पेरिस में यूक्रेन—रूस युद्ध के संदर्भ में 30 से अधिक देशों के नाटो और सैन्य नेतृत्व की बैठक हुई। यह बैठक फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा पिछले कुछ दिनों से यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयासों का निष्कर्ष कही जा सकती है। बैठक में यूक्रेन की सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन को सुरक्षा का आश्वासन प्रदान करना था। खासकर, रूस के साथ संभावित युद्धविराम समझौते के बाद। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस बैठक की अध्यक्षता की, उन्होंने नाटो सैन्य कमान के साथ समन्वय करके इस महत्वपूर्ण प्रयास का अमली जाता पहनाया था।
बैठक में यूरोप और नाटो नेताओं सहित सैन्य प्रमुखों ने अपने अपने विचार रखते हुए यूक्रेन और युद्ध के लगभग तीन वर्ष से चले आ रहे युद्ध के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। बैठक में ब्रिटेन और तुर्की भी शामिल थे। फ्रांस के रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह बैठक यूक्रेन की सेना के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण है और हम सब इस बात पर सहमत हैं कि संषर्षविराम की सूरत में यूक्रेन के किसी भी प्रकार के निरस्त्रीकरण को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

उपस्थित शीर्ष नेताओं और सैन्य अधिकारियों ने बैठक में यूक्रेन और अमेरिका के बीच हुए युद्धविराम समझौते पर भी चर्चा की। सऊदी अरब में अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद, यूक्रेन ने 30 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। इस समझौते के तहत, अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने अमेरिका के साथ हुए समझौते को सकारात्मक कदम बताया और कहा कि यह युद्धविराम प्रस्ताव मिसाइलों, ड्रोन और बमों को रोकने के साथ-साथ काला सागर और पूरे मोर्चे पर लागू होगा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अब गेंद रूस के पाले में है जिसे इस प्रस्ताव को स्वीकार करना होगा।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने अमेरिका के साथ हुए समझौते को सकारात्मक कदम बताया और कहा कि यह युद्धविराम प्रस्ताव मिसाइलों, ड्रोन और बमों को रोकने के साथ-साथ काला सागर और पूरे मोर्चे पर लागू होगा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अब गेंद रूस के पाले में है जिसे इस प्रस्ताव को स्वीकार करना होगा।
पेरिस बैठक में यूरोपीय और नाटो देशों के सैन्य प्रमुखों ने यूक्रेन को सुरक्षा आश्वासन देने के लिए एक संयुक्त सुरक्षा बल के गठन पर भी चर्चा की। फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस प्रयास का नेतृत्व किया और कहा कि यूरोपीय सैनिकों को शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद ही यूक्रेन में तैनात किया जाएगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोप की रक्षा रणनीति को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यूरोप को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए तैयार रहना चाहिए, खासकर जब बाहरी समर्थन के बारे में कुछ ठोस कह पाना मुश्किल दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांस अपने परमाणु प्रतिरोध के यूरोपीय साझेदारों तक विस्तार करने पर विचार करेगा।
जैसे पहले बताया, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन को सुरक्षा आश्वासन प्रदान करना तो था ही, साथ ही यह वर्तमान भूराजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यूरोप की रक्षा को मजबूत करने पर चर्चा के लिए भी आयोजित की गई थी। यूरोप और नाटो के देशों पर अब यूक्रेन के लिए संयुक्त सुरक्षा बल का खाका तैयार करने और उस पर सबकी सहमति लेने की बड़ी जिम्मेदारी है। इस बैठक से निश्चित रूप से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की आत्मविश्वास में कुछ मजबूती महसूस कर रहे हैं, विशेष रूप से गत दिनों व्हाइट हाउस के ओवल आफिस में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुई अपनी तीखी नोकझोंक और अमेरिका की त्योरियां चढ़ने के बाद।
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