प्रतीकात्मक तस्वीर
ब्रिटेन जो कभी अपनी सांस्कृतिक एकता और इतिहास के लिए जाना जाता था, आज बदलती डेमोग्राफी और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहा है। केवल ब्रिटेन ही नहीं अधिकतर पश्चिमी देशों ने उदार बनने के चक्कर में मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां पनाह दी, जिसका खामियाजा अब उन्हें भुगतना पड़ रहा है। जर्मनी,स्वीडन, ब्रिटेन,फ्रांस, स्पेन हो या इटली सभी जगह हाल ऐसा ही है। इन सभी देशों बीते कुछ सालों में इस्लाम का वो रूप देखा है, जिससे अब इन्हें अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है। अगर ब्रिटेन की ही बात करें तो पिछले कुछ दशकों में इस्लामिक जनसंख्या में तेजी से वृद्धि ने न केवल ब्रिटेन के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है। इसने ग्रूमिंग गैंग जैसे गंभीर मुद्दों को भी जन्म दिया है।
हालात ये है कि सीरिया, पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों से ब्रिटेन पहुंचे मुस्लिम वहां की श्वेत लड़कियों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन श्वेत लड़कियों में अधिकतर की उम्र 15 साल से नीचे की होती है। इसके लिए मौजूदा कीर स्टार्मर सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि सरकार अपनी कथित वैश्विक इमेज को बचाए रखने के लिए ग्रूमिंग गैंग के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उल्टे इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों के ही खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
ब्रिटिश गवर्नमेंट के इस रवैये का असर वहां की डेमोग्राफी पर पड़ा है। ब्रिटेन, जहां की मूल भाषा अंग्रेजी है, उसी ब्रिटेन में कई इलाके ऐसे हो गए हैं, जहां अब अंग्रेजी नहीं उर्दू और सोमाली भाषा चलने लगी है। ये दावा रेडियो जेनोआ ने किया है। एक्स हैंडल ने दावा किया कि इस्लाम इंग्लैंड को इंच दर इंच निगलता जा रहा है।
हैंडल ने एक वीडियो शेयर किया, जो कि इंग्लैंड के ही लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम का है, जहां मुस्लिमों को इफ्तार पार्टी करते दिखाया गया है। ये दिखाता है कि किस तरह से इस्लामवादी ब्रिटेन में हावी होते जा रहे हैं।
पिछले 20 सालों में ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2001 में जहां मुस्लिम जनसंख्या लगभग 1.6 मिलियन थी, वहीं 2021 तक यह बढ़कर 3.9 मिलियन हो गई। यह कुल जनसंख्या का लगभग 6.5% है। यह वृद्धि मुख्य रूप से आप्रवासन और उच्च जन्म दर के कारण हुई है। लंदन, बर्मिंघम और मैनचेस्टर जैसे शहरों में मुस्लिम समुदाय का प्रभाव स्पष्ट दिखता है। लेकिन इस बदलाव के साथ ही सामाजिक तनाव और सांस्कृतिक टकराव भी सामने आए हैं।
ग्रूमिंग गैंग का मुद्दा ब्रिटेन में पिछले दो दशकों से सुर्खियों में है। ये संगठित गिरोह, जो ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम पुरुषों से जुड़े हैं, कम उम्र की लड़कियों को निशाना बनाते हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं—85% पीड़ित श्वेत लड़कियां है, जबकि 85% अपराधी एशियाई मुस्लिम मूल के। रोदरहैम, रोशडेल और ऑक्सफोर्ड जैसे शहरों में हुए स्कैंडल्स ने हजारों लड़कियों की जिंदगी तबाह कर दी। 1997 से 2013 तक अकेले रोदरहैम में 1400 से ज्यादा नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण हुआ। ये गैंग दोस्ती, ड्रग्स और धमकियों के जरिए लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं, फिर उनका शोषण करते हैं।
खास बात ये है कि इस समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। पुलिस और प्रशासन भी “नस्लीय संवेदनशीलता” के नाम पर कार्रवाई से बचता रहा। जब ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने 2023 में एक विशेष टास्क फोर्स बनाई, जिसने 550 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया। हालांकि ये नाकाफी था। लेकिन सुनक की सरकार जाते ही कीर स्टार्मर पीएम बने और वो तो इन सब पर कार्रवाई करने की जगह इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए काउंसिल बना रहे हैं।
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