महाकुंभ 2025 का जलवा, पाकिस्तान तक धमक : 33 करोड़+ युवाओं ने जताया सनातन में विश्वास, वेद-पुराण सर्च में 300% उछाल
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महाकुंभ 2025 का जलवा, पाकिस्तान तक धमक : 33 करोड़+ युवाओं ने जताया सनातन में विश्वास, वेद-पुराण सर्च में 300% उछाल

महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम तट पर एकजुट हुए, जिनमें 33 करोड़+ युवा इस सनातनी समागम में शामिल हुए। AI और AR/VR तकनीक के इस्तेमाल से यह एक आधुनिक धार्मिक उत्सव बना। इस रिपोर्ट में पढ़े कैसे महाकुंभ 2025 बना आध्यात्मिक, तकनीकी और सांस्कृतिक क्रांति का केंद्र

by SHIVAM DIXIT
Mar 7, 2025, 09:53 pm IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तर प्रदेश
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प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ ने न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि तकनीकी और सामाजिक क्रांति का एक नया अध्याय लिखा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन था, जिसने 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को संगम की पावन धरती पर एकजुट किया। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से लगभग 50% युवा थे—25 से 50 साल की उम्र के वे लोग, जो डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, शिक्षक और उद्यमी जैसे क्षेत्रों से आए। महाकुंभ 2025 ने साबित कर दिया कि धर्म अब केवल परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए एक नई प्रेरणा बन गया है। योगी सरकार के अभूतपूर्व इंतजाम और डिजिटल अभियान ने इसे वैश्विक मंच पर चमकाकर इतिहास रच दिया।

युवाओं में धर्म का नया उभार

महाकुंभ 2025 ने देश के युवाओं को सोशल मीडिया पर रील्स और फिल्मों से हटाकर वेद-पुराणों की ओर मोड़ दिया। अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान वेद और पुराणों से संबंधित सर्च में 300 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई। गूगल ट्रेंड्स के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2024 से लेकर फरवरी 2025 तक “महाकुंभ” दुनिया भर में सबसे ज्यादा सर्च किया गया शब्द रहा। भारत के साथ-साथ नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे देशों में भी इसकी गूंज सुनाई दी। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन धर्म के प्रति जिज्ञासा और सम्मान का वैश्विक उत्सव बन गया।

आंकड़े बताते हैं कि महाकुंभ में आए 66 करोड़ श्रद्धालुओं में से करीब 33 करोड़ युवा थे। इनमें से कई ने पहली बार संगम में डुबकी लगाई और सनातन की महिमा को करीब से जाना। यह वही युवा पीढ़ी है, जिसे वामपंथी नैरेटिव “अंधविश्वास” में फंसा हुआ बताता था। लेकिन महाकुंभ ने इस मिथक को तोड़ दिया। डॉक्टरों से लेकर आईटी प्रोफेशनल्स तक, हर क्षेत्र के युवाओं ने तिलक लगाया, त्रिपुंड धारण किया और पारंपरिक वस्त्रों में संगम तट पर आस्था का परचम लहराया।

डिजिटल महाकुंभ : तकनीक ने जोड़ा धर्म से

योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 को “डिजिटल महाकुंभ” का रूप देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर 4 जनवरी तक 33 लाख से ज्यादा विजिटर्स पहुंचे थे, जो फरवरी तक करोड़ों में बदल गया। सरकार ने सोशल मीडिया हैंडल्स बनाए, जहां हर अपडेट तुरंत उपलब्ध था। बड़े इन्फ्लुएंसर्स ने भी इसे प्रमोट किया, जिससे युवाओं तक इसकी पहुंच आसान हुई। बस-ट्रेन बुकिंग से लेकर रास्ते खोजने तक, इन्टरनेट युवाओं का साथी बना। नतीजा? 33 करोड़ से ज्यादा फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड हुए, जो महाकुंभ की भव्यता को दुनिया के कोने-कोने तक ले गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे “एकता का महायज्ञ” करार दिया। उन्होंने कहा, “महाकुंभ में जाति-संप्रदाय का भेद मिट जाता है। यहाँ हर कोई एक लक्ष्य से जुड़ता है।” इस आयोजन में तकनीक का ऐसा इस्तेमाल हुआ कि ड्रोन से लेकर AI तक ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा में मदद की। 40,000 पुलिसकर्मियों, 2,300 से ज्यादा कैमरों और अंडरवाटर ड्रोन्स ने इसे सुरक्षित और व्यवस्थित बनाया।

