नई दिल्ली । शिवरात्रि के पावन अवसर पर गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और प्रज्ञा प्रवाह, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “शिवोहम – जागृति काल” नामक एक विशेष 24 घंटे का प्रवचन एवं सांस्कृतिक आयोजन 26 फरवरी 2025 को गांधी दर्शन, राजघाट में आरंभ हुआ। इस अनूठे आयोजन में प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों, कलाकारों और आध्यात्मिक विचारकों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम 27 फरवरी को प्रातः 8 बजे तक अनवरत चलेगा।इस अद्वितीय आयोजन में प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों, कलाकारों और आध्यात्मिक चिंतकों की सहभागिता रही। इस अवसर पर रुद्राभिषेक भी किया गया।
इस आयोजन की गरिमा को अनेक विशिष्ट व्यक्तित्वों की उपस्थिति ने बढ़ाया, जिनमें शामिल थे—श्री जे. नंदकुमार (अखिल भारतीय संयोजक, प्रज्ञा प्रवाह), प्रो. जगबीर सिंह (कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय, बठिंडा), डॉ. ज्वाला प्रसाद (निदेशक, गांधी स्मृति एवम् दर्शन समिति), प्रो. श्री प्रकाश सिंह (निदेशक, साउथ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय), पद्मश्री बतूल बेगम (प्रसिद्ध गायिका), प्रो. राणा पी. बी. सिंह (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), प्रो. कुमुद शर्मा (उपाध्यक्ष, साहित्य अकादमी), श्रीमती मोनिका अरोड़ा (प्रख्यात विचारक ) और डॉ. मृत्युञ्जय गुहा मजूमदार (लेखक)।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय समन्वयक जे नंदकुमार ने कहा कि शिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और जागरण का प्रतीक है। इस दिन उपवास, रात्रि-जागरण और मंत्रोच्चार से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
गांधी स्मृति एवम् दर्शन समिति के निदेशक डॉ ज्वाला प्रसाद ने कहा कि शिव का ध्यान हमें त्याग, सृजन और विनाश के संतुलन का संदेश देता है, जो जीवन को संतुलित और सार्थक बनाता है।
कार्यक्रम में प्रो. श्रीप्रकाश सिंह निदेशक, साउथ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रज्ञा प्रवाह, प्रसिद्ध विचारक मोनिका अरोड़ा, पद्मश्री बतूल बेगम, प्रो राणा पी. बी. सिंह सहित अनेक विद्वानों और विशेषज्ञों ने शिव तत्त्व, अध्यात्म और जीवन दर्शन, शिव और भारतीय कला, शिव और योग परंपरा जैसे विषयों पर गहन व्याख्यान प्रस्तुत किए।
इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की गईं, जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य, और भजनों ने लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भगवान शिव से संबंधित भक्ति संगीत, नृत्य नाटिकाएँ प्रस्तुत की गईं, जो उपस्थित श्रोताओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव का माध्यम बनीं।
गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति और प्रज्ञा प्रवाह के पदाधिकारियों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह प्रयास भारतीय संस्कृति और दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथि, शोधार्थी, अध्यात्म प्रेमी और आम जनता उपस्थित हुए।
यह पवित्र संगम वैदिक ज्ञान, हिंदू दर्शन और सांस्कृतिक विरासत का मेल है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और बौद्धिक समृद्धि का समग्र अनुभव प्रदान करता है
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