विश्व

17 साल से फाइलों में बंद समझौते पर Modi की पहल से होने जा रहे दस्तखत, EU और India के बीच अब होगा खुला कारोबार

दोनों पक्ष मुक्त व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करके निकटता का व्याप और बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन के बीच नई दिल्ली में इस बारे में विस्तृत बात होना उस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है

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Alok Goswami

इस वर्ष भारत यूरोपीय संघ के साथ एक शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को 2025 से आगे ले जाने के लिए एक उम्मीदों भरा साहसिक खाका रखा जाएगा। इसी खाके को आगामी भारत-यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में उद्घाटित करने का विचार बना है।


भारत की मोदी सरकार की ‘भारतहित पहले’ की अलिखित नीति अपना रंग दिखा रही है और विश्व मंच पर भारत को अपने हित के साथ विश्व के हित का एक बड़ा साझीदार के तौर पर देखा जा रहा है। इसी कड़ी में यूरोपीय संघ के साथ भारत की नजदीकी बढ़ी है। दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार को लेकर मसौदा तो 17 साल पहले ही तैयार हो गया था, लेकिन वह फाइलों में ही बंद रहा था। भारत इसकी कुछ शर्तों में सुधार और भारत के पक्ष से अधिक ‘इंक्लूसिव’ बनाने की बात करता था। लेकिन अब लगता है इस साल दोनों पक्ष मुक्त व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करके निकटता का व्याप और बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन के बीच नई दिल्ली में इस बारे में विस्तृत बात होना उस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

मोदी और उर्सुला वोन डेर के बीच हैदराबाद हाउस में ​प्रतिनिधिमंडल स्तर की चर्चा में अनेक ऐसे बिन्दु आए जिनसे भारत की यूरोपीय संघ के देशों के साथ सहयोग और समन्वय के विभिन्न आयाम खुलेंगे। दोनों की बैठक में यह सहमति बनी है कि इस वर्ष के अंत तक भारत तथा यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार संधि पर हस्ताक्षर करने के साथ ही कारोबार की दुनिया में निकट आएंगे।

जैसा पहले बताया, भारत और यूरोपीय संघ के बीच यह ऐसी संधि होगी जो दुनिया की सबसे बड़ी व्यापार संधि की तरह देखा जा रहा है। संधि का खाका तो 2013 में तैयार हो गया था, लेकिन उसमें दोनों पक्ष चाहते थे कि उनकी अपेक्षाएं प्रमुखता से चिन्हित की जाएं इस बिन्दु से आगे फिर बात नहीं बढ़ी। लेकिन तीन साल पहले जून 2022 में यह दोबारा से शुरू की गई। बात लगभग तय हो गई है और बहुत हद तक इसी साल के खत्म होने से पहले इस पर दस्तखत हो जाएंगे। मोदी ने एक कदम आगे जाते हुए इस ओर दिलचस्पी दिखाई है, इसलिए पूरी संभावना है कि यह इस बार परवान चढ़ जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष भारत यूरोपीय संघ के साथ एक शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। यूरोपीय संघ आयोग की अध्यक्ष उर्सुला से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी को 2025 से आगे ले जाने के लिए एक उम्मीदों भरा साहसिक खाका रखा जाएगा। इसी खाके को आगामी भारत-यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में उद्घाटित करने का विचार बना है।

अध्यक्ष उर्सुला के साथ अपनी बैठक से प्रधानमंत्री मोदी आशान्वित हैं। प्रेस को उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष रक्षा क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाएंगे, इससे निवेश के भी दरवाजे खुलेंगे। दोनों नेताओं ने वैश्विक स्थितियों पर और परिवर्तनों पर भी गहन चर्चा की।

भारत और यूरोपीय संघ व्यापार, टेक्नोलॉजी, निवेश, नवाचार, हरित विकास, रक्षा, कौशल विकास आदि क्षेत्रों में सहयोग के प्रति पहले से अधिक उत्सुक देख रहे हैं। उर्सुला की भारत यात्रा इस दृष्टि से चिाप्रतीक्षित थी। दोनों ही नेता तैयार हुए है कि मुक्त व्यापार के क्षेत्र में सहयोग में अब और देर न की जाए, इसका खाका जल्द से जल्द तैयार हो और आगे बढ़ा जाए। इस के लिए आवश्यक दिशानिर्देश दे दिए गए हैं।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच रक्षा सहयोग निश्चित रूप से निवेश को आगे ले जाने वाला आयाम है। भारत की यह कूटनीतिक संफलता है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के समन्वय से तकनीकी रूप से उन्नत होने का मौका मिला है। हिन्द—प्रशांत क्षेत्र में इस दृष्टि से अधिक अवसर हैं।

उर्सुला ने और आगे तक की अपनी सोच व्यक्त करते हुए भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में मानते हुए ही कहा कि वक्त आ गया है कि यूरोपीय संघ और भारत के बीच जल, थल तथा अंतरिक्ष में रक्षा सहयोग बढ़े। हिन्द महासागर वैश्विक कारोबार की लाइफलाइन है इसलिए इसको सुरक्षित रखना भारत की ही नहीं, पूरे विश्व की दृष्टि से बहुत अहम है।

 

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