गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत अरुणाचल प्रदेश के प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने 2 मार्च को नाहरलागुन में पचिन नदी के तट पर स्थित न्यिशी जनजाति के प्रतिष्ठित प्रार्थना केंद्र ‘डोनी-पोलो न्येदर नामलो’ का दौरा किया। बता दें कि सूर्य (डोनी) और चंद्रमा (पोलो) की पूजा को समर्पित नामलो, न्यिशी समुदाय और स्थानीय लोगों के लिए गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। वहां पहुंचने पर भक्तों और नामलो समिति ने उनका भव्य स्वागत किया।
श्री भागवत ने भी स्थानीय भक्तों के साथ प्रार्थना समारोह में भाग लिया और भी नामलो के पवित्र और शांतिपूर्ण वातावरण में भावमय हो गए। डोनी-पोलो न्यिशी लोगों के लिए एक आध्यात्मिक स्तंभ के रूप में खड़ा है, जहां हर रविवार को डोनी-पोलो के सम्मान में प्रार्थना और अनुष्ठान किए जाते हैं।
श्री भागवत की यात्रा न केवल आध्यात्मिक एकजुटता का संकेत थी, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय समुदायों को बांधने वाली स्थायी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं की पुष्टि भी थी। यात्रा के दौरान श्री भागवत ने नामलो पुजारियों और भक्तों के साथ सार्थक चर्चा की और उनके रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित करने के प्रति उनके समर्पण को सराहा।
उन्होंने सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और आधुनिक आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने के महत्व को भी रेखांकित किया। श्री भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि ‘डोनी-पोलो न्येदर नामलो’ जैसी आध्यात्मिक प्रथाएं राष्ट्र-निर्माण के हमारे साझा लक्ष्य की दिशा में सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने में आवश्यक हैं। उनकी यात्रा का समापन प्रार्थना से हुआ, जिसमें सार्वभौमिक शांति, समृद्धि और कल्याण की कामना की गई।
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