गुजरात के अहमदाबाद में हो रहे पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद-3 प्रगति की गाथा कार्यक्रम में अमूल के एमडी जयेन मेहता और भाजपा की विधायक रिवाबा जडेजा ने ‘ब्रांड की कमान’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा और तृप्ति श्रीवास्तव के साथ बात की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश…
रिवाबा जडेजा जी ये ‘ब्रांड का कमाल’ कैसे है?
(रिवाबा जडेजा) मेरा मानना है कि हर एक स्त्री ब्रांड के माध्यम से आगे बढ़ना चाहती है, चाहे आप उसे लास्ट नाम से ही जोड़ लीजिए। मैं तो एक जरिया मात्र हूं कि मैं बहुत सारी हमारी बहनों की आवाज बन सकती हूं। अगर मैं उनके लिए केंद्र और राज्य के माध्यम से कुछ कर सकती हूं तो ये मेरे लिए प्रिविलेज है। इसके अलावा अगर कोई मेरे पति के माध्यम से भी मुझे जानता है तो भी ये मेरे लिए प्रविलेज की ही तरह है। व्यक्तिगत तौर पर मेरा ये मानना है कि मेरे पिता ने मुझे बचपन से ही ये सिखाया है कि खुद की पहचान का होना कितना आवश्यक है। जब आप किसी संबंध के जरिए कहीं पहुंचते हैं और उस दौरान खुद को जीवंत बनाए रखना और समाज के लिए कार्य करना बड़ा चैलेंज होता है।
जयेन मेहता की अमूल गर्ल ब्रांड बनी हुई है, जिस कारण से आज इन्हें अमूल मैन के तौर पर जाना जाता है। आपको इतनी बड़ी पहचान देने वाली ये अमूल गर्ल कहां से आई?
(जयेन मेहता ) ये जो छोटी से अमूल गर्ल है, ये 60 साल पहले भी 6 साल की थी और 60 साल बाद भी 6 साल की ही है। इन सब के पीछे महिलाओं का योगदान है। गुजरात 18600 गावों में 360000 महिलाएं पशुपालन का काम करती हैं। वे 310 लाख लीटर दूध का उत्पादन हर दिन करती हैं। सहकारिता के माध्यम से इतना बड़ा काम किया। ऐसे में उनके इस काम की सराहना करने के लिए, सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे का ये काम है। सहकारिता ने ये बता दिया है कि हम आज विश्व के सबसे मजबूत खाद्य ब्रांड माने गए हैं। जब 80 साल पहले अमूल की कल्पना की गई थी, तो दो दूध मंडली और 250 सौ लीटर दूध से इसकी शुरुआत हुई थी। तब से लेकर आज तक टर्नओवर की दृष्टि से 80,000 करोड़ या 10 बिलियन डॉलर, लेकिन ब्रांड वैल्यु के हिसाब से आपको विश्व का सबसे अच्छा फूड ब्रांड माना जाता है तो इसका सीधा श्रेय गांव की महिलाओं को जाता है। ये महिलाओं की ही परिश्रम है, जिसने देश को एक ब्रांड दिया है। पीएम मोदी का सपना कि दुनिया के हर टेबल पर भारत का एक फूड ब्रांड हो, इसके लिए अमूल लगातार काम कर रहा है।
व्यापार में कई प्रकार के चैलेंज आते हैं, तो इससे आप कैसे निपटे?
(जयेन मेहता ) जब देश आजाद हुआ तो उसके ठीक पहले ही अमूल की स्थापना हुई थी। जब हमने काम किया तो विदेशी लेगेसी तो हम पर थी। विदेशी सामान लगातार भारत में आ रहे थे। उस दौरान खेड़ा जिले के किसानों ने ये तय किया कि हमारा नाम भारतीय होगा। संस्कृत का एक शब्द है ‘अमूल्य’ उसमें से ‘अमूल’ चुना गया और इसके साथ इस सफर की शुरुआत हुई। इसके बाद ब्रांड अवेयरनेस, कम्युनिकेशन, कंसिस्टेंसी और अमूल गर्ल मस्कट, उस दौरान हमारे पास एडवर्टाइजिंग के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए आउटडोर विज्ञापन का माध्यम चुना। उसके साथ ये ब्रांड बनना शुरू हुआ। आज भी हम विज्ञापन पर अपनी कुल कमाई का केवल 0.6 फीसदी ही खर्च करते हैं। इसका कारण ये है कि अगर आप अमूल का कोई उत्पाद 100 रुपए में खरीदते हैं तो किसान को उसका 80-85 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। ये विश्व का सबसे ऊंचा रेशियो है।
जब भी दिल्ली में दूध के दाम बढ़ते हैं तो कहा जाता है कि अमूल के दाम भी बढ़ गए। क्या आपको कभी फोन आया कि आपने ऐसा क्यों किया?
