के किले में औरंगजेब ने शाहजहां को कैद करके रखा था, एक छोटे से मिट्टी के घड़े में 24 घंटे के लिए जल मिलता था।
औरंगजेब ने भाइयों का कत्लेआम किया
तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गई। औरंगजेब वही व्यक्ति है, जिसने अपने भाइयों का कत्लेआम किया था। इसलिए अगर किसी को औरंगजेब पसंद है तो बहुत शान के साथ अपने परिवार और बच्चों का नाम उसके नाम पर रखें। उन्हें मेरी तरफ से शुभकामनाएं। ये नया भारत है जो देश की आस्था का सम्मान करना जानता है। नया भारत खुद को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर स्थापित करना भी जानता है। भारत के अंदर इसकी आस्था को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को जबाव देना भी जानता है। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना और 2025 में महाकुंभ का आयोजन होना इस बात का उदाहरण है कि ऐसे तत्वों को आने वाले वक्त में ऐसे और उदाहरण देखने को मिलेंगे।
भारत से निकलेगा विश्व के कल्याण का मार्ग
पीएम मोदी के नेतृत्व में नया भारत विकसित भारत बनने की दिशा में अग्रसर हो चुका है। विश्व के कल्याण का मार्ग यहीं से प्रशस्त होकर गुजरेगा। हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने बहुत ही महत्वपूर्ण बयान दिया था कि अगर मेरे डीएनए की जांच होगी तो मेरा भारतीय डीएनए होगा। भारत की बुराई करने वालों को अपने डीएनए की जांच करके बोलना चाहिए। विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करना बंद करें। अन्यथा संभल जैसा सच सामने आएगा तो कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे। संभल के बारे में मैं एक बात कहूंगा, मैं एक योगी हूं और सभी मत, मजहब, पंथ और संप्रदाय का सम्मान करता हूं। मैं किसी से भेदभाव नहीं करता। लेकिन, जबरन किसी पर कब्जा करके उसकी आस्था को ठेस पहुंचाएं, ये स्वीकार्य नहीं है।
संभल की एक सच्चाई है
सीएम योगी ने कहा कि संभल की एक सच्चाई है। उस सच्चाई को इस रूप में हम बोलना चाहेंगे कि संभल के बारे में उसके जो उद्धरण आते हैं, आज से 3500 वर्ष से लेकर 5000 वर्ष पहले तक जिन पुराणों की रचना हुई थी, उनमें भी संभल का उल्लेख मिलता है। जिसमें कहा गया है कि भगवान विष्णु का दशवां अवतार भगवान कल्कि के रूप में होगा। इस्लाम का उदय हुए 1400 वर्ष हुए हैं। 1526 में संभल में भगवान विष्णु का मंदिर तोड़ा गया। इसके बाद 1528 में अयोध्या में राम मंदिर तोड़ा गया। दोनों ही जगहों पर ये कुकृत्य मीर बाकी ने किए थे।
संभल एक तीर्थ रहा है। संभल में सभी तीर्थ रहे हैं। अभी हम केवल 18 निकाल पाए हैं। 19 कूप थे, जिन्हें अपने पता कर लिया है। 56 साल के बाद वहां भगवान शिव के मंदिर में जलाभिषेक हुआ। जाति के नाम पर बांटने का ठेका लिए लोग आखिर अब तक क्या कर रहे थे।
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