तीर्थराज प्रयाग में इन दिनों आस्था का महासागर हिलोर ले रहा है। 52 करोड़ का आंकड़ा पार करने के बाद भी पावन त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह पूरे चरम पर है। कुम्भ नगरी में स्नान पर्व शुरू होने से लेकर माघी पूर्णिमा तक बिना ऑपरेशन के 13 स्वस्थ बच्चों के जन्म को संतान सुख पाने वाले दम्पति, परिजन तथा इस तीर्थ भूमि के संत जन दैवीय वरदान से कम नहीं मान रहे। लेकिन; महाकुम्भ के दुखद हादसे पर ओछी राजनीति करने वाली हिन्दू द्वेषी मीडिया और नेता और ऐसी सकारात्मक खबरों पर अपनी जुबान पर ताला लगा लेते हैं।
ज्ञात हो कि 144 वर्ष बाद प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर लगने वाला इस बार का महाकुम्भ मेला अनेक अनोखी घटनाओं का साक्षी भी बन रहा है। कुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 2 में बना सेंट्रल अस्पताल कई परिवारों के जीवन में खुशियों की सौगात लाने का जरिया बना है। इस अस्पताल में कुल 105 लोगों की टीम तैनात है। इनमें चार स्त्री रोग विशेषज्ञ भी शामिल हैं जिन्होंने इन बच्चों का प्रसव कराया है। इन बच्चों के माता पिता ने इन बच्चों को गंगा मैया का दिव्य आशीर्वाद मान कर इनके नाम कुम्भ, गंगा, भोला, बजरंगी, यमुना, सरस्वती, नंदी, अमृत, बसंत, शंकर, पूर्णिमा, बसंती और कृष्णा रखे हैं। खास बात यह है कि इन सभी बच्चों की नॉर्मल डिलीवरी हुई है और सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
इस सेंट्रल अस्पताल में पहले बच्चे का जन्म 29 दिसंबर को कुम्भ स्नान शुरू होने से पूर्व हुआ था और माघ पूर्णिमा के दिन यहां 13वें बच्चे का जन्म हुआ था। कौशाम्बी की रहने वाली गर्भवती सोनम अपने पति राजा के साथ रोजगार के लिए कुंभ मेले में आई थी। प्रसव पीड़ा होने पर राजा उसे सेंट्रल अस्पताल ले गया जहाँ उसने 29 दिसंबर को एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया और दंपत्ति ने अपने बेटे का नाम ही कुम्भ रख दिया। इसी तरह मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक गर्भवती महिला महाकुम्भ मेले में आयी थीं। त्रिवेणी में स्नान करते समय पेट में दर्द होने पर उन्हें तुरंत एम्बुलेंस की मदद से सेंट्रल अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने सरस्वती रखा। इसी तरह से ग्वालियर की ही सीपी कॉलोनी मुरार की रहने वाली ज्योति शर्मा ने 27 जनवरी को महाकुम्भ नगर के केंद्रीय अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था। ज्योति 22 जनवरी को महाकुंभ में आई थीं। यहां उनके परिवार के लोग श्रीमद्भागवत कथा कराने के लिये आये थे। ज्योति के ससुर राकेश शर्मा ने बताया कि डॉक्टर ने एक महीने का समय दिया था। उनकी प्रबल इच्छा थी कि बहू को संगम की रेती पर ले जाएं तो गंगा मैया अवश्य कृपा करेंगी। हुआ भी वही। गंगा मैया की कृपा से बहू ने एक स्वस्थ कन्या को जन्म दिया, यह भगवत कृपा ही है। गंगा मैया का प्रसाद मानकर उन्होंने बिटिया का नाम गंगा रखा है।
इसी तरह बांदा से यहां आई शिव कुमारी और लखीमपुर जिले के मैगलगंज की रहने वाली 35 वर्षीय छोटी ने भी स्वस्थ बच्चियों को जन्म दिया जिनके नाम यमुना और शारदा रखे गये। बसंत पंचमी के दिन पैदा हुआ बच्चा बसंत हो गया तो माघी पूर्णिमा पर्व पर जन्मी बच्ची पूर्णिमा हो गयी। इन बच्चों के ये नाम जीवन भर उन्हें और उनके परिजनों को कुम्भ मेले की याद को संजोकर रखने के लिए काफी हैं। महाकुंभ में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तीर्थराज डॉ. वीके मिश्र कहते हैं कि महाकुंभ के पावन अवसर पर गंगा मैया की असीम कृपा दर्जनभर से अधिक गर्भवती महिलाओं पर बरसी। सच ही है की श्रद्धा सच्ची हो तो भगवान का प्रसाद मिलता ही है।
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