गाजियाबाद । उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी से गिरफ्तार बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के संदिग्ध आतंकी लाजर मसीह के तार औद्योगिक नगरी गाजियाबाद से जुड़ते नजर आ रहे हैं। यूपी एसटीएफ और पंजाब पुलिस के संयुक्त अभियान में पकड़े गए इस आतंकी के पास से गाजियाबाद के पते वाला फर्जी आधार कार्ड बरामद हुआ है। इस खुलासे ने पुलिस और खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मचा दिया है। जांच में पता चला कि लाजर मसीह ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की थी। यह पहली बार नहीं है जब गाजियाबाद आतंकियों की पनाहगाह बना हो। इससे पहले भी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे और ब्रिटिश नागरिकों के अपहरणकर्ता इस शहर में छिपे पाए गए थे।
आतंकी की गिरफ्तारी और गाजियाबाद कनेक्शन
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि लाजर मसीह को गुरुवार तड़के कौशाम्बी से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से 3 सक्रिय हैंड ग्रेनेड, 2 डेटोनेटर, 13 कारतूस और एक विदेशी पिस्तौल (नोरिन्को एम-54 टोकारेव) बरामद हुई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उसके पास गाजियाबाद के पते वाला आधार कार्ड मिला, जो फर्जी निकला। इस खुलासे के बाद पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि इस फर्जी दस्तावेज को बनाने में किन लोगों ने मदद की। गाजियाबाद के डीसीपी सिटी राजेश कुमार ने कहा, “हम इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। संदिग्धों पर कड़ी नजर रखी जा रही है और खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं।”
गाजियाबाद का आतंकी इतिहास
गाजियाबाद का नाम आतंकी गतिविधियों से पहले भी जुड़ता रहा है। अगस्त 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के बाद उनके हत्यारे नंदग्राम इलाके में छिपे थे। बब्बर खालसा से जुड़े इस हमले ने देश को हिलाकर रख दिया था। इसी तरह, 1994 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने मसूरी में शरण ली थी और तीन ब्रिटिश नागरिकों का अपहरण किया था। इन विदेशियों को छुड़ाने के दौरान साहिबाबाद थाने के इंस्पेक्टर ध्रुवलाल यादव बलिदान हो गए थे। इस घटना के बाद आतंकियों ने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 का अपहरण कर अपने साथियों को रिहा कराया था।
वर्ष 1987 में कश्मीरा सिंह नामक आतंकी ने साहिबाबाद और शाहदरा में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट किए थे। वह लंदन स्थित खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के इशारे पर काम कर रहा था। 1996 में दुहाई और मुरादनगर के बीच बस विस्फोट में 15 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा, फ्रंटियर मेल में हुए सीरियल बम धमाकों में 19 लोगों की जान गई थी, जिसमें पिलखुआ के अब्दुल करीम टुंडा का नाम सामने आया था। लाल किला बम विस्फोट कांड में भी एक पाकिस्तानी आतंकी का ड्राइविंग लाइसेंस गाजियाबाद के कैला भट्टा से बना हुआ मिला था।
महाकुंभ में हमले की साजिश..?
सूत्रों के मुताबिक, लाजर मसीह के पास से बरामद हथियार और विस्फोटक संकेत देते हैं कि वह महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में हमले की साजिश रच रहा था। उसका संबंध पाकिस्तान की आईएसआई और बब्बर खालसा के नेटवर्क से भी बताया जा रहा है। पंजाब पुलिस के अनुसार, लाजर पिछले साल सितंबर में न्यायिक हिरासत से फरार हो गया था। अब उसकी गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा बढ़ गया है।
पुलिस-प्रशासन में खलबली
गाजियाबाद के फर्जी आधार कार्ड कनेक्शन ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली से सटे इस शहर में आतंकियों का बार-बार शरण लेना चिंता का विषय बन गया है। डीसीपी राजेश कुमार ने कहा, “हम हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। फर्जी दस्तावेज बनाने वालों की तलाश जारी है।” खुफिया एजेंसियां अब उन ठिकानों को खंगाल रही हैं, जहां लाजर मसीह ठहरा हो सकता है।
यह घटना एक बार फिर गाजियाबाद को आतंकी गतिविधियों के निशाने पर ला खड़ा करती है। पुलिस और प्रशासन अब इस बात की पड़ताल में जुटे हैं कि क्या यह आतंकी अकेला था या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है। बरहाल जांच के नतीजे आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
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