प्रतीकात्मक तस्वीर
धामी कैबिनेट ने आज सख्त भू-कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी है। अब इसे बजट सत्र में ही विधान सभा में रखे जाने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि भू कानून को लेकर लंबे समय से राज्य में पक्ष और विपक्ष दोनों मांग करते आ रहे थे। बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में इसका उल्लेख किया था और पूर्व में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति भी बनाई थी। जिसकी सिफारिश रिपोर्ट पर धामी सरकार ने इसे मंजूरी दी है।
राज्य सरकार द्वारा पूर्व में 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।
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