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बांग्लादेश : मौत की सजा के खिलाफ अपील कर सकेगा अजहरुल इस्लाम, 1400 लोगों की हत्या और कई महिलाओं से दुष्कर्म का है दोषी

जमात ए इस्लामी का सहायक महासचिव रह चुका है अजहरुल, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में दिया था पाकिस्तानी सेना का साथ, इससे पहले 23 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग ने अजहरुल की मौत की सजा को बरकरार रखा था

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WEB DESK

ढाका, (हि.स.)। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता एटीएम अजहरुल इस्लाम की मौत की सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी है। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने बुधवार को यह आदेश जारी किया। इस पर 22 अप्रैल को सुनवाई होगी। अजहरुल को युद्ध अपराधों की सुनवाई करने वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने 30 दिसंबर, 2014 को मौत की सजा सुनाई थी।

अजहरुल इस्लाम जमात-ए-इस्लामी का पूर्व सहायक महासचिव है। उसने 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान की सेना का साथ दिया था। उस पर 1400 से ज्यादा लोगों की हत्या, कई महिलाओं से दुष्कर्म, अपहरण और यातना देने का आरोप था।

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में बैरिस्टर एहसान अब्दुल्ला सिद्दीकी ने अजहर का प्रतिनिधित्व किया। वकील एसएम शाहजहां, अधिवक्ता मोहम्मद शिशिर मनीर और बैरिस्टर नजीब मोमन ने सिद्दीकी की सहायता की। इससे पहले मौत की सजा के खिलाफ अजहर की समीक्षा याचिका पर पहले दिन की सुनवाई मंगलवार को पूरी हुई। अटॉर्नी जनरल एमडी असदुज्जमां ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम और बचाव पक्ष के वकील शिशिर मनीर की उपस्थिति में अदालत में मामला पेश किया।

अपील हो चुकी थी खारिज

इससे पहले 23 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय प्रभाग ने अजहरुल की मौत की सजा को बरकरार रखा था। कुछ समय बाद अजहर ने इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की।

इन्हें दी जा चुकी है फांसी

उल्लेखनीय है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमात नेता मोतिउर रहमान निज़ामी, अब्दुल कादर मोल्ला, मोहम्मद कमरुज्जमां, अली अहसन मोहम्मद मोजाहिद, मीर कासिम अली और बीएनपी नेता सलाउद्दीन कादर चौधरी को फांसी दी जा चुकी है।

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