दिलीप संघाणी ने गुजरात में उद्यमिता की ‘गर्वीली विरासत’ सत्र में कहा, बीज छोटा होता है, लेकिन उसकी क्षमता वृक्ष को जन्म देने की होती है। ‘साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल’ गीत गांधी जी की प्रगतिशीलता का उदाहरण प्रस्तुत करता है। वे आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने के साथ—साथ सफाई, रेडियो संचालन और रुई के जरिए कपड़े बनाने का काम भी करते थे। इससे उनकी प्रगतिशीलता परिलक्षित होती है कि उनके एक हाथ में तकली होती थी और दूसरे हाथ में रेडियो। आज से 3000 साल पीछे जाएं तो हमारे क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार होता था। 15वीं-16वीं सदी में देखें तो पूर्वी एशिया में मसालों का व्यापार होता था।
प्राचीनकाल से ही व्यापार के क्षेत्र में भारत में गुजरात का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। अगर हम आज की दृष्टि से देखें तो देश में सभी को रोजगार मिले, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण हो, ऐसा हमारा प्रयास रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के समय में सहकारिता मंत्रालय का अलग से निर्माण किया और इसकी जिम्मेदारी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दी।
भारत को विश्वगुरु बनाने का स्वप्न रा.स्व.संघ के सभी स्वयंसेवक देखते हैं। वहां पहुंचने के लिए क्या करना चाहिए, इस दिशा में हम सब अनुभूति कर रहे हैं। गुजरात में जगदीश भाई सहकारिता के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। गुजरात का नाम आदर्श के रूप में लिया जाता है। यहां के सहकारिता मंत्री एक-एक जिले में जाकर सहकारिता को बढ़ावा देते हैं। पाञ्चजन्य राष्ट्रीय विचारों को आगे ले जाने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। इस मार्गदर्शन के लिए मैं पाञ्चजन्य के सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं एवं आभार प्रकट करता हूं।’’
‘बढ़ रही युवा उद्यमियों की संख्या’
सुनील शुक्ला ने प्रशिक्षण को प्रगति का पहिया बताते हुए कहा, देश में आज एक अभूतपूर्व चेतना आई है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 2016 में हमारे पास केवल 450 स्टार्टअप्स हुआ करते थे, जो अभी 1,60,000 हैं। इन्हें बढ़ाने में ज्यादातर टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्युबेशन हर लर्निंग संस्थान में स्थापित हैं। पहले उनकी संख्या करीब-करीब 50 या उससे कम थी। लेकिन आज यह संख्या 1500-2000 के बीच है। वहीं यूनिकॉर्न (ऐसे स्टार्टअप्स जिनका मूल्यांकन 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है) का तो शायद हम लोगों को अर्थ ही नहीं पता था, लेकिन कोविड के बाद यह अधिक प्रचलन में आया। तब तक हमारे यहां केवल 30-32 यूनिकॉर्न थे। लेकिन अब इनकी संख्या 118 है। हालांकि, अभी भी स्टार्टअप्स के बंद होने का आंकड़ा लगभग 75-80 प्रतिशत है, जो इतना नहीं होना चाहिए।
हमारी संस्था ने भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के लिए एक अध्ययन के बाद हमने स्टार्टअप्स को कुछ सुविधाएं दीं, जिससे वे सफल हुए। छात्रों में यह चेतना आई है कि हमें पढ़ाई के अलावा कुछ और भी करना चाहिए। यही कारण है कि आज बहुत सारे स्टार्टअप्स खड़े हो रहे हैं। देश में कई राज्यों में उद्यमिता को लेकर कार्यक्रम हो रहे हैं। इनमें युवाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।’’
https://panchjanya.com/2025/02/23/392227/bharat/gujarat/sabarmati-samvad-3-edii-director-general-sunil-shukla-entrepreneurship-new-consciousness-has-come-in-the-country-currently-there-are-160000-startups/
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