मंदिरों का विध्वंसक, अब्बा को कैद किया, भाइयों का खूनी : औरंगजेब को क्यों मान रहे मसीहा?
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मंदिरों का विध्वंसक, अब्बा को कैद किया, भाइयों का खूनी : औरंगजेब को क्यों मान रहे मसीहा?

औरंगजेब जिसने मंदिर तोड़े, जज़िया लगाया, अपने भाइयों को मारा और अब्बा को कैद किया। क्या उसे महान बताने वाले उसी रक्तरंजित इतिहास को दोहराना चाहते हैं? पढ़ें उसकी क्रूर हकीकत...

by सोनाली मिश्रा
Mar 7, 2025, 06:17 pm IST
in भारत, विश्लेषण
बेंगलुरु में औरंगजेब के पोस्टर पर विवाद

बेंगलुरु में औरंगजेब के पोस्टर पर विवाद

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इन दिनों औरंगजेब प्रेम उफान पर है। कथित सेक्युलर राजनेता इन दिनों औरंगजेब को अपना नया आदर्श बनाए हुए हैं। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे औरंगजेब सबसे महान था, या फिर कहा जाए कि अब तक का सबसे महान राजा यदि कोई हुआ है तो वह केवल और केवल औरंगजेब हुआ है। औरंगजेब के प्रति इस इश्क का कोई अर्थ समझ नहीं आता है, क्योंकि कथित सेक्युलर नेता हर वह कदम उठाते हैं, जिससे वे अपने वोटबैंक को खुश कर सकें।

तो क्या यह समझा जाए कि भारत के कथित सेक्युलर नेता यह मानते हैं कि औरंगजेब ही वह इंसान है, जैसा भारत के मुसलमान हैं और औरंगजेब की तारीफ करके वे भारतीय मुसलमानों को खुश करेंगे? क्या उनकी नजर में भारतीय आम मुसलमान औरंगजेब की प्रतिकृति है? राजनेताओं के लिए केवल और केवल उनकी राजनीति महत्वपूर्ण है, तो क्या यह समझा जाए कि भारत के कथित सेक्युलर नेता अब खुलकर इतिहास के सबसे क्रूर और निर्दयी शासकों में से एक औरंगजेब को अपना मसीहा मान बैठे हैं, जो उन्हें वोट दिलाएगा। कुछ कट्टरपंथियों को छोड़ दिया जाए तो भारतीय और भारतीय मुस्लिम औरंगजेब को अपना आदर्श तो नहीं ही मानेंगे।

अपने अब्बा को कैद करके मानसिक प्रताड़ना देने वाला

औरंगजेब ने दिल्ली का तख्त हासिल करने के लिए अपने अब्बा हुजूर को ही कैद करवा दिया था। और औरंगजेब का अब्बा हुजूर और कोई नहीं बल्कि वही शाहजहाँ था, जिसके नाम के साथ ताजमहल जुड़ा हुआ है और जिसे यही नेता इश्क का स्मारक मानते हैं। उसने अपने अब्बा को एक-दो दिन नहीं बल्कि 7-8 वर्ष तक कैद करके रखा था। वह शाहजहाँ को मार नहीं सकता था, क्योंकि उसे विद्रोह का डर था।

मगर जब उसने उन्हें कैद किया तो उस कैद के दौरान तड़पाता रहा। उसने महल के उस हिस्से की जलापूर्ति भी कुछ दिनों के लिए बंद कर दी थी। जहां पर शाहजहाँ को कैद किया गया था, वहाँ पर बाहर वह दिन भर नगाड़े बजवाता था। मगर चूंकि कैद में शाहजहाँ नशे में रहता था, इसलिए इन सबका उस पर कोई असर नहीं पड़ा था। हाँ, शाहजहाँ की मौत यौनावर्धक दवाएं लेने के कारण हुई।

शिवाजी द ग्रांड रेबेल में डेनिस किनकैड लिखते हैं शाहजहाँ को अपमानित करने के लिए औरंगजेब युवा कनीजों को भेजता था, एक दिन उसने अपनी यौन कमजोरी के बारे में अपनी एक कनीज के मुंह से सुना तो उसने एप़ॉडिज़िऐक (कामोत्तेजक औषधि) मंगवाकर खाया कि वह मूर्छित हो गया और इस प्रकार कैद में उसने अंतिम सांस ली थी।

हिंदुओं से अतिशय घृणा

हिंदुओं से उसे अतिशय घृणा थी। जो भी लोग यह कहते हैं कि औरंगजेब की सेना में हिन्दू थे या फिर उसके साथ हिन्दू भी थे, और वह पचास वर्षों में हिंदुओं को मुसलमान बना सकता था, तो उन्हें यह जान लेना चाहिए कि बेशक उसकी सेना में या शासन में हिन्दू थे, मगर यह उसे भी पता था कि वह एक सीमा के बाद आम लोगों पर अत्याचार नहीं कर सकता, क्योंकि स्थानीय क्षत्रप उसके खिलाफ विद्रोह निरंतर करते ही रहे थे।

मात्र शिवाजी या संभा जी ही नहीं बल्कि मथुरा में गोकुल जाट, से लेकर बुंदेलखंड में छत्रसाल एवं असम में अहोम साम्राज्य को स्मरण रखना चाहिए। बुंदेलखंड में छत्रसाल ने औरंगजेब को पराजित किया था और असम में तो अहोम साम्राज्य के हाथों औरंगजेब को करारी पराजय झेलनी पड़ी थी।

