500 साल पुरानी बैंडल चीज़ संकट में! : पश्चिम बंगाल सरकार की बेरुखी, जीआई टैग के लिए भी नहीं किया आवेदन
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

500 साल पुरानी बैंडल चीज़ संकट में! : पश्चिम बंगाल सरकार की बेरुखी, जीआई टैग के लिए भी नहीं किया आवेदन

पश्चिम बंगाल की 500 साल पुरानी ऐतिहासिक पाक विरासत बैंडल चीज़ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। केवल एक परिवार इसे बना रहा है, जबकि सरकार ने GI टैग के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया। क्या यह अनमोल धरोहर बच पाएगी?

by WEB DESK
Feb 18, 2025, 03:18 pm IST
in भारत, पश्चिम बंगाल
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नई दिल्ली (हि.स.) । पश्चिम बंगाल सरकार की अनदेखी से 500 साल से भी अधिक पुरानी पाक विरासत बैंडल चीज़ (गाय के दूध का विशेष पनीर) का अस्तित्व खतरे में है। इसे बनाने वाले कभी सात से ज्यादा परिवार हुआ करते थे लेकिन आज केवल एक ही परिवार इसे बना रहा है और वो भी इस आर्थिक तंगी के कारण चीज को तैयार करने से बचने लगे हैं। हुगली के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले बैंडल चीज का अस्तित्व बचाने के प्रयास में पश्चिम बंगाल सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखायी है। इस विषय पर हाल ही में भाजपा के राज्यसभा सदस्य शमिक भट्टाचार्य ने संसद में जीआई टैग पर सवाल पूछा था। इस पर केन्द्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि राज्य सरकार या किसी भी हितधारक द्वारा बैंडल चीज़ के जीआई पंजीकरण के लिए कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है।

सांसद भट्टाचार्य ने हिन्दुस्थान सामाचार को बताया कि जीआई टैग इसकी प्रामाणिकता को बनाए रखने, स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने और इसकी विरासत को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। फिर भी यह विरासत चीज़ आधिकारिक उदासीनता के कारण अनजान बनी हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य सरकार इस पर चुप क्यों है? स्थानीय उत्पादकों को संस्थागत समर्थन के बिना क्यों छोड़ा गया है? क्या सरकार अंततः पश्चिम बंगाल की अनूठी पाक विरासत की रक्षा के लिए कार्रवाई करेगी? बैंडल चीज़ को उसकी सही मान्यता मिलनी चाहिए। बंगाल के रसगुल्ले को जीआई टैग मिला है जबकि छेना बनाने की शुरुआत ही बैंडल से हुई है। सबसे पहले देश में पनीर बनाने की शुरुआत हुगली से हुई है।

अगर बैंडल चीज के इतिहास के बारे में बात करें तो इसका जिक्र ब्रिटिश सरकार के गजेटियर में भी मिलता है। इसके अलावा कुछ पुरानी इतिहास की किताबों में भी इसका जिक्र है। ब्लूमबर्ग बिजनेस पत्रिका ने 2017 में एक सर्वेक्षण में ‘बैंडेल चीज़’ को दुनिया के शीर्ष 12 चीज़ों में से एक बताया था, जो अब मिलना दुर्लभ है। इसके अलावा कुछ जाने माने शेफ को यह बैंडेल चीज़ पसंद है। हाल ही में जाने-माने मिशेलिन स्टार शेफ विकास खन्ना ने भी न्यूयॉर्क में अपने मिशेलिन स्टार रेस्तरां ‘बंगला’ में बैंडेल चीज़ का इस्तेमाल किया था। प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे को बैंडेल चीज़ खाना बहुत पसंद था।

बैंडल चीज या पनीर का इतिहास

बैंडल पनीर, एक इंच चौड़े और एक चौथाई इंच मोटे छोटे गोल आकार में बेचा जाता है। यह दो किस्मों में उपलब्ध है, स्मोक्ड और सादा। इसके संरक्षण के लिए दोनों में अत्यधिक नमक डाला जाता है। पश्चिम बंगाल में छेना या पनीर को सबसे पहले लाने वाले या यू कहिए परिचित कराने वाले पुर्तगाल से आए लोग जिम्मेदार थे। पुर्तगाली लोगों को पनीर बहुत पसंद था, जिसे वे दूध को अम्लीय पदार्थों के साथ फाड़ कर बनाते थे। भारत में तो दूध का फटना असुभ माना जाता था। यहां ज्यादातर मिठाई खोए से बनी होती थी। थॉमस बोउरे की पुस्तक जियोग्राफिकल अकाउंट ऑफ द कंट्रीज अराउंड द बे ऑफ बंगाल 1690-1780 के अनुसार, पुर्तगालियों ने घी और मक्खन के साथ पनीर को वर्तमान जावा में निर्यात करने का कारोबार किया। स्मोक्ड किस्म संभवतः डचों की देन है, उन्हें स्मोक्ड गौडा के प्रति गहरा प्रेम था। बैंडल चीज को बड़ी मात्रा में बनाने के लिए पुर्तगालियों ने पश्चिम बंगाल के स्थानीय लोगों को नियुक्त किया। इस तरह से बंगालियों को पनीर बनाने की प्रक्रिया से परिचित कराया गया। इस पुर्तगाली पाक विरासत पर अब कई शोध कार्य भी हो रहे हैं।

