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अश्लीलता पर पूरी तरह अंकुश लगाना जरूरी

वर्तमान में सोशल मीडिया बहुत से लोगों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। वे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स पर रातोंरात लोकप्रिय होने और मोटी कमाई करने के लिए रील्स, ब्लॉग, स्टोरी, शार्ट वीडियो के जरिए सब्सक्राइबर और व्यूज बढ़ाने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। यहां तक कि तथ्यों से भी छेड़छाड़ की जा रही है।

Published by
सुनीता मिश्रा

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यूट्यूब और अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री को नियंत्रित करने पर विचार करने का अनुरोध किया। शीर्ष अदालत ने कहा, “यह तथाकथित यूट्यूबर्स का मामला है। हम चाहते हैं कि सरकार कुछ करे। इससे हमें खुशी होगी अन्यथा हम इसे ऐसे नहीं छोड़ सकते जैसे कि तथाकथित यूट्यूब चैनल इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। हमें इस मुद्दे की महत्ता और संवेदनशीलता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”

अदालत ने यूट्यूबर और पाडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया को गिरफ्तारी से राहत तो दी, लेकिन ‘इंडियाज गाट लेटेंट’ शो के दौरान अभिभावकों के संबंध में आपत्तिजनक कॉमेडी करने पर सख्त टिप्पणियां भी कीं। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी किसी को भी कुछ भी अनुचित-अप्रिय बोलने की स्वतंत्रता नहीं देती और इस शो में जो कुछ कहा-सुना गया, वह सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन करने वाला था। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म को हिदायत दी है कि वे कानून में निषिद्ध घोषित सामग्री प्रसारित करने से परहेज करें।

भारतीय संस्कृति, युवा पीढ़ी पर पड़ रहा असर

सोशल मीडिया पर अश्लील व भद्दे जोक्स को लेकर उपजे विवाद के बीच सरकार द्वारा जारी की गई एडवाइजरी ने स्वाभाविक ही सबका ध्यान खींचा है। लेकिन यह बात केवल रणवीर इलाहाबादिया और तथाकथित बोल्ड एवं डार्क कॉमेडी के लिए मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना की नहीं, बल्कि अधिकतर कॉमेडियन, कंटेंट क्रिएटर्स की है, जो अश्लील कॉमेडी, भद्दे जोक्स, आपत्तिजनक ब्लॉग और अधकचरे कंटेंट से लाइक, शेयर, सब्सक्राइबर और व्यूज बटोर रहे हैं। उन्हें लगता है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी बोल सकते हैं। बेहूदा भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं। अश्लीलता फैला सकते हैं। इसका प्रभाव हमारी भारतीय संस्कृति और देश की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। बच्चे पढ़ने-लिखने और करियर बनाने की उम्र में अश्लील सामग्री की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे भी कूल और बोल्ड बनने के लिए इस तरह का कंटेंट परोसने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

क्रिएटिविटी के नाम अभद्र भाषा का प्रयोग

वर्तमान में सोशल मीडिया बहुत से लोगों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। वे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स पर रातोंरात लोकप्रिय होने और मोटी कमाई करने के लिए रील्स, ब्लॉग, स्टोरी, शार्ट वीडियो के जरिए सब्सक्राइबर और व्यूज बढ़ाने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। यहां तक कि तथ्यों से भी छेड़छाड़ की जा रही है। इसके अलावा क्रिएटिविटी के नाम अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। अश्लील वीडियो बनाकर ज्यादा से ज्यादा से व्यूज बटोरे जा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। कुछ तथाकथित यूट्यूबर्स को लोकप्रियता हासिल करने के लिए लाइव शादी करते और दो पत्नियों को एक साथ रखते हुए भी देखा गया है। यही नहीं ये अपने बच्चे के जन्म के बाद सोशल मीडिया पर भी उनका अकाउंट बना देते हैं और उससे मोटी कमाई कर रहे हैं। ऐसे यूट्यूबर्स को ‘बिग बास’ ओटीटी में बतौर कंटेस्टेंट बुलाया जाता है, ताकि शो की टीआरपी बढ़ाई जा सके। इससे और यूट्यूबर्स भी यहां तक पहुंचने के इस तरह की मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। इस दौरान वे ये भी भूल जाते हैं कि इससे बहन, बेटियों, बच्चों और माता—पिता के अलावा पूरे समाज को शर्मिंदा होना पड़ता है।

यौन अपराधों को मिल रहा बढ़ावा

भारतीय संस्कृति में पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों को महत्व दिया गया है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई आपत्तिजनक कंटेंट की भरमार है, जिसे परिवार के साथ नहीं देखा जा सकता है। इसकी वजह से यौन अपराधों को भी बढ़ावा मिल रहा है। देश में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले गांव में इंटरनेट के ज्यादा यूजर्स हैं। यानी शहरों के साथ ग्रामीण लोगों के पास भी ये अश्लील कंटेंट पहुंच रहे हैं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर परोसी जा रही अश्लीलता

आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जो भी कुछ भी हो रहा है, वह बेहद शर्मनाक है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान-प्रदान करने का अधिकार भी रखता है। लेकिन इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इनमें से किसी पर भी आंच आने पर दूसरा स्वत: विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाता है।

इसलिए केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर परोसी जा रही अश्लील साम्रगी पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए और भी सख्त कानून बनाना होगा। अन्यथा आने वाली पीढ़ी पर इसका असर दिखेगा। साथ ही सोशल मीडिया से अश्लील सामग्री को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। यूट्यूब के एल्गोरिदम के मुताबिक कई बार वीडियो बिना लाइक या शेयर किए भी उसे बार-बार दिखाया जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार के साथ समाज को भी आगे आना होगा। यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अश्लील और अभद्र भाषा वाले वीडियो, फोटो को देखते ही तुरंत उसकी रिपोर्ट करें, ताकि इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

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