एक शिविर में मरीज देखते चिकित्सक, नेशनल मेडिकोज आर्गनाइजेशन,
गत दिनों दिल्ली में ‘इंद्रप्रस्थ चिकित्सा सेवा यात्रा’ हुई। इसके अंतर्गत दिल्ली की सेवा बस्तियों (जिन्हें बोलचाल की भाषा में झुग्गी बस्ती कहते हैं) में एक ही दिन में 503 स्वास्थ्य शिविर लगाए गए। नेशनल मेडिकोज आर्गनाइजेशन (एन.एम.ओ.) और सेवा भारती की मदद से लगाए गए इन शिविरों में 42,000 से अधिक लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर उन्हें आवश्यक दवाइयां दी गईं।
एन.एम.ओ., दिल्ली प्रदेश के प्रचार प्रमुख और जाने-माने सर्जन डॉ. शैलेश कुमार ने बताया, ‘‘इस सेवा यज्ञ को सफल बनाने में दिल्ली के 800 चिकित्सकों, 1,200 मेडिकल छात्रों और 1,000 नर्सिंग स्टाफ ने आहुतियां दीं। यह सेवा यात्रा प्रतिवर्ष होती है। इस बार छठी सेवा यात्रा हुई। इस यात्रा का उद्देश्य है स्वास्थ्य सुविधाओं को समाज के वंचित वर्ग तक पहुंचाना।’’
इस अभियान के अंतर्गत न केवल रोगियों का उपचार किया जाता है, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी किया जाता है। इसके साथ ही लोगों को स्वच्छता, पोषण और बीमारी की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। तनाव और मानसिक विकारों से निपटने के लिए सलाह और सहयोग दिया जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि एन.एम.ओ. दीर्घकालिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना पर भी विचार कर रहा है, ताकि लोगों को नियमित रूप से चिकित्सा सेवाएं मिल सकें। इन शिविरों में प्राथमिक चिकित्सा, बच्चों का टीकाकरण, महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच और बुजुर्गों के लिए विशेष सेवाएं प्रदान की जाती हैं। डॉ. शैलेश के अनुसार , ‘‘समाज में समरसता स्थापित हो, बीमारियों का उपचार हो व चिकित्सक समाज में सेवा-भाव बढ़े, इसी विचार से प्रारंभ हुई है यह सेवा यात्रा।’’
दिल्ली में 1,100 से अधिक सेवा बस्तियां हैं। इनमें लाखों लोग बेहद कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन-यापन करते हैं। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता व जल जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी झेलनी पड़ती है। ऐसे स्थानों पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता के चलते सामान्य बीमारियां भी गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। बच्चों में कुपोषण, महिलाओं में एनीमिया अत्यधिक प्रचलित हैं। इसके अतिरिक्त इन सेवा बस्तियों में जागरूकता का भी अभाव है। स्वच्छता व पोषण संबंधित जानकारी की कमी के चलते बीमारियों का प्रकोप अधिक रहता है।
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