भारत

PSLV अब निजी हाथों में, HAL और L&T करेंगे 5 रॉकेट्स का निर्माण, पहली लॉन्चिंग सितंबर में

इसकी गिनती दुनिया के सबसे अधिक विश्वसनीय रॉकेटों में की जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह ऑपरेशनल सक्सेस है। 1994 से अब तक इसने कुल 61 स्पेस मिशन किए हैं, जिनमें से 59 सफल रहे हैं।

Published by
Kuldeep singh

सने भारत के अंतरिक्ष अभियानों का सबसे बड़ा सारथी, जिसने इसरो को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का निर्माण इस साल से निजी क्षेत्र में किया जाएगा। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और लॉर्सन एंड टूब्रो के संयुक्त कंसोर्टियम के द्वारा इसका निर्माण किया जाएगा।

केरल कौमुदी की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों कंपनियां निजी तौर पर इस वर्ष ऐसे 5 PSLV रॉकेटों का निर्माण करेंगी। इसका पहली लॉन्चिंग इस वर्ष सितंबर में होने वाली है, जिसके बाद रॉकेट का इस्तेमाल नियमित लॉन्चिंग के लिए किया जाएगा। ऐसा करने के पीछे एक वजह ये भी कही जा रही है कि इसरो अब अपना ध्यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान जैसे मिशनों पर अपना ध्यान लगा रहा है, साथ ही वह दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सेटेलाइट लॉन्चिंग को भी निजी क्षेत्र में ले जा रहा है।

PSLV का गौरवपूर्ण इतिहास

गौरतलब है कि PSLV के निर्माण से पहले एक वक्त तक भारत अपनी सेटेलाइट को लॉन्च करने के लिए रूस से खरीदे गए रॉकेटों पर निर्भर था। लेकिन फिर वर्ष 1993 में भारत के वैज्ञानिकों ने अपना खुद का प्रक्षेपण यान PSLV विकसित किया। यह एक तीसरी पीढ़ी का विमान है। इसकी गिनती दुनिया के सबसे अधिक विश्वसनीय रॉकेटों में की जाती है। इसकी सबसे बड़ी वजह ऑपरेशनल सक्सेस है। 1994 से अब तक इसने कुल 61 स्पेस मिशन किए हैं, जिनमें से 59 सफल रहे हैं।

44 मीटर की लंबाई और 2.8 मीटर के बेलनाकार व्यास वाले PSLV में कुल चार स्टेज हैं। इसमें तरल और ठोस दोनों ही ईंधनों का इस्तेमाल किया जाता है। जहां पहला और तीसरा स्टेज ठोस ईंधन से भरा रहता है तो वहीं दूसरा और चौथा तरल। PSLV रॉकेट के जरिए इसरो ने जहां मिशन मार्श तक को अंजाम दिया था, तो वहीं PSLV37 के जरिए 2017 में एक साथ 104 सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करके इतिहास रच दिया था।

Share
Leave a Comment