प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने महाराष्ट्र को नमन करते हुए कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन देश की 147 वर्षों की यात्रा का साक्षी रहा है। मराठी एक संपूर्ण भाषा है। इसमें भक्ति भी है, शक्ति भी है और युक्ति भी है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के देश के प्रति सौ वर्षों से अनवरत दिए जा रहे योगदान को भी याद किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह मराठी सम्मेलन एक ऐसे समय हो रहा है जब शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं। जब पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर जी की जन्म जयंती के तीन सौ वर्ष हुए हैं। बाबा साहेब आम्बेडकर के प्रयासों से बने अपने संविधान ने भी कुछ दिनों पहले 75 वर्ष पूरे किये हैं। आज हम इस बात पर भी गर्व करेंगे कि महाराष्ट्र की धरती पर मराठी भाषी एक महापुरुष ने 100 साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बीज बोया था।
आज यह एक वट वृक्ष के रूप में अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। वेद से विवेकानंद तक, भारत की महान परंपरा और संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक संस्कार यज्ञ आरएसएस पिछले सौ साल से चला रहा है। मेरा सौभाग्य है कि मेरे जैसे लाखों लोगों को आरएसएस ने देश के लिए जीने की प्रेरणा दी है और संघ के ही कारण मुझे मराठी भाषा और मराठी परंपरा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 100 वर्षों से भारत की महान परंपरा और संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक संस्कार यज्ञ चला रहा है। pic.twitter.com/eJnAn7LgF9
— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी काल खंड में कुछ महीने पहले मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया गया है। देश और दुनिया में 12 करोड़ से ज्यादा मराठी भाषी लोग हैं। मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिले, इसका करोड़ों मराठी भाषियों को दशकों से इंतजार था। यह काम करने का अवसर मुझे मिला और मैं इसे अपने जीवन का बड़ा सौभाग्य मानता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं में कभी कोई आपसी वैर नहीं रहा। इन्होंने हमेशा एक दूसरे को अपनाया है, एक दूसरे को समृद्ध किया है। मराठी भाषा और साहित्य ने समाज के शोषित-वंचित वर्ग के लिए सामाजिक मुक्ति के द्वार खोलने का भी अद्भुत काम किया है।
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