दिल्ली

मोहल्ला क्लीनिक की हकीकत: CAG रिपोर्ट ने खोली केजरीवाल के दावों की पोल, हालात ये कि थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर तक नहीं

कैग की ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि केजरीवाल ने अपनी सरकार के दौरान 2017 में दिल्ली में 1000 मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2023 तक केवल 523 ही खोले गए।

Published by
Kuldeep singh

जिस मोहल्ला क्लीनिक का हौवा बनाकर आम आदमी प्रमुख केजरीवाल ने अपनी सियासत चमकाई थी, सत्ता जाते ही उनके द्वारा बनाया गया धुएं का गुबार अब छंटने लगा है। केजरीवाल दावा करते थे कि मोहल्ला क्लीनिक आयुष्मान भारत योजना से कहीं बेहतर है। लेकिन अब कैग की रिपोर्ट केजरीवाल शासन के दौरान मोहल्ला क्लीनिक की असलियत को सामने ला दिया है। कैग रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि बाकी की सुविधाएं तो दूर की बात हैं, मोहल्ला क्लीनिक में तो थर्मामीटर तक नहीं है।

कैग की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक, कर्मियों, बुनियादी ढांचों की कमी, डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। वहां काम करने वाले 70 प्रतिशत मरीजों को एक मिनट भी नहीं देखते हैं। ऑडिट में पता चला है कि 218 मोहल्ला क्लीनिक में से 41 तो डॉक्टरों की कमी और प्रशासनिक मुद्दों के चलते बंद पड़े हैं। 74 में दवाओं के स्टॉक ही नहीं थे।

लक्ष्य रखा था 1000 मोहल्ला क्लीनिक्स का

कैग की ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि केजरीवाल ने अपनी सरकार के दौरान 2017 में दिल्ली में 1000 मोहल्ला क्लीनिक स्थापित करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2023 तक केवल 523 ही खोले गए। इसके अलावा इन मोहल्ला क्लीनिक्स में असुविधाओं का अंबार है। यहां न तो पीने के लिए पानी, दवाओं के लिए एसी नहीं और दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर तक नहीं है।

क्या कहती है कैग की रिपोर्ट

  • कई सारे मोहल्ला क्लीनिक्स में शौचालय, पीने के पानी, दिव्यांगों के लिए रैम्प्स की कमी
  • कुछ क्लीनिक्स में पल्स, ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर तक की कमी
  • 74 क्लीनिक्स में आवश्यक दवा लिस्ट में लिस्टेड 165 दवाओं का पूरा स्टाक भी नहीं
  • दिल्ली के 27 अस्पतालों में 50 फीसदी में तो आईसीयू की सुविधा ही नहीं, 60 प्रतिशत ब्लड बैंक के बिना ही चल रहे। 8 में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं, 12 में एंबुलेंस का अभाव और 15 में मुर्दाघर भी नहीं
  • राजीव गांधी औऱ जनकपुरी में स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ के 96 फीसदी, डॉक्टरों के 74 फीसदी और पैरामेडिक्स के 62 प्रतिशत पद खाली
  • 2016-17 से 2020-21 तक 32,000 अस्पताल बिस्तर जोड़ने का प्रस्ताव था
  • वर्ष 2016-17 के दौरान 17 लाख स्कूली बच्चों में से केवल 2.8 लाख से 3.5 लाख बच्चों को ही स्कूल स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत कवर किया गया
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