भारतीय राजाओं से पराजित हुआ औरंगजेब

दक्कन में वह कभी मराठों को नहीं पराजित कर पाया, बुंदेलखंड में वह छत्रसाल से हारा, असम में वह पराजित हुआ, मथुरा और आसपास के क्षेत्र भी उसे लगातार चुनौती ही देते रहे, इसलिए यह कहना कि वह 48 वर्षों के अपने शासनकाल में सभी हिंदुओं को मुसलमान बना सकता था, अपने आप को झूठी तसल्ली देने के अलावा कुछ नहीं है।

औरंगजेब ने मजहबी सनक के कारण तोड़े मंदिर

हाँ, यह सच है कि वह हिंदुओं से घृणा करता था। उसने हिंदुओं के मंदिर केवल और केवल अपनी मजहबी सनक के कारण ही तोड़े थे। यदुनाथ सरकार अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब, मेनली बेस्ड ऑन पर्शियन सोर्सेस में पृष्ठ 303 में लिखते हैं कि औरंगजेब ने अपना हिन्दू घृणा का अभियान दूसरे तरीके से आरम्भ किया, उसने पहले बनारस के पंडितों को एक पत्र लिखा कि उसे नए मंदिरों से आपत्ति है, परन्तु पुराने मंदिर वह नहीं तोड़ेगा! बादशाह बनने से पहले औरंगजेब ने गुजरात में एक नए बन रहे मंदिर में गाय काटकर अपवित्र किया था और उसे मस्जिद में बदल दिया था ।

फिर वे लिखते हैं कि उसने वहाँ पर कई मंदिरों को तोड़ा। एक आदेश निकाला जिसमें उसने कहा ओडिसा मे कटक से लेकर मेदनीपुर तक सभी मंदिरों को रोड दिया जाए, यहाँ तक कि पिछले 10-12 वर्षों में बनी झोपड़ियों को भी तोड़ दिया जाए और यह कहा कि किसी भी पुराने मंदिर की मरम्मत न होने पाए।

और उसके बाद उसने 9 अप्रेल 1669 को सभी गुरुकुलों और मंदिरों को नष्ट करने के आदेश दिए जिससे कि काफिर अपनी धार्मिक शिक्षा न दे पाएं। औरंगजेब ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को तोड़ा ही नहीं था, बल्कि मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद भी कर दिया था।

उसने अपने नियत्रण वाले क्षेत्रों में मजहबी लोगों की नियुक्ति की, जिनका काम ही था कि वे हिंदुओं के पूजा स्थानों को तोड़ें।

मजहबी आधार पर कर अर्थात हिंदुओं पर जजिया

हिंदुओं से बहुत ही अपमानजनक तरीके से जजिया वसूला जाता था। जज़िया देने वाले को खुद आना होता था और सलाम करके कहना होता था कि ओ, जिम्मी, मैं जज़िया देता हूँ।“

इस पुस्तक में पृष्ठ 308 में लिखा है कि जज़िया बहुत ही कठोरता से लागू किया गया और इसका उद्देश्य इस्लाम का प्रचार करना और काफिरों की पूजापाठ को नष्ट करना था। इसमें लिखा है कि जब दिल्ली और आसपास के हिंदुओं ने इसका विरोध किया तो उनपर हाथी छोड़ दिए गए थे। इसमें यह भी लिखा है कि जज़िया लगाने में औरंगजेब किसी भी तरह की द्या या राजनीतिक छूट जैसी बातें नहीं सुनता था।

ऐसे व्यक्ति को आदर्श क्यों माना जा रहा

औरंगजेब की क्रूरता के किस्से बहुत हैं और सभी डाक्यमेन्टेड हैं, मगर प्रश्न यह है कि आखिर ऐसे आदमी को आदर्श क्यों कुछ लोग मानते हैं, जिसकी पूरी ज़िंदगी लड़ते हुए ही गुजरी, मराठों को वह पराजित नहीं कर पाया, छत्रसाल से हारा, सिखों के साथ लगातार लड़ता रहा, असम में अहोम साम्राज्य से पराजित हुआ, अफगानों का विद्रोह भी नहीं दबा पाया और अंतत: मराठों से लड़ते-लड़ते अपने साम्राज्य से दूर दक्कन में उसकी मौत हुई।

हिंदुओं से घृणा करता था औरंगजेब

हिंदुओं से वह घृणा करता था, और उसकी वह घृणा उसके हर तोड़े गए मंदिर, गोकुल जाट की निर्मम हत्या, गुरुकुलों के विध्वंस, जज़िया को लगाए जाने जैसे तमाम कदमों से दिखती है। क्या उसे आदर्श मानने वाले इसी प्रकार का अस्थिर भारत चाहते हैं, जहां पर हमेशा खून खराबा होता रहे? जहां पर बहुसंख्यक हिंदुओं को लगातार अपमानित किया जाता रहे और उनके मंदिरों को तोड़ा जाता रहे? जहां पर एक ऐसा आदमी शासन करे जिसने तख्त अपने अब्बा हुजूर को कैद करके, और अपने भाइयों को मारकर हासिल किया है और अपने अब्बा के और जनता के सबसे प्यारे शहजादे की सरेआम हत्या एवं उसके सिर को काटकर तश्तरी में भेजकर हासिल किया हो। इतना ही नहीं उसने दाराशिकोंह के बेटे तक को मार डाला था।

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