नई दिल्ली । मुंबई 26/11 हमले का आरोपी तहव्वुर राणा एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने नया पैंतरा खेला है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दायर ताजा याचिका में राणा ने दावा किया है कि भारत भेजे जाने पर उसे “टॉर्चर” का सामना करना पड़ेगा और “बचने की उम्मीद भी कम” है। उसने कोर्ट से प्रत्यर्पण पर तुरंत रोक लगाने की गुहार लगाई है, वरना वह “जल्द मर जाएगा।”
राणा को सता रहा मौत का डर
तहव्वुर राणा ने अपनी याचिका में कहा, “मैं पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम हूं। भारत में मेरे साथ यातना होगी और मुकदमे में जिंदा बचने की संभावना न के बराबर है।” उसने दलील दी कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया तो यह मामला अमेरिकी अदालतों के दायरे से बाहर चला जाएगा।
राणा का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और भारत में लोगों का गुस्सा भड़क उठा है। इससे पहले 21 जनवरी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट उसकी एक याचिका खारिज कर चुका है, जिसमें उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
ट्रंप के ऐलान से राणा का प्रत्यर्पण तय
पिछले महीने पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी में डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा ऐलान किया था। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, “हम तहव्वुर राणा को तुरंत भारत को सौंप रहे हैं। नई दिल्ली से कई और अनुरोध आए हैं, आगे भी प्रत्यर्पण होंगे।” ट्रंप के इस बयान के बाद राणा की बेचैनी बढ़ गई थी, जिसके चलते उसने यह नई याचिका दायर की। भारत सरकार लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, क्योंकि वह 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का करीबी सहयोगी रहा है।
कौन है तहव्वुर राणा..?
पाकिस्तानी मूल का तहव्वुर राणा कनाडाई नागरिक है। वह मुंबई हमले में शामिल आतंकी डेविड हेडली का साथी था। हेडली, जिसे दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है, अमेरिकी-पाकिस्तानी मूल का है। 2009 में अमेरिका ने हेडली को गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि राणा ने हेडली को हमले की साजिश रचने में मदद की थी। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई हमले की रेकी और आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने में अहम भूमिका निभाई।
26/11 हमला : वो खौफनाक मंजर
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को खून से रंग दिया था। समुद्र के रास्ते नाव से आए इन आतंकियों ने ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई ठिकानों पर हमला बोला। चार दिन तक चले इस आतंकी हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा घायल हुए थे। सुरक्षाबलों ने एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को पकड़ा था, जिसे बाद में फांसी दी गई।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
राणा का यह नया दावा भारत में गुस्से की वजह बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग उसे “आतंकी” और “कायर” बता रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा, “166 लोगों की मौत का जिम्मेदार अब डर का नाटक कर रहा है।” दूसरी ओर, अमेरिकी कोर्ट इस याचिका पर क्या फैसला लेता है, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं। अगर प्रत्यर्पण हुआ तो राणा को भारत में मुकदमे का सामना करना होगा, जहां उसे सजा-ए-मौत तक हो सकती है।
अब आगे क्या..?
राणा की यह चाल कामयाब होगी या नहीं, यह आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि 26/11 हमले का यह आरोपी अपनी आखिरी सांस तक बचने की जद्दोजहद में लगा है। भारत सरकार और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों के बीच क्या राणा का प्रत्यर्पण होगा? यह सवाल हर किसी के जेहन में है।
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