मिस्र में इन दिनों ईसाई लड़कियों को एक सुनियोजित रणनीति के चलते इस्लाम में मतांतरित किया जा रहा है। जिसे लेकर कई ईसाई पोर्टल्स ने कई रिपोर्ट्स और कहानियाँ प्रकाशित की हैं। सोशल मीडिया पर भी कई ऐसी कहानियाँ चर्चा में हैं। सबसे हैरत वाली बात यह है कि लड़कियों को जाल में फँसाने की जो यह रणनीति है, वह कहीं से भी उस रणनीति से अलग नहीं है, जो भारत में हम लव-जिहाद के मामले में देखते हुए आए हैं, या फिर जो लगातार हमारे सामने आए दिन आती रहती हैं।
Christian Daily International की 19 फरवरी 2025 की एक रिपोर्ट में ऐसी कुछ लड़कियों की कहानी दी है। इसमें एक 18 वर्षीय कॉप्टिक ईसाई युवती के मामले के साथ शुरुआत है। 18 वर्षीय यह युवती पढ़ने के लिए जाती है, मगर वह इस्लामिक स्टूडेंट्स, प्रशासकों, पुलिस और शेखों के बीच फंस जाती है और वे उसे जबरन मतांतरित करते हैं और एक मुस्लिम के साथ उसका निकाह कर देते हैं।
इसमें लिखा है कि कॉप्टिक सालिडैरीटी को सलाह देने वाले एक समूह के अनुसार Assiut प्रांत में उसके स्कूल में मुस्लिम लड़कियों के एक नेटवर्क ने उसे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम चैट समूहों पर निशाना बनाया और फिर उसके दिमाग में ईसाइयत के खिलाफ संदेह उत्पन्न करने का प्रयास किया और उसे उसके परिवार से भावनात्मक रूप से दूर किया।
Coptic Solidarity ने मिस्र में कॉप्टिक महिलाओं और लड़कियों के जबरन निकाह और मतांतरण पर जनवरी 2025 में रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट का नाम है “Hidden Crimes, Public Deception: The Epidemic of Abductions and Forced Disappearance of Coptic Women and Girls.” इसमें महिलाओं के साथ हो रहे इस अत्याचार को एपिडेमिक अर्थात महामारी का नाम दिया है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि
“जब एक ईसाई लड़की अपने दोस्तों की सलाह पर अमल करती है और इस्लामी संस्थाओं में पूछताछ करने जाती है, तो लड़कियों का तुरंत धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है, और उच्च पदस्थ सुरक्षा अधिकारियों की मदद से उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ निरोधक आदेश जारी कर दिया जाता है, ताकि उसे और अलग-थलग कर दिया जाए और उसे किसी भी तरह की कोई सहायता न मिल सके।“
ऐसा ही कुछ इस लड़की के साथ भी हुआ। “अमानी” नामक यह युवती 1 जून 2024 को अपने घर से परीक्षा देने तो गई, मगर दोपहर में वापस नहीं आई। जब पूछताछ की गई, और उसके स्कूल में पूछताछ के बाद उनसे एक पुलिस अधिकारी ने संपर्क किया और कहा कि उनकी बेटी किसी के साथ रिश्ते में थी।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस गुमशुदा लड़कियों के घरवालों पर जबरन यह दबाव डालती है कि वे यह स्वीकार कर लें कि उनकी लड़की किसी के साथ रिश्ते में थी, और इसमें यह भी कहा गया है कि यह बहुत आम पैटर्न है।
चूंकि इस समुदाय में शारीरिक पवित्रता को बहुत महत्व दिया जाता है, तो ऐसे में लड़कियों को और उनके परिजनों को नैतिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। इसी रिपोर्ट में लिखा है कि अमानी के परिजनों को उसके इंस्टाग्राम अकाउंट से समूह चैट और रिकॉर्डिंग मिली। इस रिकॉर्डिंग से उन्हें अमीरा नाम की मुस्लिम दोस्त का पता चला, जो मुस्लिम बनाने वाले गैंग का हिस्सा थी।
कॉप्टिक सॉलिडैरिटी के अनुसार “अमीरा ने उसे इस्लाम नामक युवा मुस्लिम से मिलवाया, जो उसके अनुसार एक भरोसेमंद दोस्त था, जो उसे इस्लाम धर्म के बारे में शिक्षित करना चाहता था ताकि उसे जन्नती ‘थावाब’ मिल सके। इंस्टाग्राम पर उनकी बातचीत के दौरान, इस्लाम ने अमनी को अपने परिवार के साथ सभी संपर्क समाप्त करने और अपने ‘अपने लाभ और सुरक्षा’ के लिए एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के लिए मनाने की कोशिश की।”
फिर वे लोग उसे एक इस्लामिक सलाहकार समूह और सरकारी निकाय दर-अल-इफ्फा में ले गया जिससे वह अपनी शंकाएं दूर कर सके, और अगर वह संतुष्ट नहीं होगी तो उसे सुरक्षित रूप से घर भेज दिया जाएगा।
मगर अमानी घर नहीं लौटी। कॉप्टिक सॉलिडैरिटी की रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसे मामलों में अमूनन यह कहा जाता है कि लड़की या महिला, अपनी मर्जी से ही मुस्लिम आदमी से शादी करके भागी है। इसमें लिखा है कि यदि लड़कियों का गायब होना महिलाओं की अपनी पसंद होता, तो फिर स्थानीय अधिकारी आराम से उन लड़कियों से बात कर सकते थे और लड़कियों से यह अनुरोध कर सकते थे कि वे अपने परिजनों से बात करें। मगर ऐसा नहीं होता है। लड़कियां एक बार जब गायब होती हैं तो गायब ही हो जाती हैं।
53 पन्नों की इस रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि मिस्र में कॉप्टिक महिलाओं और लड़कियों के अपहरण, जबरन विवाह और जबरन मतांतरण (इस्लाम में) को अक्सर संदेह के साथ देखा जाता है या फिर उससे इनकार ही कर दिया जाता है। कभी-कभी यह तर्क दिया जाता है कि ये मामले ज्यादातर ऐसी स्थितियाँ हैं जिनमें महिलाएँ या लड़कियाँ अपनी मर्जी से मुस्लिम पुरुष के साथ भाग जाती हैं।
यही घटनाएं और पैटर्न भारत में भी लड़कियों के साथ अपनाया जा रहा है, और मीडिया में भी यही डिस्कोर्स चलाया जाता है कि महिलाएँ या लड़कियाँ अपनी मर्जी से मुस्लिम पुरुष के साथ भाग जाती हैं।
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