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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: ‘मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना अपराध नहीं, धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होती

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के बोकारो में 80 वर्षीय हरि नारायण सिंह के खिलाफ 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' शब्दों के इस्तेमाल के मामले में केस खारिज किया। कोर्ट ने कहा कि ये शब्द आपत्तिजनक हो सकते हैं, लेकिन धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाते और अपराध नहीं माने जा सकते।

Published by
Kuldeep singh

‘सुप्रीम कोर्ट ने मियां-तियां अथवा पाकिस्तानी कहना आपत्तिजनक और गलत हो सकता है, लेकिन ये किसी भी तरह से किसी भी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करता है। इसलिए ये अपराध नहीं कहा जा सकता।’ ये बात सुप्रीम कोर्ट ने एक 80 साल के बुजुर्ग के खिलाफ दर्ज किए गए केस के मामले में कही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किसी व्यक्ति से किया जाता है तो इससे उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचता है।

क्या है पूरा मामला

ये घटना झारखंड के बोकारो जिले की है। यहीं पर हरि नारायण सिंह (80) रहते हैं। वहीं एक मुस्लिम शख्स जो कि पेशे से एक अनुवाद है, उसी ने हरि नारायण के खिलाफ आरोप लगाया था कि उन्होंने मियां-तिया और पाकिस्तानी शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिससे उसकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। इसके बाद मामले में हरि नारायण के खिलाफ वर्ष 2021 में आईपीसी सेक्शन 506 (आपराधिक साजिश, 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने), 504 (किसी को अपमानित करना) और 353 (सरकारी कर्मचारी से बदसलूकी) के मामले में केस दर्ज किया गया था।

इस वाकये के बाद हरि नारायण ने सेशन कोर्ट का रुख किया, लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं, फिर उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन तब भी कुछ नहीं, इसके बाद हरि नारायण सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने की। उन्होंने 80 वर्षीय बुजुर्ग के खिलाफ दायर केस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने बुजुर्ग को राहत देते हुए स्पष्ट किया कि ये आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन अपराध नहीं।

शीर्ष अदालत के द्वारा सुनाया गया ये ऐतिहासिक फैसला एक नजीर के तौर पर माना जा रहा है।

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