क्या आप भी भगवान महाकाल का दर्शन करने के लिए जा रहे हैं? जरा ठहरिए ये जानकारी आपके लिए है, क्योंकि अब आपका सफर थोड़ा सा और आसान हो गया है। अब से मंदिर में दर्शन करने के लिए आपकी दूरी 1.5 किलोमीटर तक कम हो गई है। क्योंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं के लिए नए मार्ग को खोल दिया गया है।
ये मार्ग है एक ब्रिज। नाम है सम्राट अशोका ब्रिज, जिसका लोकार्पण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शनिवार को किया। करीब 25 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस सेतु के जरिए अब से श्रद्धालु सीधे शक्ति पथ से महाकाल के मंदिर तक पहुंच सकेंगे। ये पुल रूद्र सागर झील पर बनाया गया है। नए ब्रिज के बनने से अब चारधाम मंदिर की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं की डेढ़ किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इसको लेकर सीएम कहते हैं कि जिस प्रकार से भक्तों की संख्या मंदिर में लगातार बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए वैकल्पिक रास्ता तैयार करना ही था।
शंख और डमरू से मुख्यमंत्री का स्वागत
ब्रिज के लोकार्पण के मौके पर महाकाल पहुंचे मुख्यमंत्री का स्वागत आतिशबाजी, शंखनाद और डमरू की आवाज के साथ किया गया। इस ब्रिज की शुरुआत होने के बाद अब से श्रद्धालु सीधे मान सरोवर पहुंचेंगे। इसके बाद वे यहां होने वाली लेजर लाइट एंड साउंड शो का भी भक्त आनंद ले सकेंगे। यहां पर सम्राट अशोक ब्रिज से भगवान शिव के प्रकाट्य और उज्जयिनी की गौरव गाथा को देख सुन पाएंगे।
अभी तक कैसे पहुंचते थे मंदिर तक
उज्जैन में महाकाल मंदिर पहुंचने के लिए 6 रास्ते अब तक लोग इस्तेमाल करते थे। इसमें पहला रास्ता पूर्व में बेगमबाग वाला, पश्चिम में सरस्वती शिशु मंदिर महाकालपुरम मार्ग, महाकाल लोक के नंदि द्वार के जरिए, हरिसिद्धि शक्तिपीठ चौराहे सो होकर, रूद्र सागर सरफेस पार्किंग के सामने बने पिनाकी द्वार से होकर, हेरिटेज धर्मशाला के पास प्राचीन महाकाल द्वार था।
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