अमेरिका सहित कई मुस्लिम देशों में चर्चा

महाकुंभ की गूंज सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। गूगल ट्रेंड्स के अनुसार, पाकिस्तान में यह सबसे ज्यादा सर्च किया गया कीवर्ड रहा। कतर, यूएई, बहरीन जैसे मुस्लिम देशों से लेकर नेपाल, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया तक, हर जगह लोग इसके बारे में जानना चाहते थे। 183 देशों और 6,206 शहरों से वेबसाइट पर विजिटर्स आए। यह सनातन धर्म की वैश्विक अपील का सबूत है। विदेशी भक्तों ने भी संगम में डुबकी लगाई—ब्राजील के फ्रांसिस्को जैसे योगियों ने इसे “दिल को गर्म करने वाला अनुभव” बताया।

धर्म के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक उछाल

महाकुंभ सिर्फ धार्मिक या आध्यात्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आर्थिक क्रांति का भी प्रतीक बना। अनुमान है कि इससे उत्तर प्रदेश को 3.5 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ। पर्यटन, परिवहन, छोटे-मझोले उद्यमों और रोजगार में अभूतपूर्व उछाल आया। 1,850 हेक्टेयर में पार्किंग, 450 किमी नई सड़कें और 360 विशेष ट्रेनें इसका प्रमाण हैं। योगी सरकार ने इसे स्वच्छ और प्लास्टिक-मुक्त बनाने के लिए 1,50,000 शौचालयों की व्यवस्था की, जो पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे गया।

महाकुंभ पर्व, सनातनी गर्व : वामपंथी नैरेटिव हुआ ध्वस्त

महाकुंभ ने वामपंथियों के उस दावे को चूर-चूर कर दिया कि धर्म “अशिक्षितों का खेल” है। युवाओं ने न सिर्फ भाग लिया, बल्कि इसे सोशल मीडिया पर ट्रेंड बनाया। महाकुंभ के दौरान कई आलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर “महाकुंभ पर्व, सनातनी गर्व” ट्रेंड चलता रहा। वहीं महाकुंभ के दौरान तिलक, त्रिपुंड और पारंपरिक कपड़े नई पीढ़ी की पहचान बने। युवाओं ने जमकर सनातनी वेशभूषा में अपने चित्रों को अपने सोशल मीडिया हैंडलों पर अपलोड किया। यह आयोजन “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” की जीती-जागती मिसाल बन गया। महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने जाति-धर्म का भेद मिटाकर समरसता का परचम लहराया।

एक नई शुरुआत : तकनीक और परंपरा का अद्भुत समागम 

महाकुंभ 2025 ने दिखा दिया कि तकनीक और परंपरा साथ चल सकते हैं। महाकुंभ में 2,750 से ज्यादा AI-आधारित CCTV कैमरे और 113 अंडरवाटर ड्रोन्स ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित की। “कुंभ सहायक” AI चैटबॉट ने विभिन्न भाषाओं में श्रद्धालुओं को जानकारी दी, जैसे रास्ते, स्नान घाट और सुविधाएं। वहीं डिजिटल महाकुंभ एक्सपीरियंस सेंटर में AR/VR जोन और रोबोटिक होलोग्राम के जरिए सनातन संस्कृति को लोगो ने जीवंत रूप में देख कर सुखद अहसास किया। इसके अलावा वैश्विक दर्शकों के लिए कई अनुष्ठानों की “लाइव स्ट्रीमिंग” हुई। साथ ही इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ICCC) ने मेला क्षेत्र की रियल-टाइम निगरानी की। इन्ही कुछ तकनीकी योगदानों ने 66 करोड़ श्रद्धालुओं के अनुभव को सुरक्षित, सुगम और डिजिटल रूप से समृद्ध बनाया।

योगी सरकार के डिजिटल अभियान ने युवाओं को ना केवल उनकी जड़ों से जोड़ा और बल्कि दुनिया को सनातन की ताकत दिखाई। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, एकता और प्रगति का महायज्ञ था, जिसकी गूंज आने वाली पीढ़ियों तक सुनाई देगी।

SHIVAM DIXIT

शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।

उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।

वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।

शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।

उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।

शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

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