मत अभिमत

महाकुंभ पर राजनीति: सनातन महापर्व का अपमान

करीब हर दिन 1 करोड़ से अधिक लोगों ने महाकुंभ का दौरा किया। कुछ दिन तो यह संख्या 7 करोड़ तक भी थी

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लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास,पीवीएसएम, बार टू एसएम, वीएसएम ( सेवानिवृत)

महाकुंभ राष्ट्र और सनातन धर्म में विश्वास करने वालों के लिए एक अविश्वसनीय अनुभव रहा है। 26 फरवरी को समापन तक, महाकुंभ में भक्तों की संख्या लगभग 65 करोड़ हो जाएगी। इसका मतलब है कि भारत की लगभग आधी आबादी महाकुंभ से जुड़ी होगी, सीधे उन 65 करोड़ लोगों ने प्रयागराज का दौरा किया होगा और अन्य 5 करोड़ जो पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन से जुड़े होंगे। इन 5 करोड़ लोगों में आगंतुकों के रिश्तेदार, यात्रा, आवास, भोजन, सुरक्षा, प्रशासन से जुड़े लोग और प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या और लखनऊ की मेजबान आबादी शामिल होगी।

भगदड़ की दो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर बहुत राजनीति हुई है; एक 29 जनवरी की सुबह मेला क्षेत्र में और दूसरी भगदड़ 16 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर। दोनों घटनाओं को सरकार द्वारा खराब प्रबंधन के उदाहरण के रूप में बताया जा रहा है। हर मौत या चोट दुर्भाग्यपूर्ण है। महाकुंभ से जुड़ी भगदड़ से होने वाली मौतों पर राजनीति जायज नहीं है। महाकुंभ में लगभग 65 करोड़ लोगों की यात्रा सुनिश्चित करने के लिए लाखों प्रशासकों, सुरक्षा कर्मियों और पर्यवेक्षकों द्वारा उनके अथक योगदान को नीचा दिखाना बहुत ही हतोत्साहित करने वाला है।

करीब हर दिन 1 करोड़ से अधिक लोगों ने महाकुंभ का दौरा किया। कुछ दिन तो यह संख्या 7 करोड़ तक भी थी। अब जनसंख्या के घनत्व की कल्पना करें, जो अधिकतम 10 किमी गुणा 10 किमी क्षेत्र तक सीमित है। प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के इतने उच्च घनत्व के साथ, हर दिन भगदड़ की आशंका रहती है। यह महाकुंभ प्रशासन को श्रेय जाता है कि त्रिवेणी संगम क्षेत्र में हालात को नियंत्रित किए रखा।

दूसरा विवादास्पद मुद्दा महाकुंभ में गंगा के पानी में मल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा से संबंधित रहा। इस बात के कई प्रमाण हैं कि गंगा जल में स्वयं सफाई करने वाला गुण है। इसके अलावा, एनजीटी की रिपोर्ट का यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खंडन किया । इसके अलावा कुछ गैर जिम्मेदाराना बयान जो राजनीति से प्रेरित थे, वह भी सुनने को मिले। महाकुंभ की प्रसंसा पूरे विश्व में हो रही है। मुझे यकीन है की मैनेजमेंट के कई संस्थान महाकुंभ के आयोजन से शिक्षा लेने के लिए जुड़े होंगे। देश के हजारों युवाओं ने इस मेगा इवेंट से बहुत कुछ सीखा होगा। दरअसल महाकुंभ आस्था से जोड़ने में अप्रत्याशित रूप से सफल रहा। मुझे पिछले 45 दिन अनेक भक्तों से मिलने का मौका मिला जो महाकुंभ के प्रबंधन से बहुत संतुष्ट नजर आए। इसलिए यह कहना की सिर्फ वीआईपी के लिए प्रबंधन ठीक था अतिशयोक्ति होगी। आम आदमी ने भी महाकुंभ का उतना ही आनंद लिया और एक अद्भुत अनुभव से अभिभूत हुआ। महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए श्रेय केंद्र सरकार और यूपी सरकार को जाता है। एक अच्छे प्रसाशन के तौर पर उन्होंने इस मेगा इवेंट से सीखे गए पाठों का दस्तावेजीकरण किया होगा। हमेशा सुधार की गुंजाइश होती है लेकिन इस शानदार आयोजन से लाभांश को इतनी जल्दी नहीं मापा जा सकता है। महाकुंभ पर राजनीति निंदनीय है।

महाकुंभ मेगा इवेंट ने एक बार फिर भारत की प्रतिबद्धता, जुनून, समर्पण, सर्वोच्च संकल्प और उत्कृष्ट पर्यवेक्षण को उजागर किया है। महाकुंभ में कई विश्व रिकॉर्ड बनाए गए हैं लेकिन सबसे बड़ा रिकार्ड 100 करोड़ सनातनियों और भारतीयों को एकजुट करने और जोड़ने में है। महाकुंभ 2025 राष्ट्रीय एकता का अग्रदूत बनने और भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में मील का पत्थर साबित होगा । जय भारत!

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