दिल्ली विधानसभा चुनाव में में हारने के बाद सत्ता बदलते ही अब आम आदमी पार्टी के द्वारा किए गए ‘पापों’की पोल खुलने लगी है। इसी क्रम में एक स्कैम और सामने आ गया है और ये जुड़ा है शिक्षा से। शिक्षा वो मुद्दा रहा, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी ने अच्छा प्रचार किया था। लेकिन अब दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल कर आप सरकार के द्वारा किए गए कांड का भंडाफोड़ किया है।
DoE ने हाई कोर्ट में बताया है कि उसके अधिकारियों को निजी स्कूलों के लिए सस्ती दरों पर आवंटित जमीनों का निरीक्षण करने पर पता चला है कि वहां पर तो रिहाइशी बहुमंजिला इमारत और कम्युनिटी हाल बना दिए गए हैं। कई जगहों पर अभी भी निर्माण किए जा रहे हैं। इसी मामले को लेकर दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने 15 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इसके साथ ही निदेशालय ने हाई कोर्ट को ये भी स्पष्ट किया है कि उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण को एक पत्र लिखकर 53 निजी स्कूलों के आवंटन को भी रद्द करने को कहा है। उससे पहले 52 स्कूलों के आवंटन को रद्द करने की सिफारिश की गई थी। वहीं दिल्ली विकास प्राधिकरण ने बताया है कि उसने कुल 105 स्कूलों के जमीन आवंटन को रद्द करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
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कागजों पर स्कूल चल रहे
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान शिक्षा के नाम पर बड़े घोटाले किए गए। जिन स्कूलों के जमीन आवंटन को लेकर दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने हाई कोर्ट का रुख किया है, असलियत में तो वहां पर कोई स्कूल नहीं हैं, लेकिन कागजों पर कई साल से वहां स्कूल संचालित हो रहे हैं। ये एक बड़ा घोटाला है। DoE की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 32 ऐसी निजी जमीनें हैं, जहां पर स्कूलों का निर्माण तो हुआ है,लेकिन 25 फीसदी से अधिक स्कूलों में कम आय वर्ग वाले बच्चों को शिक्षा का पालन नहीं किया जाता है।
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