जीआई टैग से इस पाक विरासत का संरक्षण संभव : सौरभ गुप्ता

द होल हॉग डेली के संस्थापक और एक्टिविस्ट सौरभ गुप्ता बताते हैं कि बैंडल चीज की अनोखे स्वाद के साथ इसकी कहानी भी एकदम अनूठी है। इसका पूरा श्रेय कोरोना काल को जाता है। लॉकडाउन के दौरान बाकी दुकानदारों के साथ बैंडल चीज बनाने वाले पलाश घोष के परिवार पर भी असर डाला। उस समय दुकान बंद होने के कारण बैंडल चीज बनाने वाले पलाश घोष की दुकान में बनने वाले 1200 किलोग्राम पनीर खराब हो गया जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। नौबत यहां तक आ गई कि उन्हें अपने परिवार के खर्च के लिए एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी। थोड़ी मांग को देखते हुए उनके पिताजी बेहद कम पनीर ही बना पाते थे लेकिन उससे गुजारा नहीं हो पाता था। सौरभ गुप्ता बताते हैं कि इस पनीर के बारे में सुनकर उन्होंने पलाश घोष से मुलाकात की। पलाश ने बताया कि बैंडल चीज बनाने वाले उन परिवारों में से एक है जिसने पांच सौ साल से भी पुराने इस पाक विरासत को आज भी जिंदा रखा है। इनका परिवार पिछले 11 पीढ़ियों से बैंडल चीज बना रहा है। पलाश घोष की मदद के लिए आगे आए सौरभ गुप्ता बताते हैं कि बैंडल पनीर की मांग को देखते हुए उन्होंने पनीर को अपने ऑनलाइन बिजनेश द होल हॉग डेली के माध्यम से होटल और लोगों तक पहुंचाने लगे। मांग के अनुसार अब न केवल कोलकाता बल्कि पूरे देश में बैंडल चीज़ की डिलीवरी की जाने लगी है। अगर इसे जीआई टैग मिल जाता है तो इसे सरकार की तरफ से भी संरक्षण मिल जाएगा और दुनियाभर में लोगों को भी इसकी जानकारी मिल सकेगी।

इस कारण नाम पड़ा बैंडल चीज

बैंडल पनीर का नाम उसके स्थान के नाम से मिला है। पश्चिम बंगाल के हुगली में बैंडल जगह है जहां पहले पुर्तगाली लोगों की कॉलोनी हुआ करती थी। उन्होंने इस जगह में रहने वाले ग्वालों को अपने साथ काम पर लगाया। चूंकि बैंडल चीज़ बनाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले गाय के दूध की आवश्य़कता होती है इसलिए बैंडल पनीर बनाने वाले डेयरी किसान ही थे। इन्होंने पुर्तगाली लोगों से पनीर बनाने की कला सीखी थी। हुगली जिले में बैंडल चीज बनाने वाले सात परिवार के बारे में जानकारी मिलती है जिसमें अब एक ही परिवार बैंडल पनीर को बना रहा है। बंदेल चीज़ के पुनरुत्थान के लिए इसे सरकारी संरक्षण देने की जरूरत है।

Topics: जीआई टैगGI Tag Indiaबैंडल चीज़Historical Cheeseपश्चिम बंगाल पाक विरासतPortuguese Cheeseबंगाल का पनीरBengal Paneerभारतीय चीज़Indian Cheeseहुगली चीज़Hooghly Cheeseपुर्तगाली पनीरCulinary Heritageऐतिहासिक खाद्य पदार्थबंगाल की पहचानBandel CheeseWest Bengal heritage
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नई काशी को देखने के लिए हर श्रद्धालु उतावला : योगी आदित्यनाथ

उत्तराखंड के श्रीअन्न को जीआई टैग

उत्तराखंड: 18 पहाड़ी उत्पादों को मिला जीआई टैग, सूची में ज्यादातर श्रीअन्न

प्रतीकात्मक चित्र

उत्तराखंड: पहाड़ के उत्पादों को मिलने जा रहा है जीआई टैग

पन्ना के हीरों को जीआई टैग मिलने की उम्मीद बढ़ गई है

मध्य प्रदेश: पन्ना के हीरों को जल्द मिल सकता है जीआई टैग, आवेदन स्वीकृत

लंगड़ा आम और बनारसी पान को मिला जीआई टैग

नवाचार ने रसगुल्ला को बनाया विश्वप्रसिद्ध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

माता वैष्णो देवी में सुरक्षा सेंध: बिना वैध दस्तावेजों के बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Britain NHS Job fund

ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट: एनएचएस पर क्यों मचा है बवाल?

कारगिल विजय यात्रा: पूर्व सैनिकों को श्रद्धांजलि और बदलते कश्मीर की तस्वीर

four appointed for Rajyasabha

उज्ज्वल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियां राज्यसभा के लिए मनोनीत

Kerala BJP

केरल में भाजपा की दोस्तरीय रणनीति

Sawan 2025: भगवान शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर जरूर चढ़ाएं ये 7 चीजें

CM Yogi Adityanath

उत्तर प्रदेश में जबरन कन्वर्जन पर सख्त योगी सरकार, दोषियों पर होगी कठोर कार्यवाही

Dhaka lal chand murder case

Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies