देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने लैंड जिहाद के खिलाफ अभियान चलाकर सैकड़ों अवैध मजारें ध्वस्त कर दी हैं, लेकिन अभी शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अवैध मजारें हैं। एक और सनसनीखेज जानकारी सामने आई है कि रक्षा संपदा विभाग की भूमि पर भी अवैध मजारें चिन्हित हुई हैं और रानीखेत एरिया में इनकी संख्या 13 बताई जा रही है। वन विभाग, छावनी परिषद और पुलिस प्रशासन के द्वारा किए गए एक सर्च रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील रक्षा क्षेत्र के इन इलाकों में ये मजारे कैसे बनीं? किसने इसकी इजाजत थी? यहां आने-जाने वाले कौन लोग हैं? ऐसे कई सवाल भी सामने आए हैं। रानीखेत आर्मी स्कूल के पीछे अवैध मजार है। इन संवेदनशील स्थानों पर अक्सर सेना के युद्धाभ्यास भी होते रहे हैं और जवानों का प्रशिक्षण भी होता रहा है। रानीखेत बाजार क्षेत्र में भी मजार है, जबकि कुछ मजारे कैंट एरिया के जंगल में दिखाई दी हैं, जहां बाहरी लोगों के आने-जाने में कोई रोकटोक नहीं है। कुछ मजारे पक्के लेंटर वाली हैं तो कुछ टीन शेड में बनी हुई हैं। छावनी परिषद ने इसका सर्वे तो करवा लिया है, लेकिन इन्हें हटाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया है।
एक अन्य जानकारी के अनुसार कोटद्वार आर्मी एरिया में भी एक मजार है। देहरादून के कैंट एरिया के एक बड़े परिसर में भी मजार है। कालसी क्षेत्र में आर्मी एरिया के पास कब्रिस्तान बना दिए जाने की खबरें सुर्खियों में है, वन आरक्षित इस क्षेत्र में वन विभाग ने दो साल पहले कार्रवाई भी की थी किंतु अब फिर से यहां कब्र बनाए जाने की सूचनाएं प्रकाश में आ रही हैं।
उत्तराखंड सीमावर्ती राज्य है और इसे देवभूमि कहा जाता है। यहां पिछले कुछ सालों से संवेदनशील स्थानों पर अवैध मजारें बनाने और फिर उन्हें वक्फ बोर्ड में पंजीकृत कराने का षडयंत्र होता भी देखा गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहसपुर में हुए एक कार्यक्रम में स्पष्ट कहा कि देवभूमि में लैंड जिहाद , अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हम यहां का सांस्कृतिक स्वरूप बिगड़ने नहीं देंगे। ऐसे में अब अल्मोड़ा रानीखेत प्रशासन की कड़ी कार्रवाई का सबको इंतजार है।
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