न्यूयॉर्क । आतंकवाद और हिंसा की आग में जलते पाकिस्तान को लेकर अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत-पाकिस्तान सीमा, नियंत्रण रेखा के आसपास के क्षेत्रों, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों की यात्रा से साफ मना करते हुए एक ताजा ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है। यह कदम उस देश के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है, जो आतंकवाद को पनाह देने और चरमपंथ को बढ़ावा देने के लिए कुख्यात है।
पाकिस्तान : आतंक का गढ़
अमेरिकी एडवाइजरी में साफ कहा गया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी हमले और सशस्त्र संघर्ष का खतरा मंडरा रहा है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांत आतंक का अड्डा बन चुके हैं, जहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे संगठन बेरोकटोक हिंसा फैला रहे हैं। इन इलाकों में न सिर्फ आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है, बल्कि पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों की भी जान लेने में ये संगठन पीछे नहीं हट रहे। एडवाइजरी में चेतावनी दी गई है कि आतंकवादी बिना किसी पूर्व सूचना के परिवहन केंद्रों, बाजारों, शॉपिंग मॉल, सैन्य ठिकानों, हवाई अड्डों, स्कूलों, अस्पतालों और पूजा स्थलों पर हमला कर सकते हैं।
पाकिस्तान यात्रा पर करें पुनर्विचार
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने नागरिकों से अपील की है कि वे पाकिस्तान की यात्रा पर पूरी तरह पुनर्विचार करें। एडवाइजरी में कहा गया, “पाकिस्तान में हिंसक चरमपंथी तत्व लगातार हमले की साजिश रच रहे हैं। आतंकवाद और हिंसा के चलते नागरिकों, सैन्य और पुलिस ठिकानों पर अंधाधुंध हमले हो रहे हैं।” यह बयान उस देश के लिए करारा तमाचा है, जो दशकों से आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे संरक्षण देने का दोषी रहा है।
आतंक का केंद्र : बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा
पाकिस्तान के ये दोनों प्रांत हाल के महीनों में खूनखराबे का पर्याय बन गए हैं। तहरीक-ए-तालिबान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों ने इन इलाकों को जंग का मैदान बना दिया है। इन आतंकी समूहों ने न सिर्फ आम लोगों की जिंदगी को नरक बना दिया है, बल्कि पाकिस्तानी सेना और पुलिस को भी अपने निशाने पर लिया है। यह स्थिति उस देश की नाकामी को उजागर करती है, जो अपनी जमीन पर आतंकवाद को काबू करने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है।
वैश्विक आतंक सूचकांक में शर्मनाक स्थिति
ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में पाकिस्तान को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आतंक प्रभावित देश बताया गया है। 163 देशों के इस सर्वेक्षण में 99.7 प्रतिशत वैश्विक आबादी को शामिल किया गया था। यह आंकड़ा साफ करता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का एक वैश्विक केंद्र बन चुका है, जहां से न सिर्फ अपने नागरिकों के लिए खतरा पैदा हो रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती है।
पाकिस्तान की नाकामी पर सवाल
अमेरिका की यह एडवाइजरी पाकिस्तान की उस छवि को और गहरे रंग देती है, जो आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के तौर पर जानी जाती है। यह सवाल उठता है कि एक ऐसा देश, जो अपनी जमीन पर आतंकियों को खुली छूट देता हो और हिंसा को रोकने में असमर्थ हो, वह वैश्विक मंच पर अपनी साख कैसे बचाएगा..? बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ती हिंसा और भारत-पाक सीमा पर तनाव इस बात का सबूत हैं कि पाकिस्तान न सिर्फ अपने नागरिकों के लिए असुरक्षित है, बल्कि पड़ोसी देशों और वैश्विक शांति के लिए भी खतरा बना हुआ है।
बरहाल अमेरिकी ट्रैवल एडवाइजरी ने एक बार फिर पाकिस्तान की उस सच्चाई को बेनकाब कर दिया है, जिसे वह दुनिया से छिपाने की कोशिश करता रहा है। आतंकवाद और हिंसा का यह गढ़ न केवल अपने लोगों के लिए अभिशाप है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चेतावनी बन गया है। यह घटना साफ संदेश देती है कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियों को नहीं सुधारता, वह वैश्विक अलगाव और शर्मिंदगी का शिकार होता रहेगा।
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