(जयेन मेहता) बिल्कुल, चूंकि मीडिया उपभोक्ता के लिए काम करता है, इसलिए ये बात हमें मीडिया और उपभोक्ता दोनों को ही समझानी होती है। नीति निर्माताओं को भी समझानी पड़ती है। क्योंकि अगर महंगाई उपभोक्ता को हिट करती है तो वो किसान को भी तो हिट करती है।
विज्ञापन पर 0.6 फीसदी खर्च करने के बाद भी लोगों की अमूल पर विश्वसनीयता क्यों है?
हमारी करेंसी दूध नहीं, विश्वास है। ये विश्वास है किसानों, उपभोक्ताओं का, वो ही इस संस्था को आगे बढ़ाने के लिए सबसे मूलभूत सिद्धांत हैं। ये इम्पैक्ट विज्ञापन से नहीं आता है। ये विश्वास क्वालिटी, प्रोडक्ट और रीजनेबल प्राइस से आता है।
हम विश्वसनीयता की बात कर रहे हैं रिवाबा जी। रवींद्र जडेजा की पत्नी के तौर पर इस विश्वसनीयता को बनाए रखना और आप भी एक इन्फ्लुएंसर हैं और राजनीति में हैं तो इस विश्वसनीयता को बनाए रखना कितना आवश्यक है?
(रिवाबा जडेजा) जब मैंने राजनीति में प्रवेश किया तो विपक्ष मीडिया के जरिए एक ही बात चला रहा था कि ये तो एक सेलिब्रिटी की पत्नी है। इन्हें तो हर महीने 2 महीने में कहीं न कहीं जाना रहेगा अपने पति के साथ। ऐसे में क्या आपके बीच में ये रह पाएंगी? उस दौरान मुझे अपनी विधानसभा के लोगों को बोल के ये समझाना पड़ता था। मेरे लोगों ने मुझपर भरोसा किया और मुझे चुना, क्योंकि लोग समझदार हैं, उन्हें अधिक समय तक आप मूर्ख नहीं बना सकते हैं। जब आप जमीन पर बोते हैं तो आपके एक्शन के जरिए लोग आपको भांप लेते हैं। मेरे ढाई साल के कैरियर में जिस प्रकार से लोगों ने मुझपर अपना भरोसा दिखाया है, उससे मुझे अहसास हुआ है कि जो खबर मेरे बारे में फैलाई जा रही थी, वो एक मिथ थी।
पीएम मोदी ने कहा था कि ये जो फील्ड है, इसमें आप आई हैं कुछ पाने के लिए नहीं, बल्कि कुछ देने के लिए। इसलिए लोगों का भला कीजिए, राजनीति अथवा समाज सेवा के माध्यम से। ऐसे में एक जिम्मेदारी भरा माइंडसेट बहुत ज्यादा जरूरी है। इसके बाद ही आप लोगों का भरोसा हासिल कर पाओगे। दूसरी बात ये कि चलिए हो सकता है कि लास्ट नेम के कारण मुझे टिकट मिल गया हो, लेकिन अगली बार चुनाव लड़ने के लिए मुझे अपने पांच साल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखना होगा। वहीं कोई रवींद्र जडेजा आकर मुझे नहीं बचा पाएंगे।
आप हमेशा रवींद्र जडेजा का सम्मान करती हैं, लेकिन वो आपको एक राजनीतिज्ञ के तौर पर कैसे देखते हैं?
(रिवाबा जडेजा) वो एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं। उन्होंने मेरे राजनीतिक कैरियर को लेकर वक्त प्रोत्साहित किया। अगर सफल होने के लिए मुझे स्ट्रगल करना पड़ता है तो वो मुझे बहुत अधिक मोटिवेट करते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि मुझसे कहीं अधिक दबाव उन्होंने देखा है। फील्ड भले ही अलग हो, लेकिन दबाव हर जगह है। मैं एक बात बताना चाहती हूं कि एक बार वर्ल्ड कप चल रहा था तो मैंने बोला कि मुझे भी जाना है, तो उन्होंने कहा कि तुम्हें सबसे पहले अपने प्राथमिकताओं को ध्यान देना होगा। ये मैच तो चलते रहेंगे। क्योंकि लोग मुझसे अधिक आपकी ओर देखेंगे।
ब्रांड क्या बनाता है सीरियसनेस या मार्केटिंग?
जयेन मेहता कहते हैं कि आप लोगों को हर वक्त मूर्ख नहीं बना सकते हैं। ये लोगों और ब्रांड दोनों पर ही अप्लाई होता है। इसलिए लोगों को ईमानदारी चाहिए। हमारा उद्येश्य अमूल के साथ सहकारिता के माध्यम से शुरू से ही स्पष्ट है कि हमें लोगों को शोषण से बचाना है। इसलिए आपमें कंसिस्टेंसी होनी चाहिए।
ब्रांड कैसे बनता है?
(रिवाबा जडेजा) लोकसभा चुनाव के बाद हमने हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र देखा उसके बाद दिल्ली ने देखा कि दिल्ली की जनता ने भाजपा के लिए जो विश्वनीयता दिखाई। ये एक बड़ा उदाहरण है राजनीति के लिए। इससे ये सिद्ध हुआ है कि आप मुफ्त की रेवड़ियों के माध्यम से लोगों को ठग नहीं सकते। आपको लोगों को ठोस विकास की दिशा में लोगों को जोड़ना होगा और लोगों तक पहुंचना होगा। दिल्ली एक बड़ा उदाहरण है कि 27 साल के बाद दिल्ली की जनता ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर अपना विश्वास जताया। इसका एक साक्षी इस साल का बजट भी है, जिसमें सरकार ने मध्यम वर्ग को प्रमुखता से आगे रखा।
क्या इन्फ्लुएंसर्स का माध्यम एक तरीका हो सकता है नए राजनेताओं को लोगों से जुड़ने का?
(रिवाबा जडेजा)इसके लिए मैं अपने प्रधानमंत्री का उदाहरण देना चाहूंगी। वो सबसे बड़े इन्फ्लुएंसर्स हैं। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग को अपने, सेवा अथवा नीतियों के माध्यम से इन्क्लुजन में रखा। एक युवा के तौर पर जब मैं सर से मिली तो उन्होंने जिस प्रकार से मुझसे बात की, तो मुझे लगा कि सर को सब पता है कि युवा को क्या चाहिए। विकसित भारत का उद्येश्य रखा गया है वो बजट में दिखता है। इस बार का बजट ग्यान के आधार पर रखा गया है। मुझे प्रधानमंत्री से ये सीखने को मिला की बातें करने की जगह ज्यादा से ज्यादा अपने क्षेत्र में समय बिताइए। बहनों, युवाओं से मिलकर पूछिए कि उन्हें क्या चाहिए।
बदलते ग्लोबल परिदृश्य में अमूल अपने आपको 25 साल के बाद अपने आपको कैसे प्रेजेंट करेगा?
(जयेन मेहता ) देखिए, समय, किसान, उपभोक्ता सभी बदल रहे हैं। इसलिए दोनों ही पहलुओं को ध्यान में रखकर आगे की रणनीति बनानी होगी। मैं इसकी शुरुआत किसानों से करूंगा। जैसे मैंने कहा कि ये 24/7 और 365 दिन का व्यवसाय है तो हमें इस बात को सबसे पहले रखना होगा। इसके साथ में उपभोक्ता को ये समझाते हुए ये यात्रा जारी रखनी होगी। ये कभी भी एकतरफा नहीं चल सकता। लेकिन, तथ्य ये भी है कि युवा पीढ़ी को डेयरी को आंत्रप्रन्योरशिप के तौर पर कैसे डेवलप करें, तकनीक उसमें कैसे लाएं, ऑटोमेशन कैसे लाएं? पशुपालन का काम कैसे अच्छी तरह से कर पाएं कि गांव में रहकर उन्हें रोजगार मिले। उनके व्यापार का अवसर मिले। इस पर हम काम कर रहे हैं। रही बात एआई की तो वो तो वर्षों से चल रहा है। हम लोग प्रोटीन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
अमूल की छाछ हम बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के पिछले साल ही प्रोबायोटिक कर दिया। क्योंकि प्रो बायोटिक हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके अलावा हम ऑर्गेनिक्स की दिशा में भी काम कर रहे हैं। हम किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वो स्वस्थ रह सकें। अमूल किसानों और उपभोक्ताओं के बीचे सेतु का काम कर रही है। अगर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत दुनिया का सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करता है। भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद दूध ही है। विश्व का एक चौथाई दूध भारत में उत्पादित होता है। अगले 10 साल में ये एक तिहाई हो जाएगा। हम यूरोप में दूध को लॉन्च करने जा रहे हैं। केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह का विजन है कि जल्द ही देश के 4 लाख गावों में दूख की मंडली स्थापित करनी है।
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