क्वेटा। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बलूच रिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने मंगलवार को एक पैसेंजर ट्रेन पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया। बलूच विद्रोहियों के इस हमले में 30 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं और कई अन्य घायल हुए हैं। ट्रेन क्वेटा से पेशावर जा रही थी। जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर बीएलए ने 500 यात्रियों को बंधक बना लिया है, जिसमें पाकिस्तान सेना के अधिकारियों और सैनिकों की संख्या अधिक है । बीएलए ने पाकिस्तान सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि पाकिस्तान सेना ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा। पाकिस्तान और चीन को यह भी अल्टीमेटम दिया है कि जान बचाना चाहते हैं तो दोनों बलूचिस्तान छोड़कर चले जाएं।
क्वेटा से पेशावर जा रही इस 9 कोच वाली ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। विद्रोहियों ने ट्रेन को एक सुरंग में विस्फोट और गोलीबारी के माध्यम से रोका, जिससे ट्रेन चालक घायल हो गया। बीएलए ने दावा किया है कि उन्होंने 30 से अधिक सैन्य कर्मियों को मार दिया है और यदि सैन्य हस्तक्षेप जारी रहा तो बंधकों को मारने की धमकी दी है। फिलहाल यह ट्रेन हाईजैक के बाद सुरंग के पास खड़ी है। बीएलए की ओर से जारी एक बयान में पाकिस्तान की शहबाज सरकार को अल्टीमेटम दिया गया है कि यदि उनके खिलाफ एयरस्ट्राइक जारी रही, तो सभी बंधकों की हत्या कर दी जाएगी।
बलूच कैदियों को रिहा करने की मांग
यदि बलूच कैदियों और जबरन गायब किए गए लोगों को तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो पाकिस्तान को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।संगठन ने दावा किया कि इस हमले के दौरान उसने एक पाकिस्तानी सैन्य ड्रोन को भी मार गिराया है। विद्रोहियों ने चीन को भी चेतावनी दी है कि वह बलूचिस्तान छोड़कर चला जाए।
बलूचिस्तान छोड़कर जाए पाकिस्तान
बीएलए का कहना है कि उसने भीषण झड़प के दौरान पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया है। संगठन का दावा है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की मौजूदगी पूरी तरह से अस्वीकार्य है और उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए। इसके अलावा, बीएलए ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट को भी बंद करने की मांग की है।
बंधकों को पहाड़ी इलाके में ले गए
पाकिस्तानी मीडिया समूह जीयो न्यूज के मुताबिक ट्रेन के बंधकों को छुड़ाने का सेना का अभियान बुधवार को भी जारी है। रेलवे अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि जफर एक्सप्रेस से बचाए गए 57 यात्रियों को बुधवार सुबह क्वेटा पहुंचाया गया। बचाए गए 23 अन्य यात्री मच्छ में हैं। इन बचाए गए यात्रियों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने कहा है कि अपहर्ता जाफर एक्सप्रेस के कई यात्रियों को ट्रेन से उतारकर पहाड़ी इलाके में ले गए हैं।
मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा पाकिस्तान
बीएलए लंबे समय से बलूचिस्तान की आजादी की मांग करता रहा है। यह संगठन पाकिस्तान पर आरोप लगाता है कि वह बलूच समुदाय के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है और वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। संगठन ने कई बार चीन और पाकिस्तान की संयुक्त परियोजनाओं को निशाना बनाया है, खासकर सीपीईसी को, जिसे बीजिंग और इस्लामाबाद दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्या है बीएलए की मांग
बलूचों को पहली और सबसे बड़ी मांग है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान की किसी भी एजेंसी का कोई प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए। संगठन का मानना है कि चीन के साथ सीपीईसी प्रोजेक्ट से बलूचिस्तान की खनिज संपदा का लगातार दोहन हो रहा है और इसके चलते बड़ी संख्या में बलूच समुदाय के लोग विस्थापित हुए हैं। बलूच इस प्रोजेक्ट के यहां से हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान की जेलों में बंद अपने साथियों को तत्काल रिहा करने की भी मांग कर रहे हैं। अपनी इन मांगों को लेकर बीएलए पिछले कई सालों से पाकिस्तान पर हमले करता रहा है।
कब हुई बीएलए की स्थापना
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय से ही बलूचिस्तान के लोगों का मानना था कि वह स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता चाहता था लेकिन उसे जबर्दस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। यह असंतोष समय के साथ बढ़ता गया और बलूचिस्तान की आजादी की मांग को लेकर कई संगठनों के बीच बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सबसे ताकतवर बनकर उभरा। माना जाता है कि 1970 में इस संगठन की नींव पड़ी और जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार खिलाफ बलोचों ने सशस्त्र विद्रोह की शुरुआत कर दी। 26 अगस्त 2006 को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में बीएलए के प्रमुख नेता रहे बलोचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार अकबर खान बुगती की हत्या ने बीएलए के गुस्से को और भड़का दिया।
(इनपुट हिंदुस्थान समाचार)
टिप्पणियाँ