उत्तराखंड

डेमोग्राफी चेंज, अवैध मदरसों, मजारों और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, विपक्ष खामोश

इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए कांग्रेस ने कभी भी सदन में आवाज नहीं उठाई, भू कानून की मांग करने वाले संगठन भी इस मुद्दे पर चुप हैं।

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दिनेश मानसेरा

देहरादून। राज्य में करीब पांच सौ अवैध मदरसों, तीन सौ अवैध मजारों और सरकारी जमीन पर अवैध बसावट पर विपक्षी कांग्रेस एक बार फिर खामोश रही। विधानसभा सत्र के दौरान इन मुद्दों को छूने या सदन में उठाने का साहस कांग्रेस ने नहीं किया और इसके पीछे बड़ी वजह तुष्टिकरण की राजनीति हो सकती है।

वोट बैंक के लोभ में तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी ने राज्य में बेसिक शिक्षा को लेकर सवाल तो उठाया लेकिन अवैध रूप से चल रहे मदरसों पर एक शब्द भी नहीं बोला।
उत्तराखंड में इन अवैध मदरसों की संख्या पांच सौ के करीब बताई जाती है। इन मदरसों में बाहरी राज्यों के बच्चे पढ़ रहे हैं, जोकि कल स्थायी निवासी होने का दावा करेंगे या कर चुके हैं। डेमोग्राफी चेंज के इस मुद्दे पर विपक्ष की खामोशी कई सवाल खड़े करती है।

वर्तमान में तीन सौ से अधिक अवैध मजारें अभी राज्य में और भी है, जिनपर फिलहाल विपक्ष चुप है। देवभूमि राज्य का सांस्कृतिक स्वरूप बना रहे इस ओर बीजेपी सरकार तो कदम उठा रही है किंतु कांग्रेस खामोश हो जाती है स्वाभाविक है कि उसे चिंता अपने वोट बैंक की रही है। इसी तरह सरकारी भूमि पर , खनन निकासी नदियों पर और शहरों के बरसाती नालों आदि पर बाहर से आए लोगों ने कब्जा कर भू माफिया के संरक्षण में अवैध बस्तियां बसा ली हैं।

इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए कांग्रेस ने कभी भी सदन में आवाज नहीं उठाई, भू कानून की मांग करने वाले संगठन भी इस मुद्दे पर चुप हैं। नदियों से अतिक्रमण हटाने का मुद्दा एनजीटी में भी चल रहा है। ये बस्तियां कांग्रेस शासन काल में वोट बैंक के लालच में बसाई गईं और कांग्रेस ने इनके नियमितीकरण करने का वायदा भी किया, किंतु बीजेपी सरकार ने इस पर अघोषित रोक लगाई। इनमें ज्यादातर कब्जे मुजफ्फरनगर,सहारनपुर ,मेरठ, बिजनौर जिले से आए खास वर्ग के लोगों के हैं, जोकि राज्य की डेमोग्राफी को बदल रहे हैं।

ऐसे तमाम मुद्दों पर कांग्रेस ने कभी विरोध नहीं किया बल्कि तुष्टिकरण की राजनीति के फायदे की वजह से चुप्पी साध ली है। बीजेपी सरकार ने सख्त भू कानून लाने का काम तो किया है, लेकिन इसमें से हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले को छोड़ दिया। यहां बाहरी लोग आकर अवैध कब्जे कर सरकार को चुनौती दे रहे हैं। सालों में यहीं से ये लोग पहाड़ों की तरफ बढ़ते रहे हैं,जिन्होंने देवभूमि में सांस्कृतिक ,सामाजिक समस्याएं पैदा की हैं।

ये सत्र विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा विधायकों को अनुशासन में रहने के लिए तल्ख टिप्पणियां के लिए भी याद रखा जाएगा।

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