विचार महाकुंभ श्री राम परिषद में बोलते हुए स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार जी ने प्रथम वैचारिक सत्र भारत निर्माण यात्रा के 100 वर्ष विषय पर कहा कि संघ अपनी स्थापना का सौ वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। संघ को समझने के लिए संघ के अंदर आना होगा। बाहर से यह समझ नहीं आयेगा। आइए संघ को जानिये यदि अच्छा लगे तो रुकिए नहीं तो जाने के लिए कोई बाध्यता नहीं है। संघ में किसी की जाति नहीं पूछी जाती हम इसके आधार पर अपना काम भी नहीं करते। महात्मा गांधी ने भी स्वयं इसका उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना हिंदू समाज को जागृत एवं एकजुट करने के लिए की गई थी। समय-समय पर जो भी आवश्यकताएं आई संघ ने उसमें बदलाव किया है। विचार, संगठन एवं कार्य ही संघ के तीन प्रमुख अंग हैं। भारत प्राचीनकाल से सनातन राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्र है। इस विषय पर अनेक मत हैं लेकिन संघ यह मानता है कि वेदकाल से ही भारत एक पुरातन हिंदू राष्ट्र है। इसी को आधार मानकर संघ काम करता है। समाज का उत्थान एवं उसका संगठन करना यानी व्यक्ति निर्माण करना और इससे राष्ट्र निर्माण होगा यह संघ का मानना है। व्यक्ति निर्माण के लिए हमारी शाखा है। इसी से समाज और फिर राष्ट्र निर्माण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन संघ का मुख्य कार्य है। हमने इसके लिए पंच निष्ठाएँ तय की हैं जिन पर संघ कार्य कर रहा है। समरसता एक विषय है। जाति विभेद आज भी बड़ी समस्या है संघ का मानना है कि इसे समाप्त करना होगा। समाज में समरसता के लिए बहुत से महापुरुषों ने काम किए हैं। दुर्भाग्यवश अभी इसमें सफलता नहीं मिली है। हर गाँव में एक कुआँ, एक मंदिर और एक श्मशान होना चाहिए। संघ ने इस दिशा में काम किया है। कुटुंब प्रबोधन दूसरा विषय है। आज परिवार टूट रहे हैं। छोटे हो रहे हैं। यह विकृति आ रही है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। तीसरा विषय पर्यावरण है, हम प्रकृति का दोहन कर रहे हैं, इसके लिए पौधरोपण, जल की स्वच्छता और अनावश्यक दोहन बंद करना होगा साथ ही प्लास्टिक कचरे से मुक्ति भी प्राप्त करनी होगी।
उन्होंने कहा कि चौथा विषय है स्व आधारित जीवन शैली। देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं। हमें अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करना होगा। हर समस्या के लिए अंग्रेज़ दोषी नहीं हैं। हमें अपना स्व का जागरण करना होगा अपनी समस्याएं स्वयं सुलझानी हैं। नागरिक कर्तव्य पांचवां विषय है, हम अपने अधिकारों के लिए तो हर जतन करते हैं लेकिन संविधान में नागरिक कर्तव्य भी हैं। देश को आगे ले जाने के लिए नागरिक कर्तव्य जो सुनिश्चित किए गए हैं उनका पालन करना भी चाहिए। संघ शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर हम इन पांच बातों को समाज के बीच ले जाना चाहते हैं। समाज को साथ लेकर समाज के सहयोग से ही यह कार्य किए जाने हैं। यह समाज परिवर्तन हेतु आवश्यक हैं।
श्री गुरु वशिष्ठ न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय विचार महाकुंभ में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि आज ही से सनातन और भारतीय संस्कृति पर हमले नहीं हो रहे हैं, तरह तरह के आक्रमण सदियों से हो रहे हैं। हमारे वेद, पुराणों, श्रुतियों और स्मृतियों पर कुठाराघात किया गया। तक्षशिला और नालंदा जैसे शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्रों पर हमला किया गया, उन्हें नष्ट किया गया। मुगल और अंग्रेजों ने इसे नष्ट करने के लिए क्या जतन नहीं किए, हमारी संस्कृति अक्षुण्ण रही और वह दुनिया को मार्ग दिखती रही। हमारी संस्कृति में मनुष्य श्रेष्ठ है, जीव जंतु और वृक्ष भी हमारे परिवार का हिस्सा हैं। सारी सृष्टि हमारा परिवार है। यह सनातन के मूल में है।
श्री पाठक ने कहा कि महाकुंभ में हमने देखा 90 वर्ष की सास को उसकी बहू कंधे पर उठाकर ले जा रही है। किसी अन्य समाज या संस्कृति में यह असंभव है। महाकुंभ में पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से लोग आए देश ही नहीं दुनिया के हर कोने से लोग आए। यह वैश्विक उत्सव भारत और भारतीयता का परिचायक बना है। 2014 के बाद से नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में आमूल चूल परिवर्तन आया है। आज हम गर्व से कहने लगे हैं कि हम भारतीय हैं। दुनिया में भारत का डंका बजा है।साहित्य, संगीत,कला और विज्ञान के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति तो कर ही रहे हैं। भारतीय संस्कृति, सभ्यता हमारे प्रतीकों के प्रति लोगों का आग्रह मन को संतुष्टि देता है। जब 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला का भव्य मंदिर बना तो हर भारतीय की आंखों में खुशी के आंसू थे।
कुंभ में अंबानी परिवार ने स्नान किया तो गाँव के सामान्य परिवार के राम लखन के परिवार ने भी वहीं स्नान किया। यहाँ गरीब-अमीर और जात -पाँत का कोई भेद नहीं रहा। इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने महाकुंभ में स्नान किया लेकिन एक भी स्किन डिजीज का मरीज नहीं मिला। गंगा की अविरलता और निर्मलता बनी रही।
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