पेरिस में हो रही महत्वपूर्ण वार्ता की पृष्ठभूमि को देखने से लगता है, इस युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप की अलग समझ बनी है। यूरोप का गुट और अमेरिका इस विषय पर अलग पालों में खड़े दिख रहे हैं। वाशिंगटन और मास्को के बीच चल रहा लगातार संपर्क यूरोपीय देशों को यूक्रेन के संदर्भ में असमंजस की स्थिति में डाले हुए है। खबर यह भी है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर भी आज की इस पेरिस बैठक में शामिल हो सकते हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के बीच रूस—यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर क्या बातचीत हुई, वह तो अक्षरश: सामने नहीं आई है, लेकिन इतना जरूर है कि ट्रंप की ओर से इसे ओर सकारात्मक बयान आए हैं। उनके शब्दों पर गौर करें तो लगता है उनके और पुतिन के बीच यूक्रेन के कुछ इलाकों को लेकर समझौता हुआ है, जिसके बाद युद्ध पर जल्दी ही रोक लग जाने की संभावना है। लेकिन दूसरी तरफ इस संदर्भ में खुद को अलग—थलग महसूस कर रहे यूरोपीय देश भी आज फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों की पहल पर पेरिस में इकट्ठे होकर इस मसले पर अपनी राय रखेंगे। मामला खासा रोचक होने के पूरे आसार बने हुए हैं।
पेरिस में हो रही महत्वपूर्ण वार्ता की पृष्ठभूमि को देखने से लगता है, इस युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप की अलग समझ बनी है। यूरोप का गुट और अमेरिका इस विषय पर अलग पालों में खड़े दिख रहे हैं। वाशिंगटन और मास्को के बीच चल रहा लगातार संपर्क यूरोपीय देशों को यूक्रेन के संदर्भ में असमंजस की स्थिति में डाले हुए है। खबर यह भी है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर भी आज की इस पेरिस बैठक में शामिल हो सकते हैं। स्टारमर ने कल ही घोषणा की है कि ‘शांति के लिए वे अपने सैनिक तक यूक्रेन में मोर्चे पर भेज सकते हैं।’ स्टारमर नाटो में एक ‘अहम भूमिका’ होने के आग्रही रहे हैं।
यूरोपीय देशों ने यूक्रेन पर शुरू हो रही इस बैठक को ‘आपातकालीन’ कहकर विशेषज्ञों की दिलचस्पी और बढ़ा दी है। पेरिस बैठक में चर्चा का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा अमेरिका और रूस के बीच जारी कथित ‘शांति वार्ता’ ही रहने वाला है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अमेरिका और रूस के प्रतिनिधि आज ही रियाध में संघर्षविराम को लेकर वार्ता की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह वार्ता एक प्रकार से भूमिका तैयार करेगी इसी हफ्ते रूसी विदेश मंत्री लावारोव और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के बीच होने जा रही बैठक की। यह बैठक करीब दो साल बाद दोनों देशों में इस प्रकार की उच्च स्तरीय चर्चा होगी।
पेरिस सम्मलेन ऐसे समय में हो रहा है जब यूरोप और अमेरिका यूक्रेन के मुद्दे पर ‘दूर’ जा रहे हैं जबकि वाशिंगटन लगातार मॉस्को के साथ संपर्क स्थापित कर रहा है।
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हालांकि ट्रंप के विशेष प्रतिनिधि कीथ केलाग ने पिछले दिनों यह कहा था कि यूरोपीय नेताओं से परामर्श किया जाएगा। यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन उनका यह कहना कि यूरोपीय देश संघर्षविराम से जुड़ी अमेरिका तथा रूस के बीच चल रही बैठकों में सम्मिलित नहीं किए जाएंगे। इस बात से यूक्रेन तथा उसका साथ दे रहे यूरोपीय देशों को बेचैनी होनी स्वाभाविक है। विशेषकर फ्रांस और ब्रिटेन को, जो इस मुद्दे पर बहुत मुखर रहे हैं। उन्हें साफ होता जा रहा है कि अमेरिका वार्ता में बहुत ज्यादा पक्षों की सहभागिकता नहीं चाहता।
वैसे, दो दिन पहले अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो अपने रूसी समकक्ष से फोन पर बात कर चुके हैं। इसमें गत 12 फरवरी को राष्ट्रपति ट्रंप और राष्ट्रपति पुतिन के मध्य हुई चर्चा को विस्तार दिया गया था। उसके बाद आज से रियाध में हो रही ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और रूसी अधिकाारियों के बीच संभवत: यूक्रेनी अधिकारियों की उपस्थिति में होने जा रही चर्चा संघर्षविराम की ओर कितनी बढ़ती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
यहां उल्लेखनीय है कि गत दिनों यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक ट्वीट किया था। वे लिखते हैं, ‘हमने राष्ट्रपति ट्रंप की टीम के साथ काम आरम्भ किया है। यह साफ है कि हम कामयाबी पा सकते हैं। आज, विश्व अमेरिका को ऐसी ताकत के तौर पर देख रहा है जो न सिर्फ युद्ध को रोकने की सामर्थ्य रखता है, बल्कि उसके बाद शांति का भरोसा भी दे सकता है।’
जेलेंस्की, पुतिन और ट्रंप के बीच जारी इन प्रयासों और यूरोपीय देशों की चिंताओं के बीच से क्या मार्ग निकलेगा, इसका आभास आने वाले दिनों में ट्रंप के बयानों में झलक ही जाएगा। लेकिन फिलहाल तो पेरिस और रियाध, ये दोनों स्थान कूटनीति विशेषज्ञों की दिलचस्पी का केन्द्र बने हुए हैं।
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