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आबादी के बोझ तले दब रहे नैनीताल का बोझ कम करने की जरूरत, ऊपरी पहाड़ियों में नई दरारें, बालियानाला भी खतरे के जोन में

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नैनीताल में घरों का सर्वे करने जा रहा है। नैनीताल के टिफिन टॉप, स्नो व्यू, चाइनापीक जैसे ऊंचे क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं

by दिनेश मानसेरा
Feb 25, 2025, 09:22 am IST
in उत्तराखंड
नैनीताल

नैनीताल

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नैनीताल। सौंदर्य झील नगरी नैनीताल में आबादी का दबाव कम किए जाने की जरूरत है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि नैनीताल की ऊंची शिवालिक पहाड़ियों में नई दरारें देखी जा रही हैं। प्रारंभिक अध्ययनों में बताया गया है कि नैनीताल अब और बोझ सहने की स्थिति में नहीं है।

सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (cbri) नैनीताल के एक हजार घरों का सर्वे शुरू करने जा रहा है। ये सर्वे इसलिए कराया जा रहा है कि नैनीताल के टिफिन टॉप, स्नो व्यू, चाइनापीक जैसे ऊंचे क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं और यहां की पहाड़ियों में गहरी दरारों का दिखना भी चिंता का सबब बनता जा रहा है। दूसरी तरफ बलियानाला की पहाड़ियों का सालों से चल रहे ट्रीटमेंट के बाद भी इसके दरकने खतरा बना हुआ, ये कमजोर पहाड़ियां नैनीताल झील से ज्यादा दूर नहीं हैं।

नैनीताल पहले इस तरह था

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नैनीताल का तीन किलोमीटर क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। भूस्खलन की त्रासदियां झेल चुके नैनीताल से अब आबादी का बोझ कम किए जाने पर विचार किए जाने की जरूरत समझी जा रही है। पिछले साल नैनीताल से मात्र 8 किमी दूर खुपीं गांव के 19 मकानों में दरारें पड़ने की खबरे मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो चुकी नैनीताल की पहाड़ियों पर अब ज्यादा बोझ होने का दुष्परिणाम सामने आने लगा है।

नैनीताल के चार्टन लॉज एरिया में भी एक बार फिर से भूस्खलन की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इलाके में 18 परिवारों समेत आस-पास में स्थित दर्जनों घरों पर खतरा मंडरा रहा है। यहां अब तक 3 परिवार घर छोड़ चुके हैं, बाकी के परिवार के लिए भी चेतावनी जारी की गई है। नैनीताल का राजभवन के गोल्फ ग्राउंड का क्षेत्र भी भूस्खलन की चपेट में है। नैनीताल प्रशासन ने कहा है कि प्रशासन ने खूपी गांव का सर्वे किया गया है, कई घरों में दरारें आ रही हैं। चार्टन लॉज क्षेत्र में भी भूस्खलन पर नजर रखी जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, नैनीताल के खूपी गांव से लघु हिमालय और बाह्या हिमालय (शिवालिक) रेंज को जोड़ने वाली मेन बाउंड्री थ्रस्ट गुजरती है। ये बाउंड्री हिमालय को कंप्रेस करने का काम करती है जिस कारण से जमीन उठने लगती है और दरारें, भूस्खलन की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि खूपी गांव ही नहीं बल्कि पूरा नैनीताल शहर ही खतरे में हैं। हाल ही में टिफिन टॉप पहाड़ी का हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ गया। इसके अलावा नैना पीक पहाड़ भी टूट रहा है। माल रोड का निचला हिस्सा भी हर साल झील में समा रहा है,पूर्व में बैंड स्टैंड भी खतरे की जद में आ गया था।

नैनीताल हाई कोर्ट के ऊपरी पहाड़ियों से भी पत्थरों का गिरना जारी है,ये स्थान ब्रिटिश काल से ही संवेदनशील है और पहाड़ी मार्ग पर पत्थरों को जाल में बांध कर सुरक्षा दीवारें बनाई हुई है। नैनीताल में ड्रेनेज सिस्टम भी अंग्रेजी हुकूमत द्वारा वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया है लेकिन ये नाले अक्सर चौक रहता है। बताया गया है कि इन नालों पर लोगों ने अतिक्रमण किए हुए है जिसकी वजह से इनकी नियमित सफाई नहीं हो पाती है। बहरहाल नैनीताल जिला प्रशासन cbri के माध्यम से शहर की संवेदनशीलता की रिपोर्ट तैयार करवाने में लगा है, उनकी ये रिपोर्ट अगले तीन माह में तैयार हो जाएगी।

नैनीताल हाइकोर्ट और अन्य सरकारी भवनों की होगी शिफ्टिंग

पिछले तीन सालों से नैनीताल हाई कोर्ट को हल्द्वानी शिफ्ट किए जाने के प्रयास हो रहे हैं। इसके लिए भूमि चयन भी हो गया बताया जा रहा है। पहले भी नैनीताल से सीडीओ कार्यालय, विकासभवन और अन्य विभाग भीमताल शिफ्ट हो चुके हैं। कई विभाग पहले से ही हल्द्वानी में शरद काल में आ जाते थे, इन्हें अब स्थाई रूप से हल्द्वानी में ही रखे जाने पर विचार किया जा रहा है। सरकारी विभागों को हटाने से ही नैनीताल में एक बड़ी आबादी का बोझ कम हो जाएगा।

Topics: नैनीतालनैनीताल में दरारेंउत्तराखंड त्रासदीनैनीताल में आबादी
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