बीएपीएस मंदिर की दीवारों पर लिखे गए भारत विरोधी संदेश
अमेरिका के कैलिफोर्निया के चिनो हिल्स स्थित BAPS स्वामी नारायण मंदिर पर हमले की घटना पर भारत सरकार ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए इसकी निंदा की है। रविवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे घृणित करार दिया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके साथ ही भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन से स्थानीय पूजा स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
अमेरिका के कैलिफोर्निया में चिनो हिल्स स्थित BAPS स्वामी नारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई है। ये सब लॉस एंजिल्स शहर में होने वाले कथित ‘खालिस्तानी जनमत संग्रह’ से कुछ दिनों पहले हुआ है। हालांकि, स्पष्ट तौर पर मंदिर पर हमले के पीछे खालिस्तानी तत्वों के शामिल होने का दावा नहीं किया जा सका है। लेकिन एक सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या खालिस्तानी जनमत संग्रह यह महज संयोग है, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है?
मंदिर पर हमले के बाद अमेरिका स्थित BAPS संस्था ने अपने आधिकारिक हैंडल्स के जरिए इस वारदात की कड़ी भर्त्सना की। साथ ही कहा, “चिनो हिल्स में एक और मंदिर को अपवित्र किया गया। हिन्दू समुदाय नफरत के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। हम कभी भी नफरत को जड़ नहीं जमाने देंगे। शांति और करुणा हमारी ताकत है।” बीएपीएस ने कहा कि हम मानवता और आस्था के साथ इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि शांति और करुणा बनी रहे।
असल में संस्था का ये बयान न हिन्दुओं की सनातन धर्म और आस्था के प्रति एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि उस दर्द को भी उजागर करता है जो बार-बार ऐसी घटनाओं से गुजर रहा है।
उत्तरी अमेरिका के हिन्दुओं के मुद्दों को उठाने वाले गठबंधन (CoHNA) ने इस घटना पर आक्रोश जताया है। हिन्दुओं के संगठन ने एक्स प्लेटफॉर्म के जरिए कहा कि यह दुनिया में एक और दिन है जहाँ मीडिया और शिक्षाविद हिंदूफोबिया को नकारते हैं, लेकिन चिनो हिल्स BAPS मंदिर में हुई तोड़फोड़ सच को सामने लाती है। यह तब हुआ जब LA में ‘खालिस्तानी जनमत संग्रह’ का दिन नजदीक आ रहा है। इसके साथ ही CoHNA ने 2022 के बाद से मंदिरों पर हुए हमलों की एक सूची भी साझा की और इसकी गहन जांच की मांग की।
गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है, जब अमेरिका में हिन्दुओं के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश की गई है। इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी सैक्रामेंटो स्थित BAPS स्वामी नारायण मंदिर की दीवारों पर असामाजिक तत्वों ने ‘हिन्दुओं वापस जाओ’ जैसे नारे नफरती संदेश लिखे थे। उससे पहले न्यूयॉर्क में एक हिंन्दू मंदिर को निशाना बनाया गया था।
हालांकि, इन हमलों के बाद भी हिन्दू समुदाय लगातार शांति और करुणा की ही बात करता आया है। पर एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक यह सिलसिला चलेगा? क्या अमेरिकी प्रशासन और FBI इस पर कोई ठोस कदम उठाएंगे? अगर इसका खालिस्तानी जनमत संग्रह से संबंध है तो क्या हिन्दू समुदाय को भी आगे आकर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए? इस पर आपकी क्या राय है, कमेंट करके बताएं
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