अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए दुनियाभर के तमाम देश हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करना, समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाना, किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकना, महिलाओं के हौसले को बढ़ाना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। महिला दिवस महज एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक कदम है। समाज को तब तक विकसित नहीं किया जा सकता, जब तक महिलाएं हर क्षेत्र में स्वतंत्र सशक्त न हो और जाएं। “8 मार्च 2025 को Panchjanya.com पर जानें: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सशक्तिकरण और समानता की नई कहानी।”
इसलिए मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
महिला दिवस मनाने की शुरुआत 20वीं सदी से हुई थी। 1908 में न्यूयॉर्क में महिलाओं ने अपनी नौकरी के घंटे कम करने, वेतन बढ़ाने, और वोट देने का अधिकार देने की मांग को लेकर एक रैली का आयोजन किया था। इसके बाद 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में क्लारा ज़ेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था। 1911 में जर्मनी, आस्ट्रिया, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1917 में रूस की महिलाओं ने, महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। यह हड़ताल भी ऐतिहासिक थी। ज़ार को सत्ता छोड़नी पड़ी, अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर है।
जुलियन और ग्रेगेरियन कैलेंडर
जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी इतवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। ग्रेगेरियन कैलैंडर चलता है। इसीलिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के दौरान आधिकारिक रूप से 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की। इस समय दुनिया के बहुत से देशों में एक आधिकारिक अवकाश के रूप में रहता है।
“महिला दिवस 2025 की थीम: कार्रवाई में तेजी”
हर साल इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। वहीं महिला अधिकारों और जागरूकता के लिए रैलियां और सेमिनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर से जुड़े विषयों पर चर्चा होती है। संयुक्त राष्ट्र हर साल एक थीम तय करता है। पहली थीम 1996 में तय की गई थी। यह थीम थी ‘गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना’। 2024 की थीम “इंस्पायर इंक्लूजन” (समावेशन को प्रेरित करें) था, जिसका उद्देश्य महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर और भागीदारी दिलाना है। इस साल महिला दिवस 2025 की थीम Accelerate Action (कार्रवाई में तेजी लाना) है। यह थीम सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए अधिकार, समानता और सशक्तिकरण पर आधारित है।
“तालिबान राज: महिलाओं की लड़ाई”
पिछले एक साल के दौरान अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, यूक्रेन और अमरीका जैसे कई देशों में महिलाएं अपने अपने देशों में युद्ध, हिंसा और नीतिगत बदलावों के बीच अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने मानव अधिकारों के मामले में तरक़्क़ी को बाधित कर दिया है। महिलाओं और लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से रोक कर उनका घर से बाहर काम करने और किसी पुरुष संरक्षक के बग़ैर लंबी दूरी का सफ़र करने पर पाबंदी लगा दी गई है। तालिबान ने महिलाओं को हुक्म जारी किया है कि वो घर से बाहर या दूसरे लोगों के सामने अपना पूरा चेहरा ढक कर रखें।
अमेरिका में क्या हुआ
24 जून 2022 को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड के एक ऐतिहासिक क़ानून को पलट दिया। जिसमे अमेरिकी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार हासिल था। इस फ़ैसले के बाद से पूरे अमरीका में इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए। बहुत सी अमरीकी महिलाएं, गर्भपात के लिए मेक्सिको जाने का विकल्प चुन रही हैं क्योंकि, 2021 में एक ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद, मेक्सिको में गर्भपात कराना जायज़ कर दिया गया था।
“भारत की बेटियाँ: नारी शक्ति का सम्मान”
हिन्दुस्तान में हमेशा से नारी शक्ति का सम्मान रहा है। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान पुरुष से भी ऊंचा है। हम ईश्वर नाम में भी देवी का नाम पहले लेते हैं, जैसे सीताराम, राधाकृष्ण, लक्ष्मीनारायण। भारत में महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये गये हैं। राजनीतिक क्षेत्र में कई जगहों पर 50% और 33% तक आरक्षण दिया गया है। देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति के पद पर इस समय एक महिला विराजमान हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और बंगाल में एक महिला मुख्यमंत्री हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी कई साल एक महिला विराजमान रहीं। इसके साथ ही देश के कई महत्वपूर्ण पद भी महिला ही संभाल रही हैं। देश की बेटियों कल्पना चावला, मेरी कॉम, पी टी उषा, सुनीता विलियम्स, स्मृति मंधाना, अवनि लेखरा ने कई उपलब्धियों को हासिल किया है।
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