Holashtak 2025
होली का त्योहार चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और होली से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होती है। इस दौरान ग्रहों की स्थिति बदलती रहती है, और शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इस बार होलाष्टक 7 मार्च यानी आज से शुरू हो रहे हैं और 13 मार्च को होलिका दहन के दिन इसका समापन होगा और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों को करना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में कई समस्याएँ आ सकती हैं, जैसे परिवार में झगड़े, बीमारी, और अकाल मृत्यु का भय भी हो सकता है। इसलिए इस समय में शादी, विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश या किसी नए व्यवसाय की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होते ही 16 प्रकार के शुभ कार्य जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार वर्जित हो जाते हैं। इन दिनों में हवन या यज्ञ भी नहीं किया जाता है। नवविवाहित महिलाओं को इन दिनों में अपने माता-पिता के घर रहने की सलाह दी जाती है।
होलाष्टक आठ दिनों की एक खास अवधि होती है, जो भक्ति की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। कहते हैं कि इस समय तपस्या करने से बहुत शुभ फल मिलते हैं। होलाष्टक के दौरान एक पेड़ की शाखा काटकर उसे जमीन में रोपने की परंपरा है। फिर उस शाखा पर रंग-बिरंगे कपड़े बांधे जाते हैं, और इसे प्रह्लाद की रूप में पूजा जाता